Jamiat Ulema-e-Hind Chief Mahmood Madani Criticizes Waqf Amendment Act, Calls it Politically Motivated
वक्फ संशोधन अधिनियम पर बोले महमूद मदनी: “यह वक्फ का नहीं, राजनीति का मामला है”
AIN NEWS 1: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने हाल ही में वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम न तो वक्फ की भलाई के लिए है और न ही मुसलमानों के हित में। बल्कि यह एक राजनीतिक चाल है, जो समाज में विभाजन और अस्थिरता पैदा कर सकती है।
राजनीति के इरादों पर सवाल
मदनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह वक्फ का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उनका आरोप है कि मुसलमानों के नाम पर कभी उन्हें अपमानित करके, तो कभी उनके हमदर्द बनकर, यह अधिनियम लाया गया है। उन्होंने कहा, “यह अधिनियम या संशोधन न तो देश के लिए अच्छा है, न समाज के लिए और न ही मुसलमानों के लिए।”
क्या है वक्फ अधिनियम और उसमें संशोधन
वक्फ अधिनियम वह कानून है जिसके तहत भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है। वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का संचालन करता है, जिसका उद्देश्य धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देना होता है।
हाल ही में किए गए संशोधन में सरकार को अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता सीमित हो सकती है। इसी पर मुस्लिम संगठनों और नेताओं को आपत्ति है।
मदनी ने जताई गंभीर चिंता
मदनी ने कहा कि इस संशोधन से मुसलमानों में यह संदेश गया है कि उनकी धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक समुदाय को निशाना बनाने की साजिश है, जो कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ है।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के संविधान में सभी धर्मों को समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन इस तरह के कदम उस संतुलन को बिगाड़ने का काम करते हैं।
समाज को बांटने वाली नीति
मदनी ने कहा कि इस अधिनियम से समाज में विभाजन पैदा होगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस कानून को वापस ले और सभी समुदायों के बीच विश्वास बहाल करने का प्रयास करे।
राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन कर सरकार एक खास वर्ग के बीच अपनी छवि मजबूत करना चाहती है। वहीं, विपक्षी पार्टियां और मुस्लिम संगठन इसे अल्पसंख्यकों को हाशिए पर लाने की साजिश बता रहे हैं।
जमीयत की भूमिका
जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत का एक प्रमुख मुस्लिम संगठन है जो शिक्षा, समाज सेवा और मुस्लिम अधिकारों के लिए कार्य करता है। महमूद मदनी इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और समय-समय पर मुस्लिम समाज से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते रहे हैं।
आगे की राह
मदनी ने कहा कि वे इस मुद्दे को कानूनी और लोकतांत्रिक तरीकों से उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ, तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से।
उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधियों से दूर रहें और अपने अधिकारों की लड़ाई संविधान के दायरे में रहकर लड़ें।
Jamiat Ulema-e-Hind Chief Mahmood Madani has strongly criticized the Waqf Amendment Act, calling it a politically motivated step taken under the guise of Muslim welfare. Madani stated that the act has been implemented with malicious intent, either by targeting Muslims or by pretending to support them. His remarks highlight a growing Waqf controversy and underline the increasing tension surrounding Muslim rights in India. This statement adds to the ongoing national debate about the Waqf laws and their implications for the community.