AIN NEWS 1 | भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को शपथ ली। जस्टिस खन्ना, जो दिल्ली के एक प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखते हैं, तीसरी पीढ़ी के वकील हैं। उनके दिवंगत चाचा जस्टिस एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहे, लेकिन एक महत्वपूर्ण फैसले के कारण वह कभी CJI नहीं बन सके।
सीजेआई बनने से चूके जस्टिस एचआर खन्ना
जस्टिस एचआर खन्ना, जो उस समय सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता क्रम में पहले थे, को 1973 में सीजेआई बनने की संभावना थी। हालांकि, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी जगह पर न्यायाधीश एमएच बेग को भारत का मुख्य न्यायाधीश बना दिया। एमएच बेग जस्टिस खन्ना से जूनियर थे, और इस फैसले से जस्टिस खन्ना खासे नाराज हुए थे।
आपातकाल के फैसले ने बदल दी राजनीति
जस्टिस एचआर खन्ना को इंदिरा गांधी सरकार से नाराजगी का कारण उनके द्वारा आपातकाल के दौरान दिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले को माना जाता है। उन्होंने एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में बहुमत के फैसले से असहमत रहते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की थी। इसके परिणामस्वरूप, जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इस फैसले ने इंदिरा गांधी सरकार को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया कि वे जस्टिस खन्ना की बजाय जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाएंगे।
राजनीतिक जीवन और जनता पार्टी से रिश्ता
जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा देने के बाद जनता पार्टी से चुनाव लड़ने का न्योता स्वीकार नहीं किया। इसके बाद उन्हें 1977 में आपातकाल से जुड़े मामलों की जांच करने के लिए पैनल का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उन्होंने यह जिम्मेदारी भी स्वीकार नहीं की। हालांकि, वे विधि आयोग के अध्यक्ष रहे और 1979 में वे कानून मंत्री बने, हालांकि तीन दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जस्टिस खन्ना को 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था और वे 2008 में 95 वर्ष की आयु में निधन हो गए।
संजीव खन्ना की सीजेआई के रूप में प्राथमिकताएँ
अब जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। सीजेआई बनने के बाद, उनका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को कम करना और न्यायिक प्रक्रिया को तेज करना है। जस्टिस खन्ना का हिस्सा रहे कुछ महत्वपूर्ण फैसलों में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले में अंतरिम जमानत देने का फैसला शामिल है।
जस्टिस खन्ना का करियर एक लंबी यात्रा है, और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में, भारतीय न्यायपालिका को नए मार्गदर्शन की उम्मीद की जा रही है।