AIN NEWS 1: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। इस सूची में 44 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इससे पहले जदयू ने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। दोनों सूचियों को मिलाकर अब तक पार्टी ने अपने कोटे की सभी 101 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पूरी कर ली है। इस तरह से एनडीए गठबंधन में जदयू ने सीट बंटवारे के बाद अपने सभी उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।
पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है। ऐसे में आज कई बड़े नेताओं के नामांकन दाखिल होने की संभावना है। बिहार में अब चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है और हर पार्टी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार रही है।

दूसरी लिस्ट के प्रमुख उम्मीदवार
जदयू की दूसरी लिस्ट में कई पुराने और चर्चित नामों के साथ कुछ नए चेहरे भी शामिल किए गए हैं।
वाल्मीकिनगर सीट से धीरेंद्र प्रताप सिंह, सुपौल से बिजेंद्र प्रसाद यादव, गोपालपुर से बुलो मंडल, कहलगांव से शुभानंद मुकेश, करगहर से वशिष्ठ सिंह और काराकाट से महाबली सिंह को टिकट दिया गया है।
खास बात यह है कि गोपालपुर सीट से पहले से मौजूद विधायक गोपाल मंडल का टिकट काट दिया गया है। टिकट कटने के डर से उन्होंने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के बाहर धरना दिया था।

जहानाबाद की कुर्था सीट से पार्टी ने पप्पू कुमार वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। पप्पू वर्मा 2020 के चुनाव में आरएलएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन इस बार उन्हें जदयू ने मौका दिया है।
मुस्लिम उम्मीदवारों को भी मिला स्थान
जदयू ने अपनी दूसरी लिस्ट में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
अररिया से शगुफ्ता अजीम
जोकीहाट से मंजर आलम
अमौर से सबा जफर
चैनपुर से जमा खान
इन चार नामों के जरिए नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समाज को भी साधने की कोशिश की है। यह कदम पार्टी की सामाजिक संतुलन की नीति को भी दर्शाता है।
नए और पुराने चेहरों का संतुलन
दूसरी सूची में कई पुराने विधायकों के साथ कुछ नए चेहरों को भी मौका दिया गया है।
नवादा सीट से विभा देवी को टिकट दिया गया है। विभा देवी हाल ही में राजद (RJD) से इस्तीफा देकर जदयू में शामिल हुई हैं। वे पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं। साल 2020 में उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बनी थीं, लेकिन इस बार वे नीतीश कुमार की पार्टी के साथ हैं।
धमदाहा विधानसभा सीट से जदयू ने मौजूदा मंत्री लेशी सिंह को फिर से मैदान में उतारा है। वहीं, पूर्णिया जिले की तीनों सीटें—धमदाहा, अमौर और रूपौली—जदयू के हिस्से में आई हैं। रूपौली सीट से कलाधर मंडल को उम्मीदवार बनाया गया है।
अन्य प्रमुख उम्मीदवार
दूसरी सूची में जदयू ने कई महत्वपूर्ण सीटों पर भरोसेमंद नेताओं को टिकट दिया है।
नबीनगर सीट से चेतन आनंद और बेलागंज से मनोरमा देवी को पार्टी ने टिकट दिया है। मनोरमा देवी पहले भी बिहार राजनीति में सक्रिय रही हैं और उनके नाम की चर्चा लंबे समय से होती रही है।
इस सूची में पार्टी ने युवा चेहरों को भी जगह दी है ताकि जदयू के संगठन में नई ऊर्जा लाई जा सके।
पहली सूची में क्या था खास?
जदयू ने बुधवार को पहली सूची जारी की थी, जिसमें 57 उम्मीदवारों के नाम थे। उस सूची में 15 नए चेहरों को मौका मिला था। पार्टी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार बदले थे जबकि 29 सीटों पर पुराने उम्मीदवारों को फिर से मैदान में उतारा गया।
पहली लिस्ट में छह मंत्रियों, चार महिलाओं और 17 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया गया था। वहीं, चार विधायकों का टिकट काट दिया गया था।
दिलचस्प बात यह भी रही कि कुछ नेताओं को दूसरी पार्टी से आकर जदयू ने टिकट दिया।
लोजपा से आए राजकुमार सिंह को मटिहानी से टिकट मिला।
वहीं, राजद छोड़कर आए अनंत सिंह को मोकामा सीट से उम्मीदवार बनाया गया।
नीतीश कुमार का पूरा फोकस संगठन पर
नीतीश कुमार ने अपने संगठन और पुराने कार्यकर्ताओं को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण किया है। दूसरी लिस्ट में उन्होंने सामाजिक संतुलन, क्षेत्रीय समीकरण और जातीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, जदयू की यह रणनीति बिहार के ग्रामीण इलाकों में पार्टी की पकड़ मजबूत करने में मदद कर सकती है। खासतौर पर महिला उम्मीदवारों और अल्पसंख्यक समाज को टिकट देना इस बात का संकेत है कि पार्टी हर वर्ग तक पहुंच बनाना चाहती है।
जदयू की दोनों सूचियों से यह साफ झलकता है कि पार्टी इस चुनाव में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहती। नीतीश कुमार का अनुभव और संगठन की मजबूती इस बार भी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है।
चुनावी समीकरणों पर नजर
एनडीए गठबंधन में भाजपा, जदयू, हम और रालोसपा के बीच सीट बंटवारा पहले ही तय हो चुका है। जदयू को 101 सीटें मिली हैं, जबकि बाकी सीटें भाजपा और अन्य सहयोगियों के हिस्से में गई हैं। अब जब जदयू ने अपने सभी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, तो एनडीए ने भी चुनावी मैदान में अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू एक बार फिर बिहार में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी या नहीं।



















