AIN NEWS 1 : उत्तर प्रदेश के फतेहाबाद में दिवाली से ठीक पहले एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। यहां टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने कम बोनस मिलने से नाराज होकर बड़ा कदम उठा लिया। विरोध जताने के लिए उन्होंने टोल गेट पूरी तरह खोल दिए, जिसके कारण हजारों वाहन बिना टोल दिए ही गुजर गए।
यह मामला धनतेरस के दिन का है, जब आम तौर पर सड़कों पर ट्रैफिक काफी ज्यादा रहता है। लोगों की खरीदारी और यात्राओं के चलते गाड़ियों की लंबी कतारें टोल पर दिखाई देती हैं। ऐसे में जब कर्मचारियों ने टोल गेट खोल दिए, तो वाहनों का रेला बिना रुके निकल गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस एक कदम से कंपनी को करीब ₹30 लाख का नुकसान हुआ है। अनुमान है कि करीब 5,000 से ज्यादा वाहन बिना टोल शुल्क चुकाए गुजरे।
बोनस को लेकर विवाद
कर्मचारियों का कहना है कि इस साल उन्हें मात्र ₹1100 का बोनस दिया गया, जबकि पिछले साल ₹5000 बोनस मिला था। दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर अचानक बोनस घटा देने से कर्मचारियों में गहरी नाराजगी फैल गई। उनका कहना है कि कंपनी ने बिना किसी पूर्व सूचना या कारण बताए बोनस में भारी कटौती कर दी।
एक कर्मचारी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम सालभर मेहनत करते हैं, त्योहार के वक्त थोड़ा सम्मान और खुशी की उम्मीद रखते हैं। पिछले साल जब ₹5000 बोनस मिला था, तो हमें लगा कंपनी हमारी मेहनत की कद्र करती है। लेकिन इस बार ₹1100 देखकर ऐसा लगा जैसे हमारा मजाक बनाया जा रहा हो।”
विरोध का तरीका: खुला टोल गेट
गुस्साए कर्मचारियों ने किसी नारेबाजी या तोड़फोड़ का रास्ता नहीं चुना, बल्कि उन्होंने शांतिपूर्वक विरोध का एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने टोल गेट्स के सभी बैरियर हटा दिए और वाहनों को बिना रोकटोक निकलने दिया।
यह विरोध भले ही शांतिपूर्ण था, लेकिन असर बहुत बड़ा पड़ा। कुछ ही घंटों में हजारों वाहन बिना शुल्क दिए निकल गए, जिससे कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
कंपनी को भारी नुकसान
कंपनी सूत्रों के अनुसार, टोल प्लाजा से औसतन हर दिन लाखों रुपये की वसूली होती है। लेकिन धनतेरस के दिन टोल फ्री होने से लगभग ₹30 लाख की सीधी हानि हुई। अब कंपनी प्रबंधन इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहा है और यह पता लगाने की कोशिश में है कि विरोध कैसे और किसके निर्देश पर शुरू हुआ।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जैसे ही मामला सामने आया, स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए कदम उठाए। फतेहाबाद पुलिस और जिला प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारियों से पूछताछ भी की जा रही है।
एक अधिकारी ने बताया कि मामला कंपनी और कर्मचारियों के बीच का है, लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में सार्वजनिक संपत्ति या राजस्व को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।
त्योहार पर विवाद की छाया
दिवाली खुशियों का त्योहार है, लेकिन इस घटना ने स्थानीय स्तर पर उत्सव की चमक थोड़ी फीकी कर दी। जहां एक ओर लोग दीप जलाकर घरों को रोशन कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर टोल कर्मचारियों का गुस्सा चर्चा का विषय बना रहा।
कई लोगों ने कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति भी जताई। उनका कहना है कि कंपनी को त्योहारों पर कर्मचारियों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कर्मचारियों का विरोध भले जायज़ था, लेकिन इस तरह से टोल गेट खोल देना उचित तरीका नहीं था।
आगे क्या होगा?
फिलहाल कंपनी प्रबंधन इस बात पर विचार कर रहा है कि बोनस राशि में संशोधन किया जाए या नहीं। कुछ सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक चल रही है और कर्मचारियों को संतुष्ट करने के लिए बोनस बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है।
प्रशासन ने भी संकेत दिए हैं कि यदि कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से इस विवाद को सुलझा लेते हैं तो किसी पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इस पूरे मामले ने यह जरूर दिखा दिया कि छोटे कर्मचारियों की असंतुष्टि भी कितनी बड़ी आर्थिक चुनौती बन सकती है। एक दिन का विरोध कंपनी को लाखों रुपये के नुकसान में डाल सकता है, इसलिए प्रबंधन को भविष्य में कर्मचारियों की समस्याओं को पहले ही सुनना और सुलझाना चाहिए।
In a surprising incident from Fatehabad, Uttar Pradesh, toll workers opened toll gates in protest after receiving a reduced Diwali bonus of only ₹1100 compared to ₹5000 last year. This unexpected protest led to over 5,000 vehicles crossing without paying toll, causing a ₹30 lakh loss to the company. The Fatehabad toll protest highlights the growing tension between toll management and employees over fair festive bonuses in India.



















