AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल लगने वाले ‘जेठ मेले’ पर इस बार संकट के बादल मंडरा रहे हैं। प्रशासन ने अभी तक मेले की अनुमति नहीं दी है, जिससे इसके आयोजन को लेकर संशय बढ़ गया है।
सालार मसूद गाजी का इतिहास और विवाद
सैयद सालार मसूद गाजी, जिसे मोहम्मद गजनवी का भांजा बताया जाता है, ऐतिहासिक रूप से एक विवादास्पद व्यक्तित्व हैं। उन्हें कई लोग ‘आक्रांता’ और ‘लुटेरा’ मानते हैं, जबकि कुछ समुदायों के लिए वे धार्मिक श्रद्धा के प्रतीक हैं। हर साल उनकी दरगाह पर ‘जेठ मेला’ आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं।
हाल ही में, संभल जिले में सालार मसूद गाजी की याद में आयोजित ‘नेजा मेला’ की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी थी। इसी के चलते अब बहराइच में लगने वाले जेठ मेले पर भी रोक की आशंका जताई जा रही है।
नीलामी स्थगित, मेले पर रोक की आशंका
हर साल, इस मेले के आयोजन के लिए ठेका नीलामी होती है, जिससे दरगाह वक्फ नंबर-19 को करोड़ों रुपये का फायदा होता है। दुकानदार इस दौरान अपनी दुकानें लगाते हैं और लाखों की कमाई होती है। लेकिन इस बार, 2025-26 के मेले के लिए होने वाली नीलामी अचानक स्थगित कर दी गई।
अब तक प्रशासन की ओर से इस रोक के पीछे कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन हिंदू संगठनों के विरोध के कारण इस मेले के आयोजन पर संदेह बढ़ गया है।
सीएम योगी का बयान और विवाद की जड़
20 मार्च 2025 को बहराइच में एक कार्यक्रम के दौरान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सालार मसूद गाजी का नाम लिए बिना उन पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि,
“आक्रांताओं का महिमा मंडन देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना है।”
योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने सालार मसूद गाजी को युद्ध में हराकर मार गिराया था। सीएम के इस बयान के बाद, हिंदू संगठनों ने भी मांग की कि प्रशासन इस मेले को आयोजित करने की अनुमति न दे।
हिंदू संगठनों का विरोध
हिंदू संगठनों ने खुले तौर पर जेठ मेले के आयोजन का विरोध किया है। उनका मानना है कि सालार मसूद गाजी एक आक्रांता थे और ऐसे व्यक्ति के सम्मान में मेला आयोजित नहीं होना चाहिए। इस विरोध के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है, और अब तक मेले को लेकर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
संभावित परिणाम और आगे की राह
यदि प्रशासन इस मेले पर रोक लगाता है, तो यह पूर्वी भारत के सबसे बड़े वार्षिक मेलों में से एक के आयोजन को प्रभावित करेगा। दूसरी ओर, यदि अनुमति दी जाती है, तो विवाद और बढ़ सकता है।
सरकार और प्रशासन इस मामले पर कड़ा फैसला लेने की स्थिति में हैं, क्योंकि यह मामला धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील है।
The Jeth Mela at the Salar Masud Ghazi Dargah in Bahraich is facing uncertainty as Hindu organizations oppose its organization. The Uttar Pradesh administration has not yet granted permission for the event, and the auction for organizing the fair has been unexpectedly halted. CM Yogi Adityanath recently criticized historical invaders, indirectly referring to Salar Masud Ghazi, which has intensified the controversy. The Hindu organizations’ protest could lead to a potential ban on the Jeth Mela, making it a significant religious and political issue in Uttar Pradesh. Stay updated with the latest developments on this matter.