AIN NEWS 1 | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गर्म है। सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्षी महागठबंधन — दोनों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं। अब जनता के मन में सवाल है कि किस गठबंधन ने वादों की बरसात ज़्यादा की है, और किसके घोषणापत्र में बिहार के विकास की असली झलक दिखती है।
आइए जानते हैं, दोनों के प्रमुख वादों और योजनाओं की तुलना — नौकरियों से लेकर फ्री बिजली और महिलाओं के सशक्तिकरण तक।
1. रोजगार के मोर्चे पर कौन आगे?
NDA के वादे:
एनडीए ने अपने घोषणा पत्र में 1 करोड़ से अधिक सरकारी नौकरियां और रोजगार देने का वादा किया है।
बिहार में कौशल जनगणना कराकर युवाओं को कौशल आधारित रोजगार दिलाने की बात कही गई है।
हर ज़िले में मेगा स्किल सेंटर खोले जाएंगे ताकि बिहार को “ग्लोबल स्किलिंग हब” बनाया जा सके।
ऑटो, टैक्सी, ई-रिक्शा चालकों को ₹4 लाख का जीवन बीमा देने और उन्हें बिना गारंटी वाला वाहन लोन कम ब्याज दर पर देने की योजना भी शामिल है।
इसके साथ ही गिग वर्कर्स और ड्राइवर्स के लिए भी विशेष सहायता योजना लाई जाएगी।
महागठबंधन के वादे:
वहीं, महागठबंधन का दावा और भी प्रत्यक्ष है। उन्होंने कहा है —
हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
सरकार बनने के 20 महीने के अंदर रोजगार वितरण शुरू किया जाएगा।
मनरेगा मजदूरी ₹255 से बढ़ाकर ₹300 प्रतिदिन की जाएगी।
राज्य में लेबर गणना कराई जाएगी ताकि रोजगार योजनाओं का सही मूल्यांकन हो सके।
👉 सार: एनडीए ने बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की बात की है, जबकि महागठबंधन ने हर घर को सीधे नौकरी देने का वादा किया है।
2. महिलाओं के लिए योजनाएं: किसने दिया ज्यादा भरोसा?
NDA के वादे:
एनडीए ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने पर ज़ोर दिया है।
“मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” के तहत ₹2 लाख तक की सहायता राशि दी जाएगी।
एक करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाया जाएगा, यानी उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर कमाई के अवसर दिए जाएंगे।
महागठबंधन के वादे:
महागठबंधन ने महिलाओं के लिए कई ठोस प्रस्ताव रखे हैं —
सभी जीविका समूह की दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और ₹30,000 मासिक वेतन।
‘माई-बहिन मान योजना’ के तहत हर महिला को ₹2,500 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता।
राज्यभर में महिला कॉलेजों की स्थापना का भी वादा।
👉 सार: एनडीए आत्मनिर्भरता पर फोकस कर रहा है, जबकि महागठबंधन सीधी आर्थिक मदद और स्थायी पदों की बात कर रहा है।
3. अति पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के लिए योजनाएं
NDA के वादे:
अतिपिछड़ा वर्ग के लिए ₹10 लाख की आर्थिक सहायता योजना।
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में हाई-लेवल कमेटी बनेगी जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करेगी।
अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को हर महीने ₹2,000 की छात्रवृत्ति।
हर अनुमंडल में आवासीय विद्यालय और उद्यमियों के लिए वेंचर फंड।
महागठबंधन के वादे:
आबादी के अनुपात में आरक्षण सीमा (50%) बढ़ाने के लिए कानून पारित किया जाएगा।
इस कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजा जाएगा ताकि कानूनी सुरक्षा मिले।
👉 सार: एनडीए ने सीधी आर्थिक सहायता और शिक्षा पर फोकस किया है, जबकि महागठबंधन ने आरक्षण में सुधार की दिशा में बड़ा कदम सुझाया है।
4. फ्री बिजली का बड़ा मुकाबला
एनडीए: हर परिवार को 125 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा।
महागठबंधन: इससे आगे बढ़ते हुए 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा।
👉 सार: बिजली के मोर्चे पर महागठबंधन एनडीए से एक कदम आगे नज़र आ रहा है।
5. शिक्षा सुधार पर किसका ज़्यादा ध्यान?
NDA के वादे:
बिहार में केजी से पीजी तक मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
‘वर्ल्ड क्लास एजुकेशन सिटी’ की स्थापना।
₹5,000 करोड़ की लागत से मुख्य जिला स्कूलों का कायाकल्प।
महागठबंधन के वादे:
प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म और परीक्षा शुल्क खत्म किए जाएंगे।
छात्रों को परीक्षा केंद्र तक मुफ्त यात्रा सुविधा मिलेगी।
हर अनुमंडल में महिला कॉलेज खोला जाएगा।
👉 सार: एनडीए ने शिक्षा के ढांचे को सुधारने का रोडमैप दिया है, जबकि महागठबंधन ने छात्रों की आर्थिक परेशानी दूर करने पर जोर दिया है।
6. गरीबों के लिए राहत योजनाएं
NDA की ‘पंचामृत गारंटी’:
एनडीए ने गरीब वर्ग के लिए 5 बड़ी गारंटी दी हैं —
मुफ्त राशन
125 यूनिट मुफ्त बिजली
₹5 लाख तक मुफ्त इलाज
50 लाख नए पक्के मकान
सामाजिक सुरक्षा पेंशन
👉 सार: एनडीए ने गरीबों के लिए समग्र सुरक्षा कवच का वादा किया है, जबकि महागठबंधन ने सीधे नकद लाभ की बात की है।
बिहार की जनता के सामने दो अलग दृष्टिकोण
एनडीए का घोषणा पत्र विकास, कौशल और आत्मनिर्भरता पर केंद्रित है।
वहीं महागठबंधन का फोकस प्रत्यक्ष लाभ, रोजगार और आरक्षण विस्तार पर है।
अब फैसला बिहार की जनता के हाथ में है —
वे किसे चुनते हैं: दीर्घकालिक विकास या तुरंत राहत देने वाले वादे?



















