AIN NEWS 1: दिवाली के पवित्र पर्व पर जब अनगिनत दीपक जलते हैं और आतशबाज़ियाँ गगन को रोशन करती हैं, तो इस वर्ष मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में एक बेहद चिंताजनक घटना सामने आई। कुछ-सस्ते ₹150–₹200 की कार्बाइड-गन ने बच्चों-युवाओं सहित दर्जनों लोगों को ऐसी आँखों की चोटें दीं कि उनकी रोशनी तक दांव पर लग गई। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे- क्या हुआ, क्यों हुआ, इसके खतरे क्या हैं और आप-हम अपने-अपनों को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
दुर्घटना की रूपरेखा
दिवाली की खुशियाँ जैसे-जैसे फैल रही थीं, कुछ इलाकों में बच्चों-युवाओं ने प्लास्टिक के ढांचे वाली छोटी-सी गन-नुमा यंत्र सेवा में ली। इसमें छोड़ी जाती थी कैल्शियम कार्बाइड की गुठली, जिसे पानी मिलते ही गैस बनती थी और अचानक विस्फोट करती थी- बेहद जोर से। इस विस्फोट ने आँखों को सीधे निशाना बनाया। अस्पतालों में ऐसा देखा गया कि कम-उम्र मरीज अचानक अपनी दृष्टि खोने की शिकायत लेकर भर्ती हो रहे थे। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि 100 से ज़्यादा व्यक्ति घायल हुए, और कुछ क्षेत्रों में ये संख्या 125 या 150 के करीब भी गयी। हालांकि, “125 लोगों की रोशनी पूरी तरह छीन ली” जैसा मंत्र भयावह है, पर सभी की दृष्टि स्थायी रूप से चली गयी हो-ऐसा साबित नहीं हुआ।
कार्बाइड-गन का विज्ञान और खतरें
तो समझिए- यह ‘गन’ दरअसल हथियार नहीं, बल्कि एक घरेलू यंत्र है जिसमें कैल्शियम कार्बाइड + पानी → एसिटिलीन गैस बन जाती है। इस गैस का अचानक विस्फोट करता है, जिससे तेज़ गर्मी, आवाज़ के साथ दबाव-झटका और रसायनिक स्प्लैश भी आँखों की ओर जा सकते हैं। कॉर्निया, रेटिना और अन्य संवेदनशील हिस्से इस कारण बहुत प्रभावित होते हैं। जब ये हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाएँ, दृष्टि कम होना, धुंधला दिखाई देना या पूर्ण दृष्टिहानि तक हो सकती है।
आँकड़ों की स्थिति
— कई अस्पतालों और जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि इस वर्ष दिवाली के समय मध्य प्रदेश में “100+ हॉस्पिटलाइज़ड” आँखों की चोटें आईं।
— कुछ रिपोर्ट्स 125–186 के बीच संख्या दे रही हैं, लेकिन इनमें स्थायी अंधता की संख्या स्पष्ट नहीं।
— उदाहरण के लिये- भोपाल के एक अस्पताल में बताया गया कि 14 बच्चों को स्थायी दृष्टि-हानि हो गयी।
इसलिए, कुल रूप में कह सकते हैं: “सैकड़ों घायल, कुछ ने दृष्टि खोई” — मगर सभी की रोशनी पूरी तरह चली गयी-ऐसा निष्कर्ष अभी नहीं।
सामाजिक-मानविक प्रभाव
एक छोटी-सी यंत्र ने गाँव-शहर दोनों में उत्सव को डर में बदल दिया। जब एक बच्चा खेल-खेल में गन चलाता, विस्फोट के बाद आँखों में दर्द-जलखरोश और अंधेरा-बहुत कुछ बदल गया। परिवारों की खुशियाँ जैसे रंग फीकी कर दी गयी थीं — उत्सव का माहौल इसके बावजूद बना रहा, पर पीछे-छोटी भय की गूँज थी। बच्चों के माता-पिता डर गए थे कि कहीं उनका तीन-चार साल का बच्चा आँखों से नजर खो न बैठे। शिक्षक-विद्यालयों में सवाल उठे कि क्या बच्चों के लिए ऐसे विस्फोटक सामान पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए।
प्रशासन और स्वास्थ्य-प्रतिक्रिया
राज्य-शासन ने तुरंत-कुछ जिलों में ‘कार्बाइड गन’ पर रोक लगाई और सार्वजनिक चेतावनी जारी की कि ये घातक हो सकती हैं-विशेषकर देखें: आँखों का जोखिम। अस्पतालों ने आपात-दृष्टि-चिकित्सा (ophthalmic emergency) कैम्प चलाये; आँखों के बेहद संवेदनशील हिस्सों के लिए विशेष ऑपरेशन प्लान बने। कुछ जिलों में पुलिस ने ऐसी गन बेचने-खरीदने वालों की निगरानी तेज की।
सुरक्षा-सुझाव: आप खुद कैसे बच सकते हैं
अगर आप या आपके बच्चे उत्सव में ‘गन’ जैसा कोई इनपुट इस्तेमाल करने जा रहे हों—पहले जान लें- वह कार्बाइड-गन हो सकता है। इसे बिलकुल हल्के-फुल्के खेल जैसा न लें।
आँखों की सुरक्षा करें- चश्मा पहनें, चेहरे को कोने-मुँह से हटाकर रखें।
विस्फोट-तत्काल बाद आँखों में दर्द-जलन-धुंधला दिखें-तो तुरंत अस्पताल पहुँचें; जितनी जल्दी चिकित्सा मिलेगी, उतना बेहतर नतीजा होगा।
बच्चों को ऐसे खेल-उपकरण-वगैरा से दूर रखें जिनका स्रोत-अविश्वसनीय हो।
राज्य-प्रशासन द्वारा जारी चेतावनियों से अवगत रहें और स्थानीय कंट्रोल-रूम नंबर अपने पास रखें।
क्या सीख मिले-या?
उत्सव हमें खुशियाँ देता है, लेकिन हमें स्वयं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी होती है। ‘सस्ता’ और ‘मज़ेदार’ दिखने वाला खेल-उपकरण कभी-कभी भारी कीमत पर पड़ सकता है — जैसे कि इस बार आँखों की रोशनी। हम-आप सब मिलकर सुनिश्चित कर सकते हैं कि अगले वर्ष दिवाली का उल्लास बिना भय के, सुरक्षित रूप से मना सकें।
Many families in Madhya Pradesh suffered from serious eye injuries this Diwali due to cheap carbide-guns, raising alarm over the dangers of calcium carbide explosions, permanent vision loss and inadequate regulation of hazardous festive explosives.



















