Thursday, January 9, 2025

जेपी ग्रीन्स, जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन स्पोर्ट्स सिटी , काफ़ी मुस्किल मे है हजारों होमबायर्स , ये है वजह

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Ainnews1.com नई दिल्ली: जेपी ग्रुप के प्रोजेक्ट्स में फ्लैट्स बुक करने वालों की मुश्किल अब बढ़ सकती है। ग्रुप की एक और कंपनी इनसॉल्वेंसी में जा सकती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जेपी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के खिलाफ एनसीएलटी (NCLT) का दरवाजा अब खटखटाया है। इससे जेपी ग्रीन्स , जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन स्पोर्ट्स सिटी जैसे प्रोजेक्ट्स में फ्लैट्स बुक कराने वाले हजारों होमबायर्स की मुश्किल काफ़ी बढ़ सकती है। जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 27 हजार करोड़ रुपये का कुल कर्ज है। एसबीआई का कहना है कि कंपनी ने 6,893 करोड़ रुपये के कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट अब तक किया है। जेपी ग्रुप के पास ग्रेटर नोएडा में एफ1 ट्रैक के साथ-साथ कई होटल, गोल्फ कोर्स, सीमेंट प्लांट्स और कोल ब्लॉक्स भी हैं। लेकिन पिछले कुछ साल से उसकी वित्तीय स्थिति कुछ ठीक नहीं है। ग्रुप की दो कंपनियां आंध्र सीमेंट और जेपी इन्फ्राटेक पहले ही इनसॉल्वेंसी से गुजर रही हैं। जेपी इन्फाटेक के खिलाफ पांच साल पहले इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की गई थी और उसके होमबायर्स को अब भी फैसले का इंतजार बेसब्री से है। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जयप्रकाश एसोसिएट्स की दी गई कुछ जमीनों की लीज भी कैंसल कर दी है। इसकी वजह यह बाकि रही कि कंपनी बकाये का भुगतान करने में नाकाम रही।अगस्त 2017 में केंद्र सरकार और आरबीआई ने इनसॉल्वेंसी एक्शन के लिए जिन 26 कंपनियों की पहचान की थी, उनमें जयप्रकाश एसोसिएट्स को भी शामिल किया गया था। इस कंपनी पर भी कई बैंकों का कर्ज है। लेकिन दूसरे बैंकों का कहना है कि इस देरी के लिए एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक जिम्मेदार हैं। हालांकि इस बारे में सितंबर 2018 में ही याचिका दाखिल कर दी गई थी। इस लोन को मार्च 2016 में ही एनपीए के तौर पर क्लासीफाई भी कर दिया गया था।एसबीआई ने 6893 करोड़ रुपये के भुगतान में डिफॉल्ट की वजह से जयप्रकाश एसोसिएट्स के खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है।

बैंक ने भुवन मदन को अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त करने का प्रस्ताव भी रखा है। जेपी ग्रुप के एक सीनियर अधिकारी ने टीओआई से कहा कि हम याचिका का जवाब जरुर देंगे। कंपनी तो बैंकों का बकाया क्लीयर करना चाहती है। हमने 40,000 करोड़ रुपये की एसेट्स अभी बेची है और हमें उम्मीद है कि इसका समाधान हो जाएगा। मार्च, 2022 में खत्म हुए फाइनेंशियल ईयर में कंपनी को 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कंपनी मैनेजमेंट का कहना है कि बैंकों ने 2017 में डेट रिजॉल्यूशन प्लान पर भी सहमति जताई थी लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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