सावधान ! बच्चो को रखे सोशल मीडिया प्लेटफॉम से दूर।
आजकल सोशल मीडिया से काफी लोग जुड़े है काफी क्या अधिकतर सभी सोशल मीडिया के किसी ना किसी प्लेटफॉम से आवश्यक जुड़े होते है। आजकल हर व्यक्ति स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा है बड़ो के साथ – साथ बच्चों के अन्दर भी मोबाइल का लत देखने को मिल रहा है और इस लत का कारण काफी हद तक माता पिता ही जिम्मेदार होते है बचपन से ही बच्चो को फोन का आदत डाल देते है । बच्चे को चुप कराने या खाना खिलाने के लिए मोबाइल थमा देते है वहीं अब बड़े बच्चो को पढ़ाई के लिए मोबाइल की आवशयता होती है। क्या कभी माता पिता बच्चे का मोबाइल देखते है कि क्या कर देखते है उनके बच्चे। बता दें कि बच्चों से लेकर बड़ों तक में आजकल सोशल मीडिया का काफी क्रेज देखने को मिल रहा है। हालांकि सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल बच्चों पर गलत प्रभाव डाल रहा है। आजकल बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे टिकटॉक, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, और स्नैप चैट पर काफी सक्रिय रहते हैं। लेकिन यह आदत उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। आजकल देखा होगा अपने की अधिकतर बच्चे सोशल पर ही रहते है
बता दे कि स्कूलों का कहना है कि सोशल मीडिया के कारण बच्चों और बडो के मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ रहा है बच्चों और किशोरों के दिमाग पर सोशल मीडिया के पड़ने वाले असर को लेकर कई स्टडी भी हुई हैं, जिनमें चौंकाने वाली कुछ बातें सामने आई हैं।
सोशल मीडिया से हो सकती है काफी समस्साएं
वहीं कुछ मनोचिकित्सकों का कहना है कि हाल ही में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल ने बच्चों में तनाव की समस्या बढ़ाई है। मोबाइल और सोशल मीडिया की लत ने बच्चों में एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं पैदा की हैं। मोबाइल पर ज्यादा और बेवजह वक्त बिता रहे बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो रहा है और आने वाले समय मे बच्चो को सोशल मीडिया से काफी दिक्कत का सामना करना पढ़ता है। और देखते ही देखते बच्चो को सोशल मीडिया की ऐसी लत लग जाती है जिसको मिटा पाना मुश्किल है।
आये दिन सोशल मीडिया के द्वारा केस भी बढ़ते जा रहे है अभी हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, बच्चों की ब्रेन मैपिंग में पाया गया कि इसका असर बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा है। अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के न्यूरो वैज्ञानिकों ने इस पर स्टडी की और बताया कि जो बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार बार चेक करते हैं उनके ब्रेन का आकार छोटा रहता है। इस स्टडी में लगातार तीन सालों तक उत्तरी कैरोलिना के कुछ स्कूलों के 170 छात्रों का डेटा लिया गया। इन बच्चों को दिन में कम से कम एक बार और 20 से अधिक बार लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट आदि को इस्तेमाल करने के आधार पर बच्चों को विभाजित किया गया। इस दौरान इन बच्चों की ब्रेन मैपिंग की गई। इसमें उनके मस्तिष्क के विकास संबंधी अलग-अलग परिवर्तन देखने को मिले। स्टडी में सामने आया कि सोशल मीडिया अपने प्लेटफॉर्म पर लाइक, कमेंट, नोटिफिकेशन और मैसेज चेक करते रहने की इच्छा भी पैदा करता है। इससे 12 से 15 साल के किशोरों का दिमाग अच्छी तरह से विकसित नहीं हो पाता है और सोशाल मीडिया पर आपना अकाउंट बना लेते है और रात-रात भर सोशल मीडिया पर एक्टीव रहते है और इसी कारण काफी दिक्कतो का सामना भी करना पढ़ता है। सबसे ज्यादा बच्चे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रात भर ऑनलाइ रहते है।