120 लोगों की गई जान 3,000 से ज्यादा लोग हुऐ घायल ! लगातार हो रही है गोलीबारी ,कब होगा इसका अन्त ?

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120 लोगों की गई जान 3,000 से ज्यादा लोग हुऐ घायल ! लगातार हो रही है गोलीबारी ,कब होगा इसका अन्त ?
मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही हैं बार बार गोलीबार हो रही है । बता दें कि मणिपुर में 3 मई को भड़की जातीय हिंसा को अब दो महीने हो गई है इसमें मरने वालो की सख्या अब तक करीब 120 लोगों की जान जा चुकी है और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए है और अभी भी हिसां रुकने का नाम नहीं ले रही है लगातार गोलीबार की घटनाएं सामने आ रही है।
बताय जा रहा है कि दो स्थानों पर रुक-रुक कर गोलीबार होने की घटना सामने आ रही है
सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि पहली घटना मंगलवार शाम की है तकरीवन सात- आठ बजे के करीब खोइजुमतंबी इलाके में दो समुदायों के बीच जोरदाड़ गोलीबारी हुई। वहीं अगर दूसरी घटना की बात करें तो यह घटना बुधवार सुबह साढ़े चार बजे के समय फेलेंग के पूर्व में राज लाइन पर हुई । बता दें कि दोनों ही घटना में किसी भी व्यक्ति की मौत नही हुई है।
क्या है पुरा मामला?
आपको बता दे कि मामला मणिपुर है । मणिपुर का मेहती समुदाय उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मागे कर रहा है। इसके खिलाफ तीन मई को राज्य के पर्वतीय जिलों में आदिवासीयों ने एक साथ इक्ठ्रठा मार्च निकाया गया, जिसके बाद राज्य में हिंसा शुरु हो गई।
अब तक हिसां को दो महीने हो चुके है इसमें 120 लोगों की जान भी जा चुकी है और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हो चुके है।
कैसे शुरुआत हुई हिंसा की ?
इस हिंसा की शुरुआत चुराचंदपुर जिले से हुई। ये राजधानी इम्फाल के दक्षिण में करीब 63 किलोमीटर की दूरी पर है। बता दे कि इस जिले में कुकी आदिवासी ज्यादा हैं। और यह हिंसा भी आदिवासी कर रहे है गवर्नमेंट लैंड सर्वे के विरोध में 28 अप्रैल को द इंडिजेनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचंदपुर में आठ घंटे बंद का ऐलान किया था। और देखते ही देखते इस बंद ने हिंसक रूप ले लिया। उसी रात तुइबोंग एरिया में उपद्रवियों ने वन विभाग के ऑफिस को आग के हवाले कर दिया। 27-28 अप्रैल की हिंसा में मुख्य तौर पर पुलिस और कुकी आदिवासी आमने-सामने थे।
और इसके बाद ठीक पांचवें दिन यानी तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने ‘आदिवासी एक साथ इक्ठ्रठा होकर मार्च’ निकाला। ये मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के विरोध में था। यहीं से स्थिति काफी बिगड़ गई। आदिवासियों के इस प्रदर्शन के विरोध में मैतेई समुदाय के लोग खड़े हो गए। लड़ाई के तीन पक्ष हो गए। और देखते ही देखते हिसां इतनी ज्यादा बढ़ गई है इसमें कई लोगो की जान भी जा चुकी है और कई लोग घायल भी हो गए है।
एक तरफ मैतेई समुदाय के लोग थे तो दूसरी ओर कुकी और नागा समुदाय के लोग। देखते ही देखते पूरा प्रदेश इस हिंसा की आग में जलने लगा। चार मई को चुराचंदपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की एक रैली होने वाली थी। पूरी तैयारी हो गई थी, लेकिन रात में ही उपद्रवियों ने टेंट और कार्यक्रम स्थल पर आग लगा दी। सीएम का कार्यक्रम स्थगित हो गया।

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