AIN NEWS 1 संभल: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद 1978 के संभल दंगे एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। सीएम योगी ने इशारा किया कि पुराने दंगों की भी जांच हो सकती है। इस पर संभल के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि यदि किसी की ओर से शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
1978 का सांप्रदायिक दंगा: कैसे भड़की हिंसा
29 मार्च 1978 को संभल में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। इस दौरान करीब एक दर्जन हिंदुओं को जिंदा जलाने की खबर ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी। महीनों तक कर्फ्यू लगा रहा। दंगे का कारण धार्मिक तनाव और कॉलेज प्रबंधन में विवाद था।
मामला कहां से शुरू हुआ
घटना महात्मा गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज से जुड़ी थी। ट्रक यूनियन ने कॉलेज को 10,000 रुपये का चेक दिया था, जिसकी रसीद मंजर शफी के नाम पर जारी की गई। इसके आधार पर मंजर शफी कॉलेज प्रबंधन समिति में शामिल होना चाहते थे। लेकिन एसडीएम, जो समिति के उपाध्यक्ष थे, ने इसे मान्यता नहीं दी।
इसके अलावा, होली के दिन (25 मार्च) धार्मिक स्थलों पर विवाद की स्थिति बन गई। होलिका दहन के स्थान पर एक खोखा रखा गया था और दूसरी जगह एक चबूतरा बनाया गया। बाद में प्रशासन ने खोखा हटाकर होलिका दहन कराया।
दंगों के दिन: कैसे बिगड़े हालात
28 मार्च 1978 को कॉलेज में एक कार्यक्रम आयोजित होना था, जिसमें छात्रों को उपाधियां दी जानी थीं। लेकिन कुछ मुस्लिम छात्राओं ने प्राचार्य से मिलकर कार्यक्रम रद्द करने की मांग की। जब प्राचार्य ने कार्यक्रम निरस्त कर दिया, तो विद्यार्थी संघ के पदाधिकारी भड़क गए। इसी दौरान एक छात्र चंद्रपाल के साथ मारपीट हुई, जिसके बाद मामला थाने तक पहुंच गया।
29 मार्च को नगर पालिका कर्मचारियों और रिक्शा चालकों का प्रदर्शन हो रहा था। इस दौरान असामाजिक तत्वों ने भीड़ को भड़काया। मंजर शफी अपने समर्थकों के साथ बाजार पहुंचे और जबरन दुकानें बंद कराने लगे। व्यापारियों के विरोध के बाद हिंसा भड़क उठी। पथराव, लूटपाट, आगजनी और फायरिंग के बीच कई हिंदू परिवारों को जान-माल का नुकसान हुआ।
दंगे के नतीजे और पलायन
दंगे के दौरान एक दर्जन हिंदुओं की हत्या की खबर से संभल में भय फैल गया। दहशत के कारण कई हिंदू परिवारों ने इलाके से पलायन कर लिया।
क्या अब होगी कार्रवाई?
सीएम योगी के बयान के बाद संभल दंगों की जांच की संभावना बढ़ गई है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि अगर शिकायत दर्ज होती है, तो प्रशासन इस मामले पर जरूर कार्रवाई करेगा।
1978 के इन दंगों ने न केवल संभल, बल्कि पूरे राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द पर गहरा प्रभाव डाला था। अब देखना है कि इस मामले में न्याय के दरवाजे खुलते हैं या नहीं।