AIN NEWS 1: 2025 में दीपावली का पर्व छह दिनों तक मनाया जाएगा, जो एक दुर्लभ संयोग है। आमतौर पर दिवाली पाँच दिनों का त्योहार होता है, लेकिन इस साल तिथियों के संयोग ने इसे एक दिन और लंबा बना दिया है। इस बार मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी, जबकि 21 अक्टूबर का दिन बिना किसी मुख्य त्योहार के रहेगा। आइए जानते हैं विस्तार से — क्यों ऐसा हुआ और इस दिन क्या करना शुभ रहेगा।
दिवाली की शुरुआत धनतेरस से
इस साल 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस के साथ दीपावली उत्सव की शुरुआत होगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा का विधान है। इसके बाद क्रमशः 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) और 20 अक्टूबर को बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजा) मनाई जाएगी।
आम तौर पर दीपावली पाँच दिनों का पर्व माना जाता है — धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज। लेकिन इस बार चंद्रमा की चाल और तिथियों के विस्तार के कारण यह पर्व छह दिनों तक चलेगा।
क्यों 20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दिवाली?
कई लोग भ्रमित थे कि दिवाली 20 अक्टूबर को होगी या 21 अक्टूबर को। पंचांगों के अनुसार, इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की रात से पूरी रात तक रहेगी, जो निशीथ व्यापिनी अमावस्या कहलाती है।
महानिशा पूजा और लक्ष्मी पूजन इसी निशीथ काल में किए जाते हैं, इसलिए दिवाली का मुख्य पर्व 20 अक्टूबर की शाम से रात तक मनाया जाएगा।
20 अक्टूबर की शाम को प्रदोष काल, गोधूली बेला और निशीथ काल — तीनों ही शुभ संयोग बन रहे हैं। यही कारण है कि लक्ष्मी पूजन, दीपदान और महानिशा पूजा 20 अक्टूबर को ही उचित मानी गई है।
21 अक्टूबर को क्यों नहीं है कोई मुख्य त्योहार?
21 अक्टूबर को भी अमावस्या तिथि बनी रहेगी, लेकिन शास्त्रों के अनुसार दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा तभी होती है जब शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि प्रारंभ हो जाती है।
इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। 21 अक्टूबर को अभी भी अमावस्या तिथि का प्रभाव रहेगा, इसलिए इस दिन किसी प्रमुख त्योहार का आयोजन नहीं किया जाएगा।
क्या होता है सामान्य रूप से?
आमतौर पर दिवाली की रात के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, क्योंकि अधिकतर वर्षों में अमावस्या खत्म होकर अगले दिन प्रथमा तिथि आ जाती है। लेकिन 2025 में अमावस्या का समय थोड़ा लंबा खिंच रहा है।
इस वजह से प्रथमा तिथि 22 अक्टूबर को प्रारंभ होगी, और गोवर्धन पूजा उसी दिन होगी।
22 अक्टूबर को होगी गोवर्धन पूजा
22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि रहेगी, जो गोवर्धन पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप में गाय के गोबर से मॉडल बनाया जाता है।
लोग अन्नकूट प्रसाद बनाकर बांटते हैं, और गायों की पूजा करते हैं।
इस बार गोवर्धन पूजा दिवाली के ठीक अगले दिन नहीं, बल्कि एक दिन के अंतराल के बाद यानी 22 अक्टूबर को होगी।
इसके बाद 23 अक्टूबर को भाई दूज मनाई जाएगी।
ऐसा ही संयोग साल 2022 में भी बना था
साल 2022 में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी। उस वर्ष दीपावली 24 अक्टूबर को थी और उसी दिन सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को पड़ा था।
ग्रहण के कारण सूतक लगने से पहले ही पूजा संपन्न कर ली गई थी। इसके चलते गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन नहीं, बल्कि 26 अक्टूबर 2022 को हुई थी।
2022 का कैलेंडर कुछ यूं था:
दिवाली: 24 अक्टूबर
सूर्य ग्रहण: 25 अक्टूबर
गोवर्धन पूजा: 26 अक्टूबर
भाई दूज: 27 अक्टूबर
उस समय भी अमावस्या की तिथि दो दिनों में फैली थी, इसलिए गोवर्धन पूजा एक दिन बाद की गई।
2025 में भी वैसी ही स्थिति बनी है — हालांकि इस बार ग्रहण नहीं है।
क्यों लंबी हुई अमावस्या तिथि?
इस साल अमावस्या तिथि का प्रभाव 20 और 21 अक्टूबर दोनों दिन रहेगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा के सूर्य से संयोग का समय दोनों तारीखों में फैल गया है।
जब अमावस्या दो तारीखों पर पड़ती है, तो शास्त्रों में कहा गया है कि जिस दिन निशीथ काल में अमावस्या होती है, वही दिन दिवाली के लिए उपयुक्त होता है।
इसलिए 20 अक्टूबर को दिवाली और 22 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का निर्धारण हुआ है।
तो 21 अक्टूबर को क्या करें?
भले ही 21 अक्टूबर को कोई बड़ा त्योहार नहीं है, लेकिन यह दिन अमावस्या तिथि होने के कारण धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व
कार्तिक अमावस्या को गंगा स्नान या नदी स्नान का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यदि गंगा या तीर्थ स्थान जाना संभव न हो तो घर पर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी शुभ फल देता है।
शनिदेव की विशेष पूजा
अमावस्या का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है।
इस दिन निम्न कार्य करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है:
शनिदेव के मंदिर जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं
काले तिल, वस्त्र और धन का दान करें
शनि चालीसा या हनुमान चालीसा का पाठ करें
गरीबों को भोजन करवाएं या अन्नदान करें
मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की पूजा करने से ग्रह दोषों का प्रभाव कम होता है और जीवन में स्थिरता आती है।
अमावस्या और आध्यात्मिक साधना
कार्तिक अमावस्या को अध्यात्म और आत्ममंथन का दिन माना गया है।
यह दिन अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है — यही संदेश दिवाली भी देती है।
इस दिन ध्यान, योग और दान करने से मनुष्य के भीतर की नकारात्मकता समाप्त होती है।
अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों को भी याद करने का विधान है। पितरों के लिए तर्पण और दीपदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
2025 में दीपावली का उत्सव 18 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक चलेगा।
इस बार त्योहारों का क्रम इस प्रकार रहेगा:
तारीख पर्व का नाम
18 अक्टूबर धनतेरस
19 अक्टूबर छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी)
20 अक्टूबर बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
21 अक्टूबर अमावस्या — शनिदेव पूजा, स्नान-दान
22 अक्टूबर गोवर्धन पूजा
23 अक्टूबर भाई दूज
इस प्रकार 2025 की दिवाली न केवल छह दिनों तक चलेगी, बल्कि इसमें आध्यात्मिक और खगोलीय दृष्टि से भी विशेष योग बन रहे हैं।
20 अक्टूबर को दीपों से जगमग होगी रात, 21 अक्टूबर को आत्मशुद्धि और शनिदेव की उपासना का अवसर मिलेगा, और 22 अक्टूबर को गोवर्धन पर्वत की पूजा से समृद्धि का आशीर्वाद।
Diwali 2025 will be celebrated on October 20, while Govardhan Puja 2025 falls on October 22. Interestingly, October 21 has no major festival but holds great spiritual importance as Kartik Amavasya, a day for Shani Puja, river bathing, and charity. This year, the Diwali festival extends for six days due to overlapping lunar dates, starting with Dhanteras on October 18 and ending with Bhai Dooj on October 23. Know the complete Hindu calendar for Diwali 2025, the significance of Amavasya, and why Govardhan Puja is a day later this year.



















