AIN NEWS 1: बता दें RBI ने मई से सितंबर के दौरान 4 बार रेपो रेट को बढ़ाकर 4 फीसदी से 5.9 परसेंट पर पहुंचा दिया। इस तेज बढ़ोतरी की वजह महंगाई में कमी करना था। अब जिस तरह से सितंबर में रिटेल महंगाई के आंकड़े आए हैं और अक्टूबर में भी इसमें तेजी रहने की आशंका है उसे देखते हुए RBI की अगली बैठक में भी ब्याज दरें बढ़ना तय नजर आता है। लेकिन इन सब कदमों के बावजूद 9 महीने से महंगाई दर RBI के संतोषजनक स्तर से ऊपर ही बनी हुई है। ऐसे में RBI को अब केंद्र सरकार को रिपोर्ट देकर विस्तार से इसकी वजह बतानी होगी। रिपोर्ट में RBI सरकार को इस बात की जानकारी देगी कि महंगाई को निर्धारित दायरे में क्यों नहीं रखा जा सका और इसे कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
3 तिमाहियों से बेकाबू है महंगाई दर!
रिजर्व बैंक अधिनियम के मुताबिक अगर महंगाई दर तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने में लगातार तीन तिमाहियों में चूक जाती है तो फिर आरबीआई का ये दायित्व है कि वो केंद्र सरकार को इसकी रिपोर्ट दे। मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में अमल में आने के बाद ये पहली बार होगा कि रिजर्व बैंक को रिपोर्ट के द्वारा सरकार को अपने उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी। आरबीआई को रिटेल महंगाई दर को 4 से फीसदी पर रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। इसमें 2 फीसदी की बढ़ोतरी या कमी होने पर भी ये टारगेट के भीतर ही रहती है। लेकिन बीते 9 महीनों यानी 3 तिमाहियों से रिटेल महंगाई दर लगातार 6 फीसदी से ऊपर ही बनी हुई है।
जवाब देने से पहले बुलाई जाएगी MPC की बैठक
3 तिमाहियों से खुदरा महंगाई दर के तय दायरे से बाहर रहने के बाद अब मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सचिव को आरबीआई कानून के तहत इस बारे में चर्चा के लिए एमपीसी की अलग से बैठक बुलानी होगी। इस बैठक के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। एमपीसी की ये बैठक दिवाली के अगले दिन हो सकती है। इसकी वजह है कि फिलहाल RBI के वरिष्ठ अधिकारी IMF और वर्ल्ड बैंक की बैठकों में भाग लेने के लिए अमेरिका गए हैं। सितंबर में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई लक्ष्य में चूक को लेकर केंद्र को भेजे जानी वाली रिपोर्ट को दो पक्षों के बीच का गोपनीय मामला बताते हुए इसे सार्वजनिक करने से साफ इंकार कर दिया था।
RBI का कामकाज सवालों के घेरे में आएगा
अगर मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों तक तय की गई ऊपरी या निचली सीमा से बाहर रहती है तो इसे आरबीआई की चूक माना जाएगा। इसे सरकार के तय किए गए दायरे में रखने की जिम्मेदारी तकनीकी तौर पर आरबीआई की होती है। RBI ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए रेपो रेट को बढ़ाने का विकल्प आजमाया है। लेकिन इसके बावजूद महंगाई दर संतोषजनक स्तर के दायरे से काफी ऊपर बनी हुई है। 2021 में भी 3 तिमाहियों तक महंगाई दर इसी तरह से संतोषजनक स्तर के पार बनी रही थी। लेकिन उस वक्त कोविड की वजह से ये माना गया था कि कई सारे उपाय करने मुमकिन नहीं है लिहाजा उस वक्त आरबीआई सरकार को जवाब देने से बच गया था।
सितंबर में केवल 6 सामान के दाम घटे
राष्ट्रीय सांख्यिकीय मंत्रालय के मुताबिक सितंबर में केवल 6 वस्तुओं के दाम अगस्त के मुकाबले हैं। बाकी ज्यादातर सामान के दाम सितंबर में अगस्त के मुकाबले बढ़ गए। इस वजह से अगस्त के 7% के मुकाबले रिटेल महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 7.41% पर पहुंच गई। ये 5 महीनों का उच्चतम स्तर है। सितंबर में खाने-पीने के सामान के दाम सबसे ज्यादा बढ़े हैं। सितंबर में खाद्य महंगाई दर 8.6% के साथ 22 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। अगस्त में खाद्य महंगाई दर 7.62% थी।
अक्टूबर में भी जमकर सताएगी महंगाई
त्योहारों में डिमांड बढ़ने और अक्टूबर में हुई बेमौसम बरसात ने महंगाई में अचानक से बढ़ोतरी कर दी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 9 से 11 अक्टूबर के बीच गेहूं, आटा, चावल, दाल, तेल, और आलू-प्याज के भाव 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चावल का दाम 9 अक्टूबर के 37.65 रुपये किलो से बढ़कर 11 अक्टूबर को 38.06 रुपये प्रति किलो हो गया। गेहूं की कीमत 30.09 से बढ़कर 30.97 रुपये प्रति किलो हो गई। आटा 35 रुपये से बढ़कर 36.26 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया।
त्योहारों में महंगी हो गईं दाल-सब्जियां
त्योहारों में लोगों की रसोई का बजट सब्जियों और दालों की कीमतों से बिगड़ने का डर है। 9 अक्टूबर को 26.36 रुपये में मिलने वाला आलू 11 अक्टूबर को बढ़कर 28.20 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया। वहीं प्याज 24.31 रुपये किलो की जगह अब 27.28 प्रति किलो में मिल रही है। टमाटर के दाम भी 43.14 से बढ़कर 45.97 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। इसी तरह अरहर दाल 110 रुपये से बढ़कर 112 रुपये, चना दाल 71.21 से बढ़कर 74 रुपये, मूंग दाल 101.54 रुपये से बढ़कर 103.49 रुपये, उड़द दाल 106.53 रुपये से बढ़कर 108.77 रुपये और मसूर दाल 94.17 रुपए से बढ़कर 95.76 रुपये प्रति किलो हो गई है।