AIN NEWS 1: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में प्रस्तावित बाबरी मस्जिद परियोजना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कुछ दिनों पहले टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने की घोषणा की थी, जिसके बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया। अब इस पूरे मामले में एक नई जानकारी सामने आई है—स्थानीय किसानों ने कथित तौर पर अपनी जमीन मस्जिद निर्माण के लिए देने से मना कर दिया है। इसी वजह से यह दावा किया जा रहा है कि मस्जिद निर्माण की योजना फिलहाल रोक दी गई है।
हालांकि, इस पूरे विवाद में स्पष्ट दस्तावेज़ या आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, फिर भी इस मुद्दे ने राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ी बहस छेड़ दी है।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
कुछ सप्ताह पहले मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में बाबरी मस्जिद निर्माण के पोस्टर सामने आए। बताया गया कि इसके पीछे स्थानीय टीएमसी विधायक हुमायूँ कबीर की पहल है, जिन्होंने दावा किया कि उन्होंने मस्जिद निर्माण के लिए लगभग 20 बीघा जमीन की व्यवस्था कर ली है। उन्होंने यह भी कहा कि 6 दिसंबर को मस्जिद की नींव रखी जाएगी, जो अयोध्या विवाद और बाबरी मस्जिद मुद्दे के इतिहास को देखते हुए बहुत संवेदनशील तिथि है।
इस घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई। टीएमसी पार्टी ने इस पहल से खुद को अलग कर लिया और कहा कि यह विधायक का व्यक्तिगत कदम है, पार्टी का नहीं। वहीं भाजपा नेताओं ने इस कदम को “तुष्टिकरण की राजनीति” बताया।
किसान क्यों विरोध में आए?
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, स्थानीय किसानों ने जमीन देने से साफ इनकार कर दिया है। बताया जा रहा है कि जिन जमीनों का उल्लेख किया गया, वे कृषि योग्य हैं और वर्षों से स्थानीय किसानों की आजीविका का आधार रही हैं। किसानों का कहना है कि वे अपनी उपजाऊ जमीन किसी निर्माण परियोजना के लिए नहीं दे सकते।
कुछ रिपोर्टों में यह भी दावा किया गया कि किसानों को इस परियोजना के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई थी। बाद में जब उन्हें जमीन अधिग्रहण की बात पता चली, तो उन्होंने विरोध जताया। हालांकि, इस बात को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि कितने किसानों ने विरोध किया या क्या कोई लिखित आपत्ति दर्ज कराई गई है।
योजना का ‘फेल’ होना—सच क्या है?
कुछ मीडिया स्रोतों ने खबर प्रकाशित की कि “बंगाल में बाबरी मस्जिद का प्लान फेल हो गया”, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह पूरी तरह खत्म हो गया है या सिर्फ रुका हुआ है।
न तो सरकार की ओर से
न विधायक हुमायूँ कबीर की ओर से
और न ही किसानों की तरफ से
कोई पुख्ता आधिकारिक बयान जारी हुआ है जो इसमें पूरी स्पष्टता ला सके।
इसलिए, यह दावा कि “योजना पूरी तरह खत्म हो गई है”, इस समय केवल एक मीडिया रिपोर्ट या राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा लगता है, जिसकी स्वतंत्र पुष्टि अभी नहीं हो पाई है।
स्थानीय राजनीति और माहौल
मुर्शिदाबाद जिले में मुस्लिम आबादी काफी अधिक है, और यहां धार्मिक मुद्दे अक्सर राजनीतिक चर्चा का बड़ा हिस्सा बनते हैं। बाबरी मस्जिद जैसे ऐतिहासिक और संवेदनशील विषय को लेकर कोई भी घोषणा क्षेत्र में तनाव पैदा कर सकती है।
टीएमसी ने इस विवाद से दूरी बनाकर साफ कर दिया है कि यह पार्टी का निर्णय नहीं है। पार्टी का कहना है कि वे धार्मिक सौहार्द और सामाजिक शांति बनाए रखने में विश्वास करते हैं।
भाजपा ने इस मुद्दे को चुनावी रंग देते हुए टीएमसी पर “धार्मिक ध्रुवीकरण” का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, AIMIM जैसे दलों ने कहा कि अगर मस्जिद बननी चाहिए और लोग उसका समर्थन करते हैं, तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
स्थानीय लोगों की राय क्या कहती है?
स्थानीय लोगों से बात करने पर मिला मिश्रित प्रतिक्रिया का संकेत मिलता है।
कुछ लोग दावा करते हैं कि मस्जिद निर्माण से क्षेत्र का महत्व बढ़ेगा।
वहीं कई किसान और ग्रामीण कहते हैं कि मुद्दा धार्मिक नहीं, बल्कि आजीविका का है।
उनका कहना है कि अगर जमीन गई तो उनकी आमदनी का एकमात्र साधन खत्म हो जाएगा।
कई लोग तो यह भी कह रहे हैं कि यह पूरा मामला राजनीतिक स्टंट जैसा अधिक है, वास्तविक प्रयास कम।
क्या यह सिर्फ अफवाह है?
चूंकि किसानों के विरोध का पुख्ता दस्तावेज़, वीडियो बयान या आधिकारिक रिपोर्ट सामने नहीं आई है, इसलिए यह बात अभी भी स्पष्ट रूप से नहीं कही जा सकती कि किसान संगठित रूप से विरोध कर रहे हैं या यह दावा सिर्फ मीडिया व सोशल मीडिया पर फैल रहे राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा है।
आगे क्या होगा?
इस मुद्दे का भविष्य तीन चीज़ों पर निर्भर करेगा:
1. क्या किसान और ग्रामीण अपनी स्थिति आधिकारिक रूप से स्पष्ट करते हैं?
2. क्या विधायक हुमायूँ कबीर या प्रशासन इस पर विस्तृत बयान जारी करते हैं?
3. क्या वास्तव में जमीन चिन्हित की गई है या यह केवल राजनीतिक बयान भर था?
अभी स्थिति अनिश्चित है, और विवाद बढ़ने के कारण आने वाले कुछ दिनों में इस पर और जानकारी सामने आ सकती है.
The Babri Masjid plan in West Bengal has sparked major political and social debate, especially after reports claimed that farmers refused to provide land for the proposed mosque in Murshidabad. This article explains the current status of the Babri Masjid project, the farmers’ land refusal issue, the political reactions surrounding TMC MLA Humayun Kabir, and how this controversy is shaping the larger narrative in Bengal. Important keywords such as “Babri Masjid plan Bengal,” “farmers refuse land,” “Murshidabad mosque project,” and “West Bengal land dispute” help highlight the key elements for search visibility.



















