AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट में ‘तारीख पर तारीख’ का सिलसिला अब आसानी से नहीं चल पाएगा। देश के नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, CJI सूर्यकांत, ने पद संभालते ही न्यायिक प्रणाली में बड़े प्रशासनिक सुधार लागू कर दिए हैं। 1 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में मामले लिस्ट करने, त्वरित सुनवाई और स्थगन (adjournment) की प्रक्रिया पूरी तरह बदल जाएगी। इन बदलावों का मकसद है—न्याय प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और अधिक अनुशासित बनाना।
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बड़े बदलाव: क्या-क्या बदल जाएगा?
CJI सूर्यकांत ने चार महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किए हैं, जिनका सीधे प्रभाव कोर्ट में चल रही लिस्टिंग प्रणाली और मेंशनिंग प्रक्रिया पर पड़ेगा। नए नियमों के तहत कई पुराने तरीके खत्म होंगे और सुनवाई का समय तय और सख्ती से नियंत्रित किया जाएगा।
1. अब सीनियर वकील मौखिक मेंशनिंग नहीं कर सकेंगे
पहला बड़ा बदलाव यह है कि सीनियर एडवोकेट अब किसी भी केस की मौखिक मेंशनिंग नहीं कर पाएंगे।
अब केवल वे ही मामले मौखिक मेंशनिंग किए जाएंगे जो कोर्ट द्वारा जारी ‘मेंशनिंग लिस्ट’ में शामिल हों।
यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि कोर्ट में अति-मेंशनिंग पर रोक लगे और सुनवाई का समय बर्बाद न हो।
2. दो दिनों के भीतर स्वतः लिस्ट होंगे ‘लिबर्टी केस’
अब व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ी याचिकाओं—जैसे:
बेल (जमानत),
अग्रिम जमानत,
हैबियस कॉर्पस,
डेथ पेनल्टी संबंधित मुद्दे,
बेदखली या अतिक्रमण हटाने से जुड़े केस
इन सबको दो वर्किंग डे के भीतर स्वत: लिस्ट कर दिया जाएगा।
इसके लिए किसी भी वकील को बार-बार मेंशनिंग करने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह आम नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को तेजी से निपटाने की दिशा में बड़ा कदम है।
3. बिना उचित कारण के नहीं मिलेगा स्थगन (Adjournment)
सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन प्रक्रिया को बेहद सख्त बना दिया है। अब स्थगन केवल तीन परिस्थितियों में ही मिलेगा:
शोक (death in family or related issue)
गंभीर स्वास्थ्य स्थिति
कोई अत्यंत अपरिहार्य कारण
इसके अलावा, यदि एक पक्ष स्थगन चाहता है तो उसे विपक्ष की पूर्व सहमति भी लेनी होगी।
यह सब ऑनलाइन निर्धारित फॉर्म के माध्यम से करना अनिवार्य होगा।
4. पूरी लिस्टिंग प्रणाली को नया रूप
कोर्ट को लिस्टिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए पूरी प्रणाली का पुनर्गठन किया गया है।
• जमानत याचिकाओं का नया फॉर्मेट
जैसे ही कोई जमानत याचिका दायर होगी, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को:
संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश या केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसल को एडवांस कॉपी देनी होगी।
इसकी ‘प्रूफ ऑफ सर्विस’ जमा होने के बाद ही याचिका लिस्ट होगी।
इससे सरकार की तरफ से समय पर जवाब सुनिश्चित होगा और सुनवाई देर से नहीं होगी।
• गैर-स्वचालित मामलों की प्रक्रिया
जिन मामलों में स्वत: लिस्टिंग लागू नहीं होती, उनके लिए वकीलों को:
तय प्रोफॉर्मा,
विस्तृत अर्जेंसी लेटर
दोपहर 3 बजे तक जमा करना होगा।
शनिवार को यह समय 11:30 बजे तक रहेगा।
अत्यंत जरूरी मामलों में फाइलिंग 10:30 बजे तक की जा सकती है लेकिन केवल तब, जब अर्जेंसी लेटर यह साफ बताए कि केस इंतजार नहीं कर सकता।
5. जूनियर वकीलों को मिलेगा मेंशनिंग का मौका
सीनियर वकीलों पर मेंशनिंग का प्रतिबंध लगाकर कोर्ट ने जूनियर वकीलों को यह जिम्मेदारी देने की बात कही है।
इससे युवा वकीलों को अधिक अवसर मिलेगा और कोर्ट प्रक्रिया भी नियंत्रित रहेगी।
क्यों जरूरी थे ये बदलाव?
बीते वक्त में सुप्रीम कोर्ट में मौखिक मेंशनिंग की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि इसमें काफी समय बर्बाद होने लगा।
लिबर्टी मामलों में देरी होती थी और एडवोकेट्स बार-बार मेंशनिंग करके सुनवाई की मांग करते थे। इससे:
कोर्ट का समय
न्याय की गति
और केस मैनेजमेंट
सब पर प्रभाव पड़ता था।
CJI सूर्यकांत का यह कदम न्याय प्रणाली को सरल और आम नागरिक की पहुंच में लाने की दिशा में माना जा रहा है।
नए नियमों का क्या असर होगा?
इन बदलावों का सीधा असर कोर्ट की कामकाज प्रणाली पर पड़ेगा:
✔ लिस्टिंग प्रक्रिया पारदर्शी होगी
अब सभी नियम लिखित रूप में और सख्ती से लागू होंगे।
✔ सुनवाई में देरी कम होगी
लिबर्टी केस सीधे लिस्ट होंगे, इसलिए ‘तारीख पर तारीख’ जैसा माहौल खत्म होगा।
✔ कोर्ट के समय का बेहतर उपयोग
मेंशनिंग पर लगी सीमाएं कोर्ट को समय बचाकर असली सुनवाई पर ध्यान देने का मौका देंगी।
✔ वकीलों की प्रतिस्पर्धा कम होगी
अब हर वकील मेंशनिंग के लिए सुबह कोर्ट की ओर नहीं भागेगा। सिस्टम खुद केस लिस्ट करेगा।
✔ जनता को तेजी से न्याय
जमानत, गिरफ्तारी और स्वतंत्रता से जुड़े केस समयबद्ध तरीके से सुने जाएंगे।
कुल मिलाकर—सुप्रीम कोर्ट में अनुशासन और गति दोनों बढ़ेंगे
CJI सूर्यकांत ने पदभार संभालते ही जो सुधार लागू किए हैं, वे सुप्रीम कोर्ट को आधुनिक, समयबद्ध और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं।
विशेषकर उन मामलों में जहां किसी नागरिक की स्वतंत्रता और अधिकार जुड़े हैं, उन्हें अब जल्द सुनवाई मिलेगी।
इन नियमों के लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का पूरा लिस्टिंग और स्थगन सिस्टम एक नए ढांचे में काम करेगा—जहां देरी की गुंजाइश बेहद कम होगी।
The latest reforms announced by CJI Suryakant introduce a completely redesigned Supreme Court listing and adjournment system. Starting December 1, urgent liberty matters such as bail petitions, anticipatory bail, habeas corpus and eviction stay requests will be auto-listed within two working days. Senior advocates will no longer make oral mentioning, and adjournments will only be granted for genuine reasons. These new Supreme Court rules aim to reduce unnecessary delays, ensure predictable case management, and improve access to justice for citizens across India.



















