10-Year-Old Boy from Rajasthan Becomes a Hero During Indian Army’s Operation Sindoor
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राजस्थान का 10 साल का श्रवण बना सैनिकों का नन्हा हीरो
AIN NEWS 1: राजस्थान के पाकिस्तान सीमा से सटे एक छोटे से गांव से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। यह कहानी है एक 10 साल के बच्चे की, जिसका नाम है श्रवण सिंह। न उसके पास वर्दी थी, न हथियार, लेकिन उसके दिल में जो जज्बा था, वह किसी सैनिक से कम नहीं था।
सीमावर्ती गांव में चला ऑपरेशन सिंदूर
भारतीय सेना इन दिनों राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ऑपरेशन सिंदूर चला रही है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना और संभावित खतरों से निपटना है। इस अभियान के तहत दर्जनों जवान दिन-रात गर्मी में खेतों और गांवों के इर्द-गिर्द तैनात थे।
एक बच्चा जिसने दिल जीत लिया
ऐसे ही हालात में, श्रवण सिंह नामक बच्चा हर दिन कुछ ऐसा कर रहा था, जिसे देखकर जवानों की आंखें नम हो गईं। बिना किसी कहे, वह अपने घर से हर दिन ठंडा पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर जवानों के पास पहुंचता था।
तपती धूप में जहां जवान अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, वहां यह बच्चा उन्हें ताजगी का अहसास करा रहा था। उसकी उम्र भले ही छोटी थी, लेकिन सेवा भावना और देशभक्ति में वह बहुत बड़ा साबित हुआ।
भीषण गर्मी में राहत बन गया श्रवण
राजस्थान की गर्मी में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में खुले खेतों में तैनात जवानों को शारीरिक और मानसिक तौर पर भारी तनाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे समय में जब श्रवण रोजाना दूध, लस्सी और बर्फ लेकर आता, तो जवानों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती।
न वर्दी, न हथियार… लेकिन सेवा में सबसे आगे
श्रवण ने यह नहीं सोचा कि वह छोटा है, या उसके पास कोई साधन नहीं हैं। उसने जो कर सकता था, वही करने का फैसला किया। वह न तो बंदूक चला सकता था, न ही मोर्चे पर लड़ सकता था। लेकिन उसने सोचा कि वह सेना के सच्चे रक्षक बन चुके जवानों की सेवा जरूर कर सकता है।
सेना ने दिया सम्मान
भारतीय सेना ने इस छोटे से बच्चे की निस्वार्थ सेवा और साहस को गंभीरता से लिया। गोल्डन ऐरो डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) ने स्वयं श्रवण को स्मृति चिन्ह और विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
सेना अधिकारियों ने कहा कि श्रवण की भावना प्रेरणादायक है और वह देश के अन्य बच्चों के लिए भी एक आदर्श बन गया है।
श्रवण की मिसाल क्यों खास है?
निस्वार्थ सेवा: श्रवण ने बिना किसी स्वार्थ के जवानों की सेवा की।
देशभक्ति का जज्बा: इतनी छोटी उम्र में देश के लिए कुछ करने का संकल्प।
मानवता की मिसाल: गर्मी में तैनात जवानों के लिए राहत का माध्यम बना।
सेना के साथ एकजुटता: बिना वर्दी के ही वर्दीवालों का हौसला बढ़ाया।
गांववालों की प्रतिक्रिया
श्रवण के इस कदम से पूरे गांव में गर्व की लहर है। गांव के लोगों का कहना है कि श्रवण ने उनके गांव का नाम रोशन कर दिया है। कई ग्रामीणों ने कहा कि वे अपने बच्चों को अब श्रवण जैसा बनाना चाहते हैं – संवेदनशील, साहसी और देशभक्त।
During Operation Sindoor near the Pakistan border in Rajasthan, a 10-year-old boy named Shravan Singh emerged as an unexpected hero. Without a uniform or weapon, Shravan supported Indian Army soldiers by bringing cold water, milk, and lassi in the intense heat. This simple yet powerful act of patriotism and humanity won the hearts of the Indian Army and the nation. The Golden Arrow Division’s General Officer Commanding honored Shravan with a special award for his selfless contribution. His story reflects the spirit of young Indian patriots and showcases how even a child can support national defense efforts during critical operations like Operation Sindoor.



















