AIN NEWS 1 लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में बजरंगबली के प्रति श्रद्धा और सम्मान को लेकर कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने उन लोगों पर सवाल उठाए जो भगवान हनुमान और भगवान राम को पसंद नहीं करते या उनका विरोध करते हैं। योगी ने अपने बयान में कहा कि ऐसे लोग जो बजरंगबली को पसंद नहीं करते हैं, उन्हें भारत में रहने का कोई हक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने अपने विचार स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत में ऐसा कोई नहीं होना चाहिए जो भगवान राम और बजरंगबली का सम्मान न करता हो। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि कई स्थानों पर भगवान राम की शोभायात्राओं को रोका जाता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था के सम्मान के विरुद्ध है।
योगी आदित्यनाथ का यह बयान धार्मिक आस्था और समाज में एकता को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का इतिहास और संस्कृति भगवान राम और उनके अनुयायियों के प्रति श्रद्धा पर आधारित है। इस तरह के बयानों से मुख्यमंत्री का उद्देश्य उन लोगों को संदेश देना है, जो धार्मिक आस्थाओं का अपमान करते हैं।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई लोग इसे धार्मिक मुद्दे का राजनीतिकरण मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे आस्था की सुरक्षा के रूप में देख रहे हैं। कुछ समूहों का मानना है कि इस तरह के बयानों से समाज में धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल सकता है।
हालांकि, योगी आदित्यनाथ का मानना है कि आस्था के प्रतीकों का सम्मान होना चाहिए और यह हर भारतीय का कर्तव्य है। उनका कहना है कि राम और हनुमान भारत की आत्मा का प्रतीक हैं और इनका अपमान अस्वीकार्य है।
योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर विभिन्न धार्मिक समूहों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। जबकि कुछ नेताओं ने इस बयान का समर्थन किया है, वहीं कुछ अन्य नेताओं ने इसे धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाला बताया है।
यह मुद्दा आगामी चुनावों में भी चर्चा का विषय बन सकता है, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर वोटर्स की भावनाओं को प्रभावित किया जा सकता है।