Friday, January 10, 2025

बांग्लादेश के समझौते रद्द करने से पूर्वोत्तर भारत में संकट: क्या है पूरा मामला?

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बांग्लादेश सरकार के हालिया कदम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बड़ा झटका लगा है। बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौते को रद्द कर देने के कारण भारत के इस क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी की योजनाओं पर असर पड़ेगा। आइए जानते हैं इस फैसले के प्रमुख पहलू:


क्या था बैंडविड्थ ट्रांजिट समझौता?

  1. उद्देश्य:
    बांग्लादेश के माध्यम से सिंगापुर से हाई-स्पीड बैंडविड्थ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचाने की योजना थी।
  2. प्रस्तावित रूट:
    • अखौरा सीमा (त्रिपुरा-बांग्लादेश) के जरिए भारत में बैंडविड्थ पहुंचाई जाती।
    • इसमें भारती एयरटेल समेत कई कंपनियां शामिल थीं।
  3. समझौते से लाभ:
    • पूर्वोत्तर राज्यों की इंटरनेट स्पीड और कनेक्टिविटी में सुधार होता।
    • डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलता।

क्यों रद्द किया बांग्लादेश ने ये समझौता?

  1. क्षेत्रीय हब बनने की चिंता:
    • बांग्लादेश का मानना है कि इस समझौते से उसकी क्षेत्रीय इंटरनेट हब बनने की संभावना कमजोर हो सकती है।
  2. आर्थिक लाभ न मिलने का दावा:
    • बांग्लादेश के इंटरनेट रेगुलेटर BTRC के अनुसार, इस ट्रांजिट फैसिलिटी से बांग्लादेश को कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ।
  3. राजनीतिक कारण:
    • यूनुस सरकार ने समिट कम्युनिकेशंस और फाइबर होम जैसी कंपनियों का प्रभाव कम करने के लिए यह कदम उठाया।
    • इन कंपनियों के संबंध बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी से जुड़े माने जाते हैं।

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर असर

  1. कनेक्टिविटी में रुकावट:
    • पूर्वोत्तर राज्यों में इंटरनेट की गति और उपलब्धता प्रभावित होगी।
  2. डिजिटल योजनाएं बाधित:
    • क्षेत्र में डिजिटल इंडिया अभियान और अन्य तकनीकी विकास योजनाओं को झटका लगेगा।
  3. विकास में देरी:
    • पूर्वोत्तर राज्यों में व्यवसाय, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण में देरी हो सकती है।

समाधान के विकल्प

  1. वैकल्पिक रूट:
    • भारत अन्य देशों जैसे म्यांमार या नेपाल के माध्यम से बैंडविड्थ आपूर्ति के विकल्प तलाश सकता है।
  2. आंतरिक इंफ्रास्ट्रक्चर:
    • भारत पूर्वोत्तर में खुद का फाइबर नेटवर्क विकसित करने की योजना पर काम कर सकता है।
  3. कूटनीतिक वार्ता:
    • भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया जा सकता है।

यह कदम भारत-बांग्लादेश संबंधों में नई चुनौती पैदा कर सकता है, लेकिन सही रणनीति से इसका समाधान संभव है।

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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