Meerut: Acharya Dhirendra Shastri Reveals Reason Behind Saurabh Murder Case
मेरठ: आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने बताया सौरभ हत्याकांड का कारण, जानिए मुस्कान पर क्या बोले
AIN NEWS 1: मेरठ में चल रही हनुमंत कथा के दौरान आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सौरभ हत्याकांड का जिक्र किया। उन्होंने इस घटना को संस्कारों की कमी का परिणाम बताया और समाज को बच्चों में नैतिकता की शिक्षा देने पर जोर दिया। आइए विस्तार से जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा।
सौरभ हत्याकांड और नीले ड्रम का जिक्र
बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों मेरठ में हनुमंत कथा कर रहे हैं। कथा के दौरान उन्होंने सौरभ हत्याकांड की चर्चा की और ‘नीले ड्रम’ का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस शब्द का प्रयोग किया तो कुछ लोगों ने इसे हल्के में लेने की बात कही। लेकिन उन्होंने समाज को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि गूगल पर सर्च करके देखिए कि “नीला ड्रम” क्या है और इसे कहां खरीदा जाता है।
मुस्कान ने पूरे नारी समाज को कठघरे में खड़ा किया
उन्होंने कहा कि मेरठ की इस घटना के बाद समाज में नैतिक मूल्यों पर सवाल खड़े हो गए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बेटी को चाहे डीएम बनाओ या ना बनाओ, लेकिन उसे संस्कारवान जरूर बनाओ। आचार्य शास्त्री ने बताया कि केवल शिक्षा से जीवन संवरता नहीं, बल्कि संस्कारों से जीवन में सही दिशा मिलती है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, आईपीएस या आईएएस तो बना रहे हैं, लेकिन अगर वे उन्हें संस्कार नहीं दे पा रहे हैं, तो सारी शिक्षा व्यर्थ है। संस्कारों के अभाव में व्यक्ति केवल पैसा कमा सकता है, लेकिन जीवन जीने की कला नहीं सीख सकता।
टीवी सीरियल और आधुनिक परिवेश को ठहराया जिम्मेदार
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने टीवी सीरियलों को भी इस प्रकार की घटनाओं के लिए दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि जब माता-पिता अपने बच्चों को गलत कंटेंट वाले धारावाहिक दिखाएंगे, तो वे ‘किलर’, ‘सुसाइडर’ और ‘लवेरिया’ जैसी प्रवृत्तियों में फंस जाएंगे। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों को रामचरितमानस पढ़ाया जाना चाहिए ताकि वे अपने जीवन को राम और सीता के मार्ग पर चला सकें।
संस्कारों की कमी ही अपराध बढ़ने का कारण
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत में अपराध बढ़ने का सबसे बड़ा कारण संस्कारों की कमी है। उन्होंने इस घटना को उदाहरण देते हुए बताया कि मुस्कान नाम की लड़की ने सौरभ की हत्या कर दी, जबकि वह लड़का अपने माता-पिता का नाम रोशन करने के सपने देख रहा था।
उन्होंने कहा, “उसका नाम मुस्कान नहीं, बल्कि शैतान होना चाहिए। किसी का बेटा, किसी का भाई चला गया, आखिर क्या गलती थी उसकी? सिर्फ यही कि उसने प्रेम किया था?”
उन्होंने आगे कहा कि जिन लोगों को अपने पद और प्रतिष्ठा का अहंकार होता है, वे संस्कारों को भूल जाते हैं। लेकिन वास्तविक रूप से वही व्यक्ति दुनिया जीत सकता है, जिसके अंदर संस्कार होते हैं।
रामायण से सीखने की दी सलाह
धीरेंद्र शास्त्री ने रामायण के आदर्शों को अपनाने की बात कही। उन्होंने समझाया कि रावण वह है, जो अपने भाई की संपत्ति हड़पने के लिए उसे त्याग देता है, जबकि राम वह हैं, जो अपने भाई को गद्दी पर बैठाने के लिए अपना राजपाट भी छोड़ देते हैं।
उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों को रामायण और रामचरितमानस पढ़ाएं, जिससे उनके अंदर नैतिक मूल्यों का विकास हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर बच्चे सही संस्कारों के साथ बड़े होंगे, तो भविष्य में मेरठ जैसी घटनाएं कभी नहीं होंगी।
संस्कारों से दुनिया जीत सकते हैं
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि दुनिया को जीतने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि अहंकार से जीती हुई दुनिया भी हारी जा सकती है, लेकिन संस्कारों से दुनिया पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने कथा के दौरान भजन गायक कन्हैया मित्तल द्वारा प्रस्तुत “अंजनी के लाल” भजन की भी सराहना की, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
मेरठ की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के नैतिक पतन का संकेत भी है। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने इस घटना को उदाहरण बनाकर समाज को चेताने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि अगर हम अपने बच्चों को सही संस्कार देंगे, तो वे कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे।
Acharya Dhirendra Krishna Shastri, while delivering a discourse in Meerut, commented on the Saurabh murder case, highlighting the lack of moral values as a major reason behind such incidents. He mentioned the blue drum case, urging people to research it. He also emphasized the importance of instilling Indian culture and ethics in children rather than just making them IAS or IPS officers. Referring to Muskan’s role in the case, he criticized the declining moral fabric of society and urged parents to introduce their children to Ramcharitmanas and Indian scriptures to prevent such crimes in the future.
इस तरह, आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने समाज को एक बड़ा संदेश दिया है कि शिक्षा के साथ संस्कार भी आवश्यक हैं। यदि बच्चों को सही मार्गदर्शन दिया जाए, तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं को टाला जा सकता है।