AIN NEWS 1 | आज, बुधवार (23 अक्टूबर), एक ऐतिहासिक दिन के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि लगभग 5 वर्षों के बाद, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय बैठक में शामिल होंगे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कजान में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की पुष्टि की। इस महत्वपूर्ण मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। पिछली बार, साल 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक की थी।
मोदी-जिनपिंग की बैठक का महत्व:
इस बार होने वाली मोदी-जिनपिंग की बैठक कई मायनों में अलग है। वर्तमान में, जब दुनिया के दो हिस्सों में संघर्ष छिड़ा हुआ है, जिसमें रूस भी शामिल है, जो इस सम्मेलन का आयोजन करवा रहा है, तब एशियाई देशों के दो सबसे शक्तिशाली नेता एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। इससे वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
सीमा विवाद का समाधान:
इस मुलाकात को और भी खास माना जा रहा है, क्योंकि 21 अक्टूबर को भारत और चीन ने सीमा पर चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की पुष्टि की। यह एक सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि दोनों पड़ोसी अपने हितों को लेकर गंभीर हैं।
कनाडा के मुद्दों पर चर्चा:
भारत और चीन एशिया के दो सबसे ताकतवर देश हैं। हाल के दिनों में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए की गई वार्ताएँ भविष्य में अच्छे रिश्तों की नींव रखने का कार्य करेंगी। इसके अलावा, दोनों देश कनाडा के मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दोनों देशों पर अलग-अलग आरोप लगाए हैं। चीन पर चुनावी हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है, जबकि भारत पर निज्जर हत्याकांड को लेकर निशाना साधा गया है। ऐसे में, दोनों देश कनाडा को सबक सिखाने की कोशिश कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
इस बैठक से न केवल भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की संभावना है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।