Thursday, January 9, 2025

यूपी BJP में मंडल अध्यक्षों को लेकर विवाद: 750 नए अध्यक्षों की घोषणा, 309 पर असहमति, झांसी में पहली महिला अध्यक्ष नियुक्त?

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AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने संगठन को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मंगलवार रात 750 मंडल अध्यक्षों की नई सूची जारी की गई, जिसमें 1819 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 1510 मंडल अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, लेकिन 309 पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।

मंडल अध्यक्षों को लेकर सांसद-विधायकों के बीच विवाद

सूत्रों के अनुसार, कई जिलों में सांसद और विधायकों के बीच मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए भी नियुक्तियों में कुछ देरी की जा रही है, ताकि पार्टी का सामाजिक आधार मजबूत हो सके।

मंडल अध्यक्षों में बदलाव

नई सूची के मुताबिक, 40 से 50 प्रतिशत तक मंडल अध्यक्षों में बदलाव किया गया है। पार्टी ने विशेष रूप से पिछड़ा वर्ग (OBC) और दलित समुदाय के नेताओं को प्राथमिकता दी है। इस बदलाव के बीच एक खास मामला झांसी से सामने आया, जहां पहली बार एक महिला को मंडल अध्यक्ष बनाया गया। बबीना कैंट मंडल में डॉ. शिखा साहू को अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी दी गई है।

पहले हुई थी हंगामा

इससे पहले 30 दिसंबर को 760 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई थी, लेकिन रायबरेली में एक विवाद खड़ा हो गया जब 2 साल पहले निधन हो चुके एक कार्यकर्ता को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया। इस पर पार्टी में जमकर हंगामा हुआ था।

नए अध्यक्षों का आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण रोल

2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव में इन नए मंडल अध्यक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। वे मंडल स्तर पर चुनाव प्रचार और प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालेंगे। मंडल अध्यक्ष बीजेपी के संगठन की नींव माने जाते हैं, क्योंकि ये पार्टी के कार्यक्रमों और अभियानों को जमीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भविष्य में पार्टी की लीडरशिप तैयार करते हैं मंडल अध्यक्ष

बीजेपी में बूथ अध्यक्ष के बाद मंडल अध्यक्ष दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है। पार्टी की नई लीडरशिप इन्हीं मंडल अध्यक्षों से उभर कर सामने आती है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, कई मंत्री, सांसद और विधायक भी इस पद से अपनी यात्रा शुरू कर चुके हैं।

इस संगठनात्मक बदलाव से पार्टी को 2027 और 2026 के चुनावों में बड़ी मदद मिल सकती है, क्योंकि यह नए नेतृत्व को विकसित करने और पार्टी के सामाजिक आधार को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

 

 

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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