Delhi School Fee Dispute: Parent Protests Unequal Treatment of Children
AIN NEWS 1: दिल्ली में एक निजी स्कूल के खिलाफ एक अभिभावक का विरोध प्रदर्शन चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में अभिभावक का आरोप है कि उनके दो बच्चे — एक बेटा और एक बेटी — एक ही स्कूल में पढ़ते हैं और दोनों के लिए समान फीस दी जा रही है, फिर भी स्कूल उनके बेटे के साथ भेदभाव कर रहा है।
क्या है मामला?
अभिभावक ने बताया कि उनकी बेटी को नियमित रूप से कक्षा में बैठाया जाता है, जबकि उनके बेटे को 21 मार्च से लाइब्रेरी में बैठाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैं दोनों बच्चों के लिए वही मान्य (approved) फीस चुका रहा हूँ। कोई गैर-कानूनी (unapproved) फीस नहीं दी गई है, फिर भी मेरे बेटे के साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है।”
स्कूल का पक्ष क्या है?
इस समय स्कूल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह मामला अतिरिक्त फीस या फीस स्ट्रक्चर को लेकर विवाद का हिस्सा हो सकता है। कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि स्कूल प्रशासन कुछ अभिभावकों से अतिरिक्त फीस की मांग कर रहा है, जिसे कई लोग नकार रहे हैं।
मामला कोर्ट में
अभिभावक ने यह भी बताया कि यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा, “हमने यह मामला न्यायालय में उठाया है ताकि हमें न्याय मिल सके। हमारा अनुरोध है कि यह समस्या जल्द से जल्द हल हो, ताकि मेरे बेटे की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।”
बच्चों पर प्रभाव
इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा असर बच्चों पर पड़ रहा है। एक ओर जहां बेटी कक्षा में सामान्य पढ़ाई कर रही है, वहीं बेटे को लाइब्रेरी में बैठा देने से न केवल उसकी शिक्षा प्रभावित हो रही है, बल्कि उसका आत्मविश्वास भी कमजोर हो सकता है। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी चिंता का विषय है।
अभिभावकों की मांग
अभिभावकों की ओर से यह मांग की जा रही है कि स्कूल में सभी छात्रों के साथ समान व्यवहार किया जाए, खासकर तब जब फीस बराबर दी जा रही है। उनका कहना है कि यदि कोई फीस विवाद है तो उसका समाधान कानूनी तरीके से किया जाना चाहिए, न कि छात्रों को पढ़ाई से दूर करके।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस तरह के मामलों से शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। क्या निजी स्कूलों को इस तरह से छात्रों के साथ भेदभाव करने का अधिकार है? यदि कोई अभिभावक फीस को लेकर सहमत नहीं है, तो क्या इसका असर छात्र की शिक्षा पर डाला जाना चाहिए?
समाधान की आवश्यकता
ऐसे मामलों में त्वरित समाधान आवश्यक है। बच्चों की पढ़ाई और मानसिक स्थिति को देखते हुए, स्कूल प्रशासन, शिक्षा विभाग और न्यायिक प्रणाली को मिलकर काम करना चाहिए ताकि छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।
दिल्ली का यह मामला एक गंभीर संकेत है कि हमारे शिक्षा तंत्र में सुधार की जरूरत है। जब तक सभी छात्रों को समान अधिकार और सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब तक ऐसी समस्याएं बार-बार सामने आती रहेंगी। उम्मीद है कि इस मामले में न्याय मिलेगा और भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोहराई नहीं जाएंगी।
A serious issue has emerged in Delhi where a parent is protesting against a private school’s discriminatory treatment towards her son. She claims that both her daughter and son are enrolled in the same school and equal fees have been paid, yet her son is being made to sit in the library instead of a classroom since March 21st. This Delhi school fee dispute has reached the courts, raising questions about transparency and equality in private education. The parent demands a prompt resolution to this matter, making it a trending case of unequal treatment in school.