AIN NEWS 1: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गांव में 22 जून को एक गंभीर जातीय विवाद सामने आया, जहां कानपुर निवासी कथावाचक मुकुट मणि और उनके साथी संत सिंह यादव के साथ कथित रूप से अमानवीय व्यवहार हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने उनकी जाति पूछकर उन्हें पीटा और अपमानित किया, क्योंकि वे यादव बिरादरी से हैं।
कथावाचकों का कहना है कि उन्हें पूछा गया कि उन्होंने ब्राह्मणों के गांव में भागवत कथा करने की ‘हिम्मत’ कैसे की। इसके बाद कथावाचक की चोटी काट दी गई, सिर मुंडवा दिया गया और एक महिला को मजबूर किया गया कि वह ब्राह्मण महिला के पांव में नाक रगड़े। कथावाचक के अन्य साथियों के साथ भी मारपीट और अपमानजनक व्यवहार किया गया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला लेकिन उल्टा
23 जून को पीड़ित कथावाचक एसएसपी ब्रजेश श्रीवास्तव से मिले और समाजवादी पार्टी के सांसद जितेंद्र दोहरे भी उनके साथ थे। SSP के निर्देश पर कोतवाली थाने में चार नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार भी किया।
लेकिन अब मामला एक नया मोड़ ले चुका है। कथावाचकों पर ही बकेवर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। शिकायतकर्ता जयप्रकाश तिवारी ने आरोप लगाया कि कथावाचकों ने अपनी जाति छिपाकर धोखाधड़ी की है और धार्मिक भावनाएं भड़काई हैं।
उन पर IPC की धारा 299, 318(4), 319(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत केस दर्ज किया गया है।
आधार कार्ड विवाद: एक चेहरा, दो पहचान
मुकुट मणि के पास दो अलग-अलग आधार कार्ड पाए गए, जिनमें एक में उनका नाम “मुकुट मणि अग्निहोत्री” दर्ज है, जो ब्राह्मण जाति दर्शाता है, और दूसरे में “मुकुट मणि यादव”, जिससे उनकी असली जाति सामने आती है। इसी आधार पर उन पर जालसाजी और पहचान छिपाने का आरोप लगा है।
सीएम योगी की सख्ती और SSP की फटकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए इटावा के एसएसपी ब्रजेश श्रीवास्तव को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि कुछ तत्व राज्य में जातीय हिंसा भड़काना चाहते हैं और पुलिस उन्हें रोकने में असफल हो रही है। इसी के साथ औरैया और कौशांबी के पुलिस अधीक्षकों को भी फटकारा गया, जहां इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं।
सीएम ने साफ चेतावनी दी कि जिन जिलों में इस प्रकार की घटनाएं होंगी, वहां के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सपा और ब्राह्मण महासभा आमने-सामने
घटना के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पीड़ित कथावाचकों को लखनऊ बुलाया। उन्होंने उन्हें नई ढोलक, हारमोनियम और 21-21 हजार रुपये की मदद दी। उन्होंने कहा कि वर्चस्ववादी मानसिकता के लोग पिछड़ों को धार्मिक मंचों से हटाना चाहते हैं। अखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार असंवैधानिक शक्तियों को समर्थन दे रही है।
वहीं, ब्राह्मण महासभा भी सक्रिय हो गई है। महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने एसएसपी से मिलकर आरोप लगाया कि कथावाचकों ने ब्राह्मणों को बदनाम करने की साजिश की, झूठी पहचान से गांव में कथा की और महिलाओं से दुर्व्यवहार किया। महासभा ने चेतावनी दी कि अगर कथावाचकों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एंट्री
इस मामले को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी हस्तक्षेप किया है। उन्होंने इटावा के एसएसपी से 10 दिन के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। इससे साफ है कि मामला अब राज्य स्तर से बढ़कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुका है।
इटावा की यह घटना न केवल जातीय विभाजन और धार्मिक गतिविधियों की राजनीति को उजागर करती है, बल्कि पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े करती है। कथावाचकों पर एक तरफ अत्याचार के आरोप हैं, तो दूसरी ओर खुद उन पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। यह मामला प्रशासन, राजनीति और समाज की जटिलताओं को एक साथ सामने लाता है।
In a dramatic turn of events from Etawah, Uttar Pradesh, Kathavachak Mukut Mani, who earlier alleged caste-based violence during a religious event, now faces an FIR for forgery. The incident has sparked political reactions with Akhilesh Yadav extending support, while Chief Minister Yogi Adityanath reprimanded SSPs for failing to prevent caste tensions. The Etawah controversy involving caste conflict, police action, and political statements continues to evolve.