AIN NEWS 1: आगरा के एत्मादपुर क्षेत्र में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां पशुओं की चर्बी से नकली देसी घी बनाया जा रहा था। पुलिस ने जब इस अवैध गोरखधंधे पर छापा मारा, तो मौके से जो सामान बरामद हुआ, उसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। छापेमारी के दौरान पुलिस को बड़ी मात्रा में पशु मांस, खाल और चर्बी मिली, जिसे घी के टिन में भरकर बाजार में बेचा जा रहा था।
गुप्त सूचना पर हुई पुलिस कार्रवाई
पुलिस को लंबे समय से जानकारी मिल रही थी कि एत्मादपुर के मोहल्ला शेखान में अवैध रूप से पशुओं का कटान किया जा रहा है। सोमवार सुबह इंस्पेक्टर क्राइम के नेतृत्व में पुलिस टीम ने छापा मारा। बबलू और फरमान के घर से भारी मात्रा में मांस, कटान के औजार और तराजू बरामद किए गए। इसके बाद पुलिस ने उस्मान के घर की तलाशी ली, जहां 82 टिन चर्बी से भरे हुए पाए गए।
कैसे होता था नकली घी का कारोबार?
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि यह चर्बी छोटे व्यापारियों को सप्लाई की जाती थी, जो इससे साबुन और नकली घी बनाते थे। खास बात यह थी कि चर्बी को प्रसिद्ध ब्रांड ‘मधुसूदन’ के 15 किलो वाले घी के टिन में भरकर बेचा जाता था, ताकि पुलिस की जांच में आसानी से पकड़ा न जा सके। इन टिनों को ₹900 से ₹1000 प्रति टिन बेचा जाता था।
स्लाटर हाउस बंद होने के बाद बढ़ी अवैध गतिविधियां
कुबेरपुर में स्लाटर हाउस लंबे समय से बंद है, जिसके कारण अवैध कटान का धंधा तेजी से बढ़ा। पुलिस को सूचना मिली थी कि टूंडला, फिरोजाबाद, हाथरस और आगरा के कई विक्रेता यहां से मांस खरीदते हैं। अधिकतर व्यापारी अपने वाहनों से मांस ले जाते थे, जिससे पुलिस को संदेह नहीं होता था।
ताजगंज में पहले भी पकड़ा जा चुका है नकली घी
इससे पहले, 2 जनवरी को ताजगंज क्षेत्र में एक नकली घी फैक्ट्री पकड़ी गई थी, जहां 18 से अधिक ब्रांड के नाम से मिलावटी घी बनाया जा रहा था। पुलिस ने जब एत्मादपुर में छापेमारी की, तो मौके से मधुसूदन, चंबल रिफाइंड, सोहनी घी, नीलकमल, त्रिकंचन और परम देसी घी के खाली टिन भी मिले। इससे शक गहराया कि यह गिरोह लंबे समय से नकली घी का कारोबार कर रहा था।
गिरफ्तारी और बरामद सामान
पुलिस ने मौके से चार लोगों – उस्मान, वाहिद, समीर और बिल्किस को गिरफ्तार किया है। हालांकि, कई अन्य आरोपी फरार हैं, जिनमें साजिद, फरमान, साजिया, टिल्लू उर्फ आरिफ, राशिद, अबरार, नदीम, सलीम, गोविंदा, बबलू, करीम और शमीम शामिल हैं।
बरामद सामान:
- 275 किलो पशु मांस
- 82 टिन चर्बी से भरे हुए
- एक स्कूटी
- 11 बोरों में सूखा मीट
चाकू, तराजू और अन्य औजार
पशुओं की खाल
पुलिस की आगे की कार्रवाई
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि बरामद चर्बी से बनाया गया नकली घी बाजार में कहां-कहां बेचा गया। साथ ही, फरार आरोपियों की तलाश जारी है। पशु चिकित्सक की टीम ने सैंपल लेकर परीक्षण के लिए भेज दिए हैं, जिससे पुष्टि हो सके कि इस चर्बी का इस्तेमाल घी में मिलावट के लिए किया गया था या नहीं।
सावधान रहें, असली और नकली घी की पहचान करें
यह घटना उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा अलर्ट है। नकली घी स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। असली और नकली घी की पहचान करने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. गंध पर ध्यान दें – असली देसी घी में खुशबू होती है, जबकि नकली घी में अजीब सी गंध आ सकती है।
2. गर्मी में पिघलने की गति – असली घी जल्दी पिघलता है, जबकि मिलावटी घी देर से पिघलता है।
3. आयोडीन टेस्ट – घी में आयोडीन की कुछ बूंदें डालें, अगर रंग बदलता है तो मिलावट की संभावना है।
आगरा के एत्मादपुर में नकली घी बनाने का यह खुलासा चौंकाने वाला है। पुलिस की कार्रवाई से यह साफ हो गया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट का गोरखधंधा तेजी से फल-फूल रहा है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे ब्रांडेड घी खरीदते समय सतर्क रहें और सरकारी एजेंसियों से प्रमाणित उत्पादों को ही चुनें।
A shocking fake ghee racket has been uncovered in Agra’s Etmadpur, where animal fat was being used to manufacture adulterated desi ghee. The Agra Police raid led to the seizure of 82 tins filled with animal fat, suspected to be used in making fake branded ghee. The accused were also involved in illegal animal slaughter, selling meat across Toondla, Firozabad, Hathras, and Agra. Police are now investigating the ghee adulteration racket and tracking down other culprits. Consumers should remain cautious and verify the authenticity of desi ghee to avoid health hazards.