Court Orders FIR Against 25 Cops Including SHO in Fake NDPS Arrest Case in Budaun
फर्जी एनडीपीएस गिरफ्तारी पर बड़ा एक्शन: बदायूं में कोर्ट के आदेश पर 25 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज
AIN NEWS 1 बदायूं, उत्तर प्रदेश – फर्जी गिरफ्तारी और एनडीपीएस एक्ट के तहत झूठे मुकदमे दर्ज करने के मामले में बदायूं कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद तौसीफ रजा ने आदेश दिया है कि बिनावर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कांत कुमार शर्मा, एसओजी प्रभारी धर्मेंद्र सिंह सहित 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक (सीओ) स्तर से कराई जाए।
यह मामला 28 जुलाई 2024 की रात से जुड़ा है, जब थाना क्षेत्र के गांव कुतुबपुर निवासी मुख्तियार पुत्र निजामुद्दीन, बिलाल उर्फ सद्दाम, अजीत, अशरफ और तनवीर को पुलिस ने बिना किसी एफआईआर के हिरासत में लिया। लेकिन इसके तीन दिन बाद 31 जुलाई को एनडीपीएस एक्ट के तहत तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
अधिवक्ता की याचिका से हुआ खुलासा
इस पूरे मामले की शुरुआत अधिवक्ता मोहम्मद तस्लीम गाजी द्वारा दाखिल एक प्रार्थना पत्र से हुई। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने बिना वैधानिक प्रक्रिया के इन युवकों को उठाया, तीन दिन तक हिरासत में रखा और फिर झूठी बरामदगी दिखाकर गंभीर धाराओं में फंसा दिया। खास बात यह है कि 30 जुलाई को ही पुलिस ने प्रेस नोट और सोशल मीडिया के जरिए गिरफ्तारी की जानकारी सार्वजनिक कर दी थी, जबकि एफआईआर 31 जुलाई को दर्ज की गई।
पुलिस की कथित झूठी बरामदगी की कहानी
1. 26 किलो 600 ग्राम डोडा की बरामदगी:
थाना बिनावर के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कांत कुमार शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने अजीत और अशरफ को 28 जुलाई की रात को हिरासत में लिया और फिर 31 जुलाई को उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। इस मुकदमे में 26 किलो 600 ग्राम डोडा की झूठी बरामदगी दर्शाई गई।
2. 32 किलो 800 ग्राम डोडा छिलका की बरामदगी:
तत्कालीन इंस्पेक्टर क्राइम गुड्डू सिंह पर आरोप है कि उन्होंने मुख्तियार और बिलाल को 28 जुलाई की रात हिरासत में लिया और 31 जुलाई को कुतुबपुर थरा तिराहे से गिरफ्तारी दिखाते हुए 32 किलो 800 ग्राम डोडा छिलका की बरामदगी दर्ज की।
एफआईआर और गिरफ्तारी में तारीखों का बड़ा अंतर
यह बेहद गंभीर तथ्य है कि पुलिस ने गिरफ्तारी की जानकारी 30 जुलाई को जारी कर दी थी, लेकिन एफआईआर एक दिन बाद 31 जुलाई को दर्ज की गई। यह साफ करता है कि वैधानिक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई गईं।
अदालत ने अपर पुलिस अधीक्षक नगर द्वारा की गई जांच के निष्कर्षों को आधार मानते हुए कहा कि गिरफ्तारी वास्तव में 30 जुलाई को हुई थी, ना कि 31 को जैसा कि एफआईआर में दर्ज है।
कोर्ट ने माना गंभीर मामला
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इसे प्रथम दृष्टया बेहद गंभीर मामला माना और आदेश दिया कि संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच कराई जाए।
जिन पुलिसकर्मियों पर दर्ज होंगे मुकदमे:
1. कांत कुमार शर्मा (तत्कालीन थाना प्रभारी)
2. धर्मेंद्र सिंह (एसओजी प्रभारी)
3. गुड्डू सिंह (इंस्पेक्टर क्राइम)
4. शेरपाल सिंह
5. सुम्मेर सिंह
6. रामनाथ कन्नौजिया
7. योगेश कुमार
8. सुमित कुमार
9. विकास कुमार
10. शैलेन्द्र गंगवार
11. मोहित कुमार
12. मनोज
13. चरन सिंह
14. नीरज कुमार मलिक
15. संजय सिंह
16. सचिन कुमार झा
17. विपिन कुमार
18. सचिन कुमार
19. मुकेश कुमार
20. सराफत हुसैन
21. आजाद कुमार
22. भूपेन्द्र कुमार
23. कुश्कान्त
24. अरविन्द कशाना
25. मनीष कुमार
क्या कहता है एनडीपीएस एक्ट?
एनडीपीएस एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) के तहत नशीले पदार्थों की तस्करी, भंडारण और सेवन एक गंभीर अपराध है, जिसमें सख्त सजा का प्रावधान है। लेकिन यदि इस कानून का दुरुपयोग कर निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाया जाए, तो यह न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगाता है।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
इस मामले ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। जब कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले ही कानून तोड़ें, तो जनता का भरोसा डगमगाता है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अब जबकि कोर्ट ने एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि निष्पक्ष जांच होती है या नहीं। साथ ही यह भी अहम रहेगा कि दोषियों को क्या सजा मिलती है और क्या पुलिस विभाग भविष्य में ऐसे मामलों से सबक लेता है।
बदायूं का यह मामला सिर्फ एक जिले या कुछ पुलिसकर्मियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरे पुलिस सिस्टम में मौजूद उन खामियों को उजागर करता है, जो आम नागरिकों को न्याय मिलने से रोकती हैं। अब जब अदालत ने हस्तक्षेप किया है, तो उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी।
A significant legal development occurred in Budaun, Uttar Pradesh, where the court has ordered FIRs against 25 police officers, including SHO Kant Kumar Sharma and SOG in-charge Dharmendra Singh, for fake arrests and false NDPS Act cases. These officers allegedly detained individuals on July 28, 2024, and falsely claimed opium and doda seizures days later. The incident highlights a major case of police misuse of power and fabricated evidence under the NDPS Act. The court has directed a CO-rank investigation, raising serious concerns over the credibility and conduct of the local police.