The Great Secret of Mahapralay in Kalyug: Predictions by Premanand Ji Maharaj on Men, Women & Society
कलियुग में महाप्रलय का महान रहस्य: प्रेमानंद जी महाराज की भविष्यवाणियां जो बदल देंगी सोच
AIN NEWS 1: सनातन धर्म के अनुसार, चार युगों में से कलियुग को सबसे अपवित्र और पतनशील युग माना गया है। इस युग में धर्म का पतन, अधर्म का उत्कर्ष और पापों की प्रधानता होती है। प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कलियुग के बारे में कुछ ऐसी गूढ़ बातें और भविष्यवाणियां की हैं जो न केवल चौंकाने वाली हैं बल्कि वर्तमान समाज की स्थिति पर भी पूर्णतः सटीक बैठती हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कलियुग का आरंभ कैसे हुआ, इसमें क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेंगे, पुरुष और महिलाओं का व्यवहार कैसा होगा, और कैसे यह युग महाप्रलय की ओर बढ़ रहा है।
कलियुग की परिभाषा और आरंभ
कलियुग दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कलि’ जिसका अर्थ है संघर्ष, अंधकार और ‘युग’ अर्थात समय। यह वह काल है जब सत्य, दया, तप, और धर्म की नींव डगमगा जाती है।
भगवान श्रीकृष्ण जब पृथ्वी पर अपनी लीला पूर्ण कर परमधाम लौट गए, तब कलियुग का आरंभ हुआ। जब तक भगवान श्रीकृष्ण अपने चरणों से पृथ्वी को पावन करते रहे, तब तक कलियुग की शक्ति का कोई प्रभाव नहीं था। परंतु जैसे ही भगवान अंतर्ध्यान हुए, उसी क्षण कलियुग का पदार्पण हुआ।
मानव गणना के अनुसार, कलियुग की आयु 4,32,000 वर्ष है, जबकि देवताओं की गणना से यह अवधि 1200 वर्षों की होती है। इस युग में धीरे-धीरे धर्म के चारों स्तंभ – सत्य, दया, तप, और दान – कमजोर होते जाते हैं.
कलियुग में मानव जीवन और समाज का स्वरूप
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि जैसे-जैसे कलियुग आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे मनुष्य की आयु कम होती जाएगी। प्रारंभ में 70 से 80 वर्ष की आयु सामान्य मानी जाएगी, लेकिन धीरे-धीरे यह घटकर 20-30 वर्ष तक सिमट जाएगी।
मानव आचरण में भी भारी गिरावट देखने को मिलेगी। लोग धर्म और आचार-संहिता से विमुख हो जाएंगे। स्वार्थ, वासना और लोभ का बोलबाला होगा। झूठ बोलना आम बात हो जाएगी और उसे अपराध नहीं माना जाएगा। सत्य बोलने वाले लोग समाज में हास्यास्पद समझे जाएंगे।
पुरुषों और महिलाओं का आचरण
प्रेमानंद जी के अनुसार, कलियुग में पुरुष और स्त्री दोनों ही अपने नैतिक मूल्यों को छोड़ देंगे। स्त्रियों का शारीरिक आकार छोटा होता जाएगा और वे अधिक संतानें जन्म देंगी। उनका साहस बढ़ेगा लेकिन उनका आचरण अपवित्र होता जाएगा।
पुरुष अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए स्त्रियों के साथ प्रेम का नाटक करेंगे। विवाह, परिवार और रिश्तों की पवित्रता खत्म हो जाएगी। युवा वर्ग अपने माता-पिता की आज्ञा की परवाह नहीं करेगा।
सन्यासियों और गुरुजनों की स्थिति
महाराज जी कहते हैं कि कलियुग में सन्यासी भी अपने पथ से भटक जाएंगे। वे धन के पीछे भागने लगेंगे, और वहीं धनी माने जाएंगे। गुरु लोग दूसरों को दीक्षा देने के बजाय स्वयं भीख मांगने पर विवश होंगे। ब्रह्मचर्य जैसे आदर्श का लोप हो जाएगा।
व्यापार और धन का प्रभाव
कलियुग में व्यापारियों द्वारा धोखाधड़ी को सामान्य समझा जाएगा। जो रास्ते धर्मशास्त्रों के अनुसार गलत हैं, उन्हीं मार्गों से धन कमाया जाएगा।
यह युग ऐसा होगा जब स्वामी के पास यदि धन नहीं है, तो सेवक उसे छोड़ देंगे। वहीं सेवक चाहे कितना भी निष्ठावान क्यों न हो, विपत्ति में स्वामी उसे त्याग देगा।
समाज में पाखंड का बोलबाला
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि कलियुग में जब पाखंडियों का प्रभाव बढ़ेगा, शास्त्रों और वेदों की गलत व्याख्या होने लगेगी। धर्म का स्वरूप विकृत होगा और अधर्म को ही धर्म कहा जाने लगेगा।
कलियुग का चरम और महाप्रलय का संकेत
जब कलियुग अपने चरम पर पहुंचेगा, तब मानवता लगभग समाप्त हो जाएगी। लोग सूखा और भुखमरी से परेशान होंगे। मनुष्य के शरीर पर केवल हड्डियाँ बचेंगी। भोजन और पानी मिलना कठिन होगा, और लोग दर-दर भटकते नजर आएंगे।
दांपत्य जीवन में सुविधाओं का अभाव रहेगा, लोग स्नान और स्वच्छता तक से वंचित होंगे। उनकी आकृति पिशाच जैसी हो जाएगी। भाई-भाई एक दूसरे की हत्या करेंगे, पुत्र अपने वृद्ध माता-पिता को घर से निकाल देंगे।
सतयुग की वापसी और कल्कि अवतार
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जब भगवान श्रीविष्णु कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे, तब सतयुग की वापसी होगी। भगवान अपने दिव्य रूप में दुष्टों का संहार करेंगे।
जब चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण में एक साथ एक ही राशि में प्रवेश करेंगे, तब सतयुग का आरंभ होगा। कल्कि अवतार के स्पर्श से वायु पवित्र हो जाएगी और लोगों के हृदय में भगवान वासुदेव का वास होगा।
कलियुग में उद्धार का उपाय
प्रेमानंद जी बताते हैं कि कलियुग में उद्धार का केवल एक ही मार्ग है – भक्ति। अगर कोई व्यक्ति जीवन के अंतिम क्षणों में भी भगवान का स्मरण करता है, तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस युग में सत्य, दया, तप और दान के द्वारा व्यक्ति अपने दोषों से मुक्त हो सकता है।
प्रेमानंद जी महाराज की यह भविष्यवाणियां केवल चेतावनी नहीं हैं, बल्कि आत्मावलोकन का माध्यम भी हैं। यह हमें बताती हैं कि कलियुग की भयावहता से बचने का एकमात्र उपाय धर्म, भक्ति और ईश्वर की शरण है।
हमें अपने जीवन को सुधरने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यही समय है जब सत्कर्मों द्वारा मोक्ष पाया जा सकता है। आने वाला समय कठिन है, परंतु ईश्वर की भक्ति से हम सुरक्षित रह सकते हैं।
This article explores the dark truths and spiritual mysteries of Kalyug, as predicted by Premanand Ji Maharaj. From the increasing dominance of sin and deception to the downfall of moral values among men and women, his insights on the end of Kalyug and the arrival of Kalki Avatar shed light on the coming Mahapralay. With references to scriptures like Vishnu Purana and Bhavishya Purana, this comprehensive coverage of Kalyug predictions helps readers understand how to stay righteous and spiritually awakened in the age of darkness.