भारतीय संख्या प्रणाली: इकाई से असंख्यिणी तक?

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AIN NEWS 1: संख्याओं को व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत करने के लिए भारत में एक अनूठी गणना प्रणाली का उपयोग किया जाता है। यह प्रणाली पश्चिमी गणना पद्धति से अलग है और इसमें संख्याओं के विशेष नाम होते हैं। भारतीय गणना प्रणाली प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी उपयोग में है। इस लेख में हम भारतीय संख्याओं को सरल और स्पष्ट रूप से समझेंगे।

1 से 1000 तक की संख्याएँ

सबसे छोटी संख्या 1 को “इकाई” कहा जाता है। जब संख्या 10 होती है, तो इसे “दहाई” कहते हैं। 100 को “सैकड़ा” और 1,000 को “हजार” कहा जाता है। ये प्रारंभिक गणना इकाइयाँ हैं, जो हमें संख्याओं को व्यवस्थित करने में मदद करती हैं।

दस हजार से करोड़ तक की संख्याएँ

जब हम 10,000 तक पहुँचते हैं, तो इसे “दस हजार” कहा जाता है। इसके बाद 100,000 को “लाख” और 1,000,000 को “दस लाख” कहा जाता है। इससे बड़ी संख्या 10,000,000 “करोड़” और 100,000,000 “दस करोड़” कहलाती है।

अरब से खर्ब तक की संख्याएँ

भारतीय संख्या प्रणाली में जब हम 1,000,000,000 तक पहुँचते हैं, तो इसे “अरब” कहा जाता है। इसके बाद 10,000,000,000 “दस अरब” और 100,000,000,000 “खर्ब” कहलाता है। फिर 1,000,000,000,000 को “दस खर्ब” कहते हैं।

नील से पद्म तक की संख्याएँ

10,000,000,000,000 को “नील” कहा जाता है और इससे दोगुनी संख्या 100,000,000,000,000 को “दस नील” कहा जाता है। इसके बाद 1,000,000,000,000,000 को “पद्म” और 10,000,000,000,000,000 को “महा पद्म” कहते हैं।

शंख से असंख्यिणी तक की संख्याएँ

अत्यधिक बड़ी संख्या 100,000,000,000,000,000 को “शंख” और 1,000,000,000,000,000,000 को “महा शंख” कहा जाता है। इसके बाद 10,000,000,000,000,000,000 “अंत्या” और 100,000,000,000,000,000,000 “महा अंत्या” कहलाता है।

सबसे बड़ी संख्याओं में 1,000,000,000,000,000,000,000 “मध्य”, 10,000,000,000,000,000,000,000 “महा मध्य”, और 100,000,000,000,000,000,000,000 “पारस्व” शामिल हैं। फिर 1,000,000,000,000,000,000,000,000 को “महा पारस्व”, 10,000,000,000,000,000,000,000,000 को “ध्रुव” और 100,000,000,000,000,000,000,000,000 को “महा ध्रुव” कहा जाता है।

असंख्यिणी: सबसे बड़ी संख्या

भारतीय गणना प्रणाली में 1,000,000,000,000,000,000,000,000,000 को “असंख्यिणी” और इससे बड़ी संख्या 10,000,000,000,000,000,000,000,000,000 को “महा असंख्यिणी” कहा जाता है। यह भारतीय गणना पद्धति में सबसे बड़ी संख्या मानी जाती है।

भारतीय संख्या प्रणाली की विशेषताएँ

1. व्यवस्थित नामकरण: प्रत्येक बड़ी संख्या का एक विशिष्ट नाम होता है, जिससे गणना आसान हो जाती है।

2. लाख और करोड़ की प्रणाली: यह प्रणाली पश्चिमी मिलियन और बिलियन से भिन्न है और भारत में अधिक प्रचलित है।

3. प्राचीन परंपरा: यह गणना पद्धति वैदिक काल से चली आ रही है और भारतीय गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारतीय संख्या प्रणाली गणित की एक अद्भुत संरचना है, जो छोटी इकाइयों से लेकर असंख्यिणी जैसी विशाल संख्याओं तक विस्तारित है। इसे समझना न केवल गणित को सरल बनाता है बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहरी समझ भी प्रदान करता है।

The Indian number system is a unique numerical system that categorizes large numbers with distinct names like lakh, crore, arab, kharv, padma, and asankhya. Unlike the Western system that uses million and billion, the Indian numeration system follows a structured pattern of counting. Understanding this system is crucial for anyone dealing with large numbers in Hindi, be it in finance, business, or ancient Indian texts. This traditional Indian counting system has been used for centuries and remains relevant in modern times.

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