Thursday, May 16, 2024

जान ले आख़िर क्या है एक्स मुस्लिम मूवमेंट, जिसके तहत लोग छोड़ रहे इस्लाम; भारत समेत इन सभी देशों में भी आंदोलन तेज?

- Advertisement -

AIN NEWS 1: वैसे तो कई सारे सर्वे लगातार ही यह दावा कर रहे हैं कि इस्लाम दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है. इसी कड़ी मे प्यू रिसर्च का कहना है कि साल 2035 में सबसे ज्यादा लोग इसी महजब के मानने वाले ही होंगे. फिलहाल तो ईसाई धर्म ही सबसे ऊपर है, जबकि इस्लाम अभी दूसरे नंबर पर ही है, जिसके अभी फॉलोअर सबसे ज्यादा हैं. ये धर्म काफी तेजी से फैल तो रहा है, लेकिन इसके साथ ही एक अलग ही बात भी लगातार हो रही है. कुछ लोग इस्लाम छोड़ भी रहे हैं. ये लोग खुद को नास्तिक या किसी और रिलीजन को मानने वाले बिलकुल नहीं, बल्कि खुद को एक्स-मुस्लिम बताते हैं. अब यही उनकी पहचान है.

आख़िर क्या करते हैं ऐसे एक्स-मुस्लिम

वैसे तो बता दें इस्लाम को फॉलो करने वाले लोग आमतौर पर अपनें धर्म के मामले में काफी ज्यादा सख्त होते हैं. वे अपने सारे नियम मानते या जन्नत-जहन्नुम जैसी बातों पर पूरा यकीन भी करते हैं. वहीं अपनी पहचान ही एक्स-मुस्लिम बताने वाले इन बातों का बहुत कड़ा विरोध करते हैं. वे सोशल मीडिया पर इसी तरह की कई सारी बातें भी लिखते हैं. वो अपने धर्मगुरुओं को बहस के लिए भी उकसाते हैं और लोगों को यह मजहब छोड़ने के लिए भी कहते हैं.

आख़िर क्यों बनने लगे ऐसे एक्स-मुस्लिम समुदाय

यहां हम आपको बता दें इस धर्म को छोड़ने वालों को कथित तौर पर मौत की धमकियां भी मिलती हैं. साल 2016 में ही इसपर एक डॉक्युमेंट्री भी बनी थी- जिसका नाम था इस्लाम्स नॉन-बिलीवर्स. नॉर्वे में बनी इस पूरी फिल्म में एक्स-मुस्लिमों के डर और खतरों पर ही बात की गई कि किस तरह से उन्हें चरमपंथियों की धमकियां मिलती रहती हैं. या फिर उनके परिवार को मारने की धमकी मिलती है. ऐसे में एक्स-मुस्लिम्स ने एक काम ये भी किया कि वे अपने जैसी सोच वालों को ही जोड़ने लगे. यहां से बनी हुई एक्स-मुस्लिम कम्युनिटी.ये एक तरह का सपोर्ट नेटवर्क ही है, जो एक जैसी सोच वालों की काफ़ी मदद करता है. इसमें सभी कानूनी सलाह देने से लेकर और भी कई तरह की चीजें शामिल हैं.

ये लोग इस तरह से करते हैं अपना काम

यहां हम आपको बता दें एक्स-मुस्लिम्स का सबसे बड़ा काम है, अपनी सोच को आगे ले कर जाना. यानी ज्यादा लोगों को इस्लाम से दूर करना. इसके लिए वे कई सारे प्लेटफॉर्म पर भी जाते हैं. जैसे सोशल मीडिया, मीडिया और पब्लिक गेदरिंग को जुटाना. ये लोग एक दूसरे से अलग-अलग जगहों पर मिलते भी रहते हैं. चूंकि इन सभी का काम केवल धार्मिक विरोध है तो इस कम्युनिटी को धमकियां भी काफी ज्यादा मिलती हैं. ऐसे में बहुत से लोग नाम और चेहरा छिपाकर ही इस बारे मे बात करते हैं.साल 2007 में ही जर्मनी में सेंट्रल काउंसिल ऑफ एक्स मुस्लिम भी बना, जो कि यूरोप का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म था. इसके बाद ऐसे कई सारे ग्रुप बनने लगे.

केरल में भी एक्स-मुस्लिम कम्युनिटी

अब तक अमेरिका और यूरोप का यह फलसफा बढ़ते-बढ़ते दुनिया के कई सारे देशों में फैल गया. अब भारत के केरल में भी इस तरह के एक्स-मुस्लिम समुदाय है. ये अपनी पहचान गुप्त रखकर काम नहीं करते, बल्कि उन्होने बाकायदा एक संगठन बना रखा है, जिसका नाम ही एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल यानि (EMU) है. ये संगठन लगभग पांच साल पहले ही उनके लिए बना था, जो कि इस्लाम छोड़ चुके थे. केरल में अक्सर उन्हें कई सारी धमकियां मिलतीं, या कई सारी और दूसरी परेशानियां भी आती थीं. ऐसे में एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम के लिए EMU बना. इसके अलावा भी एक ऐसा ही ग्रुप है, जिसका नाम ही नॉन-रिलीजियस सिटिजन्स है. ये भी केवल इस्लाम को छोड़ने वाले या उससे नफरत करने वाले ही नहीं, बल्कि ये वे लोग हैं जो किसी भी धर्म को नहीं मानते है. वे कहते हैं कि 18 साल का होने के बाद भी किसी को धर्म के बारे में बताया जाना चाहिए.

जान ले आख़िर भारत में किस तरह के लोग हैं एक्स-मुस्लिम

इसमें ज्यादातर लोग काफी ज्यादा पढ़े-लिखे लोग हैं. वे अपना तर्क करते हैं कि इस्लाम में साइंस पर जोर नहीं, या फिर म्यूजिक और डांस की भी इसमें मनाही है. महिलाओं को प्रॉपर्टी में पुरुषों से आधा ही हक मिलता है. LGBTQIA को भी इस्लाम ने नहीं अपनाया इसलिए ये लोग भी अब इस धर्म से अलग हो रहे हैं. हालांकि इसका पूरा डेटा नहीं कि भारत में कितने लोग अभी मुस्लिम धर्म छोड़कर एक्स-मुस्लिम हो रहे हैं. एक्स- मुस्लिम साहिल, समीर, जफर हेरेटिक, सचवाला और आजाद ग्राउंड जैसे ही कई सारे नाम हैं, जो भारत के ही एक्स-मुस्लिम हैं और वो सभी यूट्यूब चैनल के जरिए अपनी बात कहते हैं. साल 2018 में छपी प्यू रिसर्च सेंटर की एक ऐसी ही रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में रहने वाले कुल 23 प्रतिशत वयस्क जो कि मुस्लिम फैमिली में ही पले-बढ़े, अब अपनी पहचान को ही इस्लाम से नहीं जोड़ते हैं. इनमें से 7 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे इस्लाम की सीख से पूरी तरह सहमत नहीं थे.

जान ले क्या है इस्लामिक देशों में धर्म से दूरी

यहां हम आपको बता दें मुस्लिम-बहुल देशों में इस्लाम छोड़ने पर लोगो को कड़ी सजा है. ऐसे में लोग सीधे-सीधे इस धर्म से दूरी का एलान तो नहीं कर पाते, लेकिन वो अपने तौर-तरीकों से ये बात जताने लगते हैं. जैसे कि लेबनान में 43% लोगों ने माना कि वे अपने घर या कंफर्ट जोन में ही इस्लाम की प्रैक्टिस नहीं करते. रिसर्च नेटवर्क अरब बैरोमीटर ने कुल 25 हजार लोगों पर ये पोल किया था.एक्स-मुस्लिम या फिर नास्तिक बनने में वहां पर एक और मुश्किल ये भी बड़ी है कि ऐसा कोई विकल्प भी आधिकारिक रूप में नहीं. जैसे नौकरी या जिन जगहों पर धर्म का कॉलम भरना ही होता है, वहां नॉन-रिलीजियस का ऑप्शन ही नहीं है. मिडिल ईस्ट में धर्म पर हुआ सबसे बड़ा सर्वे साल 1981 से लेकर 2020 तक ही चलता रहा. यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के इस सर्वे में भी पाया गया कि इराक, ट्यूनीशिया और मोरक्को जैसे देशों में इस्लाम को मानने वाले अब खुद को नास्तिक भी बताने लगे हैं. हालांकि ये यह बात चोरी-छिपे ही करते हैं. वही कुछ लोग खुलकर सामने आते हैं, जो देश छोड़कर कहीं और बस चुके या फिर शरण ले चुके हों.

- Advertisement -
Ads
AIN NEWS 1
AIN NEWS 1https://ainnews1.com
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Polls
Trending
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
Related news
- Advertisement -
Heavy Rainfall in India, Various cities like Delhi, Gurgaon suffers waterlogging 1600 foot asteroid rushing towards earth nasa warns another 1500 foot giant also on way Best Drinks to reduce Belly Fat