AIN NEWS 1: हरियाणा के करनाल जिले के भूसली गांव के रहने वाले लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की जिंदगी में सबकुछ खुशहाल चल रहा था। 28 मार्च को उन्होंने अपनी शादी के लिए छुट्टी ली थी, और 16 अप्रैल को मसूरी में हिमांशी से शादी की। इसके बाद 19 अप्रैल को करनाल में रिसेप्शन हुआ। शादी के बाद दोनों ने यूरोप जाने का प्लान बनाया था, लेकिन वीजा में देरी होने के कारण उन्हें अपना हनीमून प्लान बदलना पड़ा।
वीजा में देरी ने बदली किस्मत
यूरोप जाने का सपना अधूरा रह गया। इसके बाद विनय और हिमांशी ने कश्मीर को हनीमून डेस्टिनेशन के रूप में चुना। 21 अप्रैल को दोनों जम्मू-कश्मीर रवाना हुए और 22 अप्रैल को पहलगाम के एक होटल में ठहरे। उन्हें क्या पता था कि यह यात्रा उनके जीवन की आखिरी पड़ाव बन जाएगी।
पहलगाम की बेरसॉन घाटी में हमला
22 अप्रैल को शाम के वक्त दोनों पहलगाम के बेरसॉन घाटी घूमने निकले। वहां वे भेलपुरी खा रहे थे, तभी एक आतंकवादी वहां पहुंचा। हिमांशी के अनुसार, उसने कहा, “तुम मुस्लिम नहीं हो?” और फिर तुरंत ही लेफ्टिनेंट विनय को गोली मार दी। विनय की मौके पर ही मौत हो गई। हिमांशी इस हमले में किसी तरह बच गईं लेकिन सदमे में हैं।
एक बहादुर सैनिक की कुर्बानी
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने तीन साल पहले सीडीएस परीक्षा पास कर इंडियन नेवी जॉइन की थी। उनकी पोस्टिंग कोच्चि, केरल में थी। वह एक तेजस्वी और बहादुर अफसर थे। 1 मई को वह अपना 27वां जन्मदिन मनाने वाले थे। परिवार वालों ने उनके लौटने पर बड़ी पार्टी की तैयारी भी कर रखी थी।
परिवार की पीड़ा
विनय के दादा हवा सिंह, जो हरियाणा पुलिस से रिटायर्ड हैं, गमगीन होकर बताते हैं कि विनय ने कभी भी उन्हें ज्यादा चीनी नहीं खाने दी, क्योंकि वह डायबिटिक हैं। यह याद करते हुए उनकी आंखें भर आती हैं। विनय की मां आशा देवी और दादी बिरु देवी गृहिणी हैं, और परिवार इस हादसे से उबर नहीं पा रहा है। उनकी छोटी बहन सृष्टि दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी कर रही हैं।
हिमांशी का दर्द
हिमांशी, जो पीएचडी कर रही हैं और बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाती हैं, अब भी सदमे में हैं। उनके पिता सुनील कुमार गुड़गांव में एक्साइज टैक्सेशन अफसर हैं। हाल ही में हुई शादी और उसके बाद अचानक ऐसा हादसा… हिमांशी की दुनिया ही बदल गई है।
समाज में शोक की लहर
विनय के पड़ोसी नरेश बंसल ने बताया कि हाल ही में शादी हुई थी और घर में खुशियों का माहौल था। लेकिन जैसे ही मंगलवार शाम को खबर आई कि विनय को गोली मार दी गई है, पूरे मुहल्ले में मातम पसर गया।
सैन्य परंपरा वाला परिवार
विनय का परिवार लंबे समय से सैन्य सेवा से जुड़ा रहा है। दादा हवा सिंह ने बताया कि उनके चाचा और विनय के नाना के भाई सेना में थे। एक सदस्य अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे। विनय के एक और चाचा आज भी आर्मी में सेवा दे रहे हैं। इस परंपरा को आगे बढ़ाने वाले विनय की शहादत से पूरा देश शोकाकुल है।
अंतिम संस्कार और सम्मान
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का पार्थिव शरीर जब करनाल लाया गया, तो हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। सेना और प्रशासन की ओर से उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। परिवार वालों की आंखें नम थीं, लेकिन गर्व से भरी भी थीं।
सवाल उठते हैं
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—आखिर कब तक निर्दोष लोग आतंकवाद के शिकार बनते रहेंगे? कश्मीर जैसे पर्यटन स्थल पर ऐसी घटनाएं देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। क्या इस हमले को रोका जा सकता था? क्या स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों को और सख्त कदम नहीं उठाने चाहिए?
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की कहानी केवल एक शहीद की नहीं, बल्कि एक सपने के टूटने की भी है। एक ऐसा सपना, जो प्यार से भरा था, जिंदगी से भरा था। लेकिन एक वीजा में देरी और आतंकवाद की बर्बरता ने उस सपने को हमेशा के लिए तोड़ दिया। विनय की शहादत को देश कभी नहीं भूल पाएगा।
Lieutenant Vinay Narwal, a young Indian Navy officer from Haryana, was tragically killed in a Pahalgam terror attack while on his honeymoon with his wife Himanshi. Originally planning a romantic trip to Europe, their plans changed due to a visa delay. The couple then traveled to Kashmir, where Vinay was shot by a terrorist who identified him as a non-Muslim. This heartbreaking story of a brave Indian martyr reflects how a simple change in honeymoon destination led to a devastating tragedy. Keywords like Pahalgam terror attack, Indian Navy officer killed, and Kashmir honeymoon tragedy are central to this article.