AIN NEWS 1: संभल में 46 साल से बंद पड़े भगवान शिव के प्राचीन मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को खोला। डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी ने न केवल इस मंदिर के गेट खुलवाए बल्कि खुद अपने हाथों से उसकी सफाई भी की। यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित है और 1978 में हुए दंगे के बाद बंद हो गया था।
मंदिर का इतिहास और पृष्ठभूमि
यह मंदिर करीब 400-500 साल पुराना बताया जा रहा है। 1978 में इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद ज्यादातर हिंदू परिवार वहां से पलायन कर गए थे। इसके चलते मंदिर भी बंद हो गया और लंबे समय तक उपेक्षित रहा।
मंदिर संभल के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के इलाके में स्थित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थान अतिक्रमण और अनदेखी का शिकार हो चुका था।
कैसे हुआ मंदिर का खुलासा?
शनिवार को डीएम राजेंद्र पैंसिया और एसपी बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चलाने के लिए इलाके में गए थे। उसी दौरान उन्हें मंदिर के बंद होने की जानकारी मिली। उन्होंने तत्काल मंदिर का गेट खुलवाया और अंदर की स्थिति का जायजा लिया। मंदिर में भगवान शिव और हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं।
मंदिर के पास एक प्राचीन कुआं भी मिला है, जिसे अतिक्रमण कर पाट दिया गया था। डीएम ने रैंप हटवाकर कुएं को फिर से खोदने के निर्देश दिए।
मंदिर में हुए अतिक्रमण और प्रशासन की कार्रवाई
डीएम और एसपी ने पाया कि मंदिर के पास अवैध निर्माण किया गया है। कुछ लोगों ने मंदिर की जमीन पर मकान बना लिए थे।
एसडीएम वंदना ने बताया कि मंदिर के आसपास के अतिक्रमण को हटाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
एडिशनल एसपी श्रीश चंद्र ने कहा कि अतिक्रमण करने वालों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
डीएम और एसपी की प्रतिक्रिया
डीएम राजेंद्र पैंसिया ने कहा, “यह मंदिर उस समाज को सौंपा जाएगा जिससे इसका संबंध है। उन्हें इसे फिर से शुरू करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। जो लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं, उन्हें भूमाफिया घोषित कर कार्रवाई की जाएगी।”
एसपी ने कहा, “इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है। मंदिर की स्थिति को सुधारने और आसपास के अतिक्रमण को हटाने का कार्य प्राथमिकता पर होगा।”
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
मंदिर के खुलने से स्थानीय हिंदू समुदाय में खुशी का माहौल है। हालांकि, इलाके में हिंदू परिवारों की संख्या अब नगण्य है। बुजुर्गों ने कहा कि यह मंदिर अतीत में क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक केंद्र हुआ करता था।
क्या कहते हैं इतिहास के जानकार?
स्थानीय इतिहासकारों और पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। इसकी वास्तुकला और प्राचीन कुएं को संरक्षित करना आवश्यक है।
प्रशासन की अगली योजना
मंदिर की सफाई और पुनर्स्थापना का कार्य जल्द पूरा किया जाएगा।
प्राचीन कुएं की खुदाई कर उसे फिर से उपयोग में लाने की योजना बनाई जा रही है।
मंदिर के आसपास अतिक्रमण हटाकर इसे हिंदू समुदाय को सौंपा जाएगा।
पुरातत्व विभाग को मंदिर की देखरेख और संरक्षण की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
मंदिर का खुलना क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव के एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। 46 साल की बंदी के बाद, यह कदम प्रशासन की पहल को दर्शाता है। उम्मीद है कि मंदिर फिर से अपने पुराने गौरव को हासिल करेगा और क्षेत्र में सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देगा।