AIN NEWS 1 | नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से कड़ा सवाल पूछा – “जब ना कोई पैसा ट्रांसफर हुआ और ना ही संपत्ति बदली, तो मनी लॉन्ड्रिंग कैसे हुई?”
उन्होंने अदालत में तर्क देते हुए कहा कि यह मामला वास्तव में अजीब है, क्योंकि इसमें ना किसी नेता को निजी लाभ हुआ, ना ही संपत्ति का स्वामित्व बदला। सिंघवी के अनुसार, एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) देशभर में संपत्तियों की मालिक है और यंग इंडियन को ट्रांसफर के बाद भी सारी संपत्ति एजेएल के नाम पर ही है।
उन्होंने बताया कि यंग इंडियन एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी है, जो लाभांश बांटने की हकदार नहीं है। कांग्रेस से जुड़े कई नेता इसके हिस्सेदार हैं, लेकिन उनमें से किसी को भी व्यक्तिगत रूप से कोई पैसा या संपत्ति नहीं मिली।
सिंघवी का सवाल – क्या यही मनी लॉन्ड्रिंग है?
सिंघवी ने पूछा कि जब संपत्ति के मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ, तब इसे मनी लॉन्ड्रिंग कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि इस केस में न कोई FIR है, न ही किसी अधिकृत जांचकर्ता की शिकायत – ऐसे में ईडी की चार्जशीट पर अदालत कैसे संज्ञान ले सकती है?
पुराने कानूनों का हवाला
उन्होंने 1954 के कानूनों और वोडाफोन केस के सुप्रीम कोर्ट फैसले का हवाला देते हुए बताया कि यंग इंडियन के पास केवल शेयर हैं, संपत्ति का मालिकाना हक अब भी AJL के पास ही है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गैर-लाभकारी कंपनी बंद भी हो जाती है, तो उसकी संपत्ति शेयरधारकों को नहीं, कंपनी को ही मिलती है।
ईडी की कार्रवाई पर सवाल
सिंघवी ने आरोप लगाया कि ईडी ने 2010 से 2021 तक कुछ नहीं किया, और फिर अचानक एक निजी शिकायत के आधार पर सक्रिय हो गई। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मामला है, जिसमें भावना कानून से आगे निकल गई है।
मनी लॉन्ड्रिंग क्यों और कैसे?
अंत में सिंघवी ने पूछा, “कोई भी बिजनेस ग्रुप गैर-लाभकारी कंपनी क्यों खरीदेगा? अगर AJL का कर्ज टाटा या बिरला ने लिया होता तो भी क्या यही होता?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक इंच भी संपत्ति ट्रांसफर नहीं हुई, तो मनी लॉन्ड्रिंग कैसे मानी जा सकती है?
कल भी राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
In the National Herald case, Sonia Gandhi’s lawyer Abhishek Manu Singhvi has strongly questioned the Enforcement Directorate (ED), asserting that no money was moved, no assets changed hands, and no Congress leader gained any financial benefit. Defending the structure of Young Indian and AJL, he emphasized that all properties remained with AJL and that Young Indian is a non-profit entity. Singhvi also raised legal concerns over ED’s actions, citing lack of FIR and questioning the legitimacy of the prosecution in a politically charged environment.