निक्की भाटी मर्डर केस: एफआईआर से गायब दहेज हत्या का आरोप, धाराएं, सजा और अब आगे की कानूनी प्रक्रिया!

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AIN NEWS 1: ग्रेटर नोएडा का निक्की भाटी मर्डर केस इन दिनों पूरे देश का ध्यान खींच रहा है। यह मामला सिर्फ एक महिला की मौत का नहीं है, बल्कि इसमें दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और कानूनी प्रक्रियाओं की खामियां भी उजागर हो रही हैं। पीड़िता के परिवार ने स्पष्ट तौर पर दहेज हत्या (Dowry Death) का आरोप लगाया है, लेकिन एफआईआर की कॉपी में यह धारा शामिल नहीं है।

एफआईआर में लगी धाराएं और सजा

पुलिस ने एफआईआर में तीन बड़ी धाराएं लगाई हैं—

1. BNS धारा 103(1) – हत्या (Murder)

सजा: मृत्युदंड या आजीवन कारावास और जुर्माना।

2. BNS धारा 115(2) – जानबूझकर चोट पहुंचाना (Voluntarily Causing Hurt)

सजा: 1 वर्ष तक की कैद या ₹10,000 जुर्माना या दोनों।

3. BNS धारा 61(2) – आपराधिक षड़यंत्र (Criminal Conspiracy)

सजा: यदि षड़यंत्र हत्या जैसे गंभीर अपराध से जुड़ा है, तो सजा वही होगी जो अपराध के लिए निर्धारित है।

👉 लेकिन दहेज हत्या की धारा (IPC 304B के समकक्ष) और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धाराएं अब तक शामिल नहीं की गई हैं।

पति और ससुराल वालों पर आरोप

निक्की भाटी के पति विपिन भाटी को पुलिस ने मुठभेड़ में गोली लगने के बाद गिरफ्तार किया। अस्पताल से ही उसने मीडिया को दिए बयान में कहा—

 “मैंने निक्की को नहीं मारा, वह खुद ही मर गई। पति-पत्नी के बीच झगड़े होना सामान्य बात है।”

लेकिन पीड़िता के पिता और परिजनों का आरोप है कि—

शादी के बाद से ही निक्की को प्रताड़ित किया जाने लगा।

₹35 लाख रुपये और कार की लगातार मांग की गई।

निक्की की कमाई पर भी पति का दबाव रहता था।

सास ने केरोसिन डाला और पति ने आग लगा दी।

पीड़िता के पिता की आपबीती

निक्की के पिता ने बताया—

उनकी बेटी 70% जल चुकी थी और सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया।

डॉक्टर ने कहा कि उसकी हालत इतनी गंभीर थी कि बचाना संभव नहीं था।

शादी 2016 में हुई थी और उसी समय से उत्पीड़न शुरू हो गया था।

उन्होंने कहा—

“मेरी बेटी की मौत दहेज के कारण हुई है। दोषियों को फांसी मिलनी चाहिए। मैंने परंपरा के अनुसार शादी की, फिर भी मेरी बेटी को प्रताड़ित कर मार दिया गया।”

एफआईआर से दहेज की धारा क्यों गायब?

यह सवाल अब सबसे बड़ा है। अगर परिवार का आरोप सही है तो एफआईआर में दहेज हत्या (Dowry Death) की धारा क्यों नहीं जोड़ी गई?

पुलिस का कहना है कि—

केस की जांच अभी शुरुआती चरण में है।

सबूतों की पुष्टि होने के बाद दहेज अधिनियम की धाराएं जोड़ी जा सकती हैं।

अभी हत्या, षड़यंत्र और चोट पहुंचाने की धाराओं पर केस दर्ज किया गया है।

कानूनी प्रक्रिया और कोर्ट ट्रायल

इस मामले में आगे कानूनी लड़ाई कई चरणों में चलेगी:

1. जांच और चार्जशीट

पुलिस घटना की तहकीकात करेगी।

सबूत (पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गवाहों के बयान, अस्पताल का रिकॉर्ड) इकट्ठा करके चार्जशीट तैयार होगी।

चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही ट्रायल शुरू होगा।

2. कोर्ट ट्रायल

केस सत्र न्यायालय (Sessions Court) में चलेगा क्योंकि हत्या गैर-जमानती और गंभीर अपराध है।

अभियोजन पक्ष (Prosecution) सबूत और गवाह पेश करेगा।

बचाव पक्ष (Defence) आरोपी को निर्दोष साबित करने की कोशिश करेगा।

3. संभावित धाराएं जुड़ना

यदि सबूत मिले कि मौत दहेज की मांग से जुड़ी थी, तो अदालत में धारा 304B (Dowry Death) और 498A (Cruelty by Husband or Relatives) भी जोड़ी जा सकती हैं।

इन धाराओं में दोषी साबित होने पर 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

4. सजा और अपील

अगर अदालत में दोष सिद्ध हो जाता है तो सजा सुनाई जाएगी।

दोषियों के पास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार होगा।

समाज और कानून पर सवाल

यह केस सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के सामने कई सवाल खड़े करता है—

क्यों आज भी दहेज प्रथा के कारण महिलाओं की जान जाती है?

क्या पुलिस एफआईआर दर्ज करते समय राजनीतिक और सामाजिक दबाव में आकर कमजोर धाराएं लगाती है?

क्या पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हमारी न्याय व्यवस्था पर्याप्त तेज है?

पीड़ित परिवार की मांग

निक्की के परिवार ने साफ कहा है कि—

यह सिर्फ हत्या नहीं बल्कि दहेज हत्या है।

आरोपी पति, सास और अन्य ससुरालवालों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।

सरकार और मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

निक्की भाटी केस एक दर्दनाक उदाहरण है कि किस तरह दहेज और घरेलू हिंसा आज भी समाज में काली सच्चाई बनकर मौजूद हैं। एफआईआर में दहेज हत्या की धारा गायब होना न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाता है। अब देखना होगा कि पुलिस जांच और अदालत का फैसला क्या न्याय दिला पाता है।

The Nikki Bhati murder case in Greater Noida is under investigation after shocking revelations that the FIR did not include dowry death charges. Instead, sections under the BNS for murder, conspiracy, and intentional injury were filed. Nikki’s family alleges she was harassed for ₹35 lakh and a car, leading to her tragic death. The case will move to Sessions Court for trial, where additional sections like dowry death (304B IPC equivalent) and cruelty by husband or relatives (498A IPC equivalent) may be added. This case highlights the urgent need for reforms in dowry laws, FIR filing, and speedy justice for victims of domestic violence in India.

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