AIN NEWS 1 | पाकिस्तान एक बार फिर अपनी नापाक साजिशों से बेनकाब हो गया है। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हुए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने अब धीरे-धीरे फिर से खड़े किए जा रहे हैं। यह काम केवल आतंकियों की मदद से ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान सरकार और चंदे के पैसों के सहारे हो रहा है। हाल ही में सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों ने इस खेल की परतें खोल दी हैं।
1. ऑपरेशन सिंदूर के बाद की तस्वीरें
अप्रैल और मई 2025 की मैक्सर टेक्नोलॉजी द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं।
पहली तस्वीर 9 अप्रैल की है, जिसमें दिख रहा है कि भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों को बुरी तरह तबाह कर दिया था।
दूसरी तस्वीर 7 मई की है, जिसमें मलबे का ढेर साफ दिखाई देता है।
यह वही क्षेत्र है, जहाँ भारतीय सेना ने नौ बड़े ठिकाने ध्वस्त कर दिए थे।
इन तस्वीरों से यह साफ हो गया कि पाकिस्तान न केवल आतंकियों को पनाह देता है बल्कि उनके बर्बाद ठिकानों को फिर से बनाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
2. बुलडोज़रों से फिर शुरू हुआ निर्माण
18 अगस्त को लश्कर ने कई भारी मशीनें और बुलडोज़र लगाकर मलबा हटाने का काम शुरू किया। पहले पुराने ढांचे को हटाया गया और फिर नई इमारतों का काम धीरे-धीरे शुरू हो गया।
भारतीय सेना के हमले में जो इमारतें पूरी तरह ढह गई थीं, उन्हें दोबारा खड़ा करने का जिम्मा आतंकी संगठन के नेताओं ने खास तौर पर उठाया है।
3. मरम्मत की जिम्मेदारी किसे मिली
लश्कर के मुख्यालय को दोबारा बनाने की जिम्मेदारी मौलाना अबू जार को दी गई है। वह मरकज तैयबा का डायरेक्टर भी है।
इस काम में उसका साथ दे रहा है युनूस शाह बुखारी, जो लश्कर का चीफ ट्रेनर और ऑपरेशनल गतिविधियों का प्रमुख निगरानीकर्ता है।
लश्कर ने अपना ट्रेनिंग कैंप अस्थायी रूप से बहावलपुर के मरकज अक्सा में शिफ्ट कर दिया है।
कैंप पर नज़र रखने का जिम्मा अब्दुल राशिद मोहसिन को दिया गया है, जो डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी का भरोसेमंद कमांडर है।
4. चंदे का खेल – आतंकवाद के लिए फंडिंग
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि लश्कर इन ठिकानों को बनाने के लिए चंदा जुटा रहा है।
यह पैसा लोगों से बाढ़ पीड़ितों के नाम पर लिया जा रहा है।
पाकिस्तान सरकार भी इसमें पर्दे के पीछे मदद कर रही है।
अगस्त 2025 में लश्कर को सरकार की ओर से 1.25 करोड़ रुपए मिले थे।
लेकिन ठिकानों की मरम्मत और नई इमारतों के निर्माण में इससे कहीं अधिक धन की जरूरत है, इसलिए संगठन अब आम जनता और समर्थकों से फंड इकट्ठा कर रहा है।
5. पाकिस्तान की पुरानी आदतें
यह पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान आतंकियों को पनाह और मदद दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान हमेशा खुद को पीड़ित बताता है।
लेकिन हकीकत यह है कि वह आतंकी संगठनों को खुली छूट देता है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब पूरी दुनिया ने भारतीय सेना की कार्रवाई की तारीफ की थी, तब पाकिस्तान ने अपने आतंकी ठिकानों की मरम्मत शुरू कर दी।
6. भारत की रणनीतिक जीत, पाकिस्तान की काली चाल
ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया था कि भारत अपने खिलाफ चल रहे हर आतंकी षड्यंत्र का करारा जवाब देने में सक्षम है।
भारतीय सेना ने सिर्फ ठिकाने ही नहीं तोड़े, बल्कि आतंकी ढांचे पर सीधा प्रहार किया।
पाकिस्तान अब इसे ढकने के लिए चंदे और सरकारी पैसों का सहारा ले रहा है।
लेकिन सैटेलाइट तस्वीरों ने एक बार फिर उसकी पोल खोल दी है।
पाकिस्तान का आतंकवाद को पालना अब कोई नई बात नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में तबाह हुए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों का दोबारा खड़ा होना दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को खत्म करने के बजाय उन्हें और मजबूत करने में जुटा है। चंदे के नाम पर इकट्ठा किया गया पैसा दरअसल आतंकवाद के लिए इस्तेमाल हो रहा है, और पाकिस्तान सरकार भी इसमें शामिल है।
यह पूरी कहानी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर करती है — एक ऐसा देश जो आतंकियों का संरक्षक है और शांति का सबसे बड़ा दुश्मन।