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कर्ज के बोझ तले उजड़ गया एक हंसता-खेलता परिवार: पंचकूला में सात लोगों की सामूहिक आत्महत्या!

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Panchkula Family Suicide: 7 Members End Life Due to Heavy Debt Pressure

कर्ज के बोझ ने ली 7 जिंदगियां: पंचकूला में एक ही परिवार ने सामूहिक आत्महत्या की

AIN NEWS 1: हरियाणा के पंचकूला शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही परिवार के सात लोगों ने सामूहिक रूप से आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण अत्यधिक कर्ज और बेरोजगारी को बताया जा रहा है। यह परिवार मूल रूप से हरियाणा के हिसार जिले के बरवाला गांव का रहने वाला था।

मरने वालों में कौन-कौन शामिल हैं?

इस दर्दनाक घटना में जिन सात लोगों की जान गई, उनके नाम इस प्रकार हैं:

प्रवीण मित्तल (42) – परिवार के मुखिया

देशराज मित्तल (80) – प्रवीण के पिता

विमला देवी (75) – प्रवीण की मां

रीना मित्तल (38) – प्रवीण की पत्नी

हार्दिक मित्तल (14) – बेटा

हिमशिखा व दलिशा (11) – जुड़वां बेटियां

सभी ने एक पीले रंग के जहरीले पाउडर का सेवन किया, जिससे उनकी मौत हुई। यह घटना सोमवार देर रात को घटी, जिसके बाद मंगलवार को पंचकूला के जनरल अस्पताल में सभी का पोस्टमार्टम किया गया।

कैसे और क्यों हुआ यह सब?

पुलिस को दो सुसाइड नोट मिले हैं – एक कार के डैशबोर्ड में और दूसरा एक बैग में रखी डायरी में। नोट्स में लिखा गया है कि परिवार आर्थिक तंगी और कर्ज से बेहद परेशान था। फिलहाल पुलिस जांच कर रही है कि सुसाइड नोट किसने लिखा।

कर्ज की शुरुआत और बढ़ता बोझ

जांच में पता चला है कि प्रवीण मित्तल साल 2007-08 में स्क्रैप और लोहे के व्यापार से जुड़े थे। इसी दौरान उन पर करीब 6 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। बैंक ने उनका फ्लैट, स्क्रैप फैक्ट्री और तीन गाड़ियां जब्त कर लीं।

इसके बाद उन्होंने पंचकूला छोड़कर देहरादून में नया जीवन शुरू करने की कोशिश की। वहां उन्होंने टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वह भी पिछले साल बंद हो गया।

समाज से कटकर जीना और बेरोजगारी

पिछले 10 सालों तक प्रवीण मित्तल ने किसी रिश्तेदार से संपर्क नहीं किया। वर्ष 2024 में जब देहरादून का काम बंद हो गया, तो वे पंचकूला लौटे और चंडीगढ़ के एक मॉडल स्कूल में बच्चों का दाखिला करवाया। इसके बाद उन्होंने पंचकूला के ही सकेतड़ी गांव में एक टू-बीएचके मकान किराए पर लिया और परिवार के साथ वहां रहने लगे।

इस दौरान वे रोजगार की तलाश में थे, लेकिन काम नहीं मिला। इससे मानसिक तनाव और बढ़ गया।

परिवार पर लगातार बढ़ रहा था कर्ज

प्रवीण के ममेरे भाई संदीप के अनुसार, उनके ऊपर करीब 20 करोड़ रुपये का कर्ज हो चुका था। उन्हें अक्सर जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थीं। ये सब बातें उनके मानसिक हालात को और भी खराब कर रही थीं।

संदीप ने बताया कि प्रवीण टैक्सी चलाकर घर चलाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इतने बड़े कर्ज के सामने वह प्रयास बहुत छोटा था।

रिश्तेदारों की मदद ठुकराई

प्रवीण के चचेरे भाई संदीप असावाल, जो लुधियाना के रहने वाले हैं, ने बताया कि उन्होंने कई बार मदद की पेशकश की, लेकिन प्रवीण हमेशा मना कर देते थे। वह कभी अपने हालात खुलकर नहीं बताते थे और खुद ही सब कुछ संभालने की कोशिश करते थे।

अतीत की परछाइयां: देशराज मित्तल की कहानी

परिवार के सबसे बड़े सदस्य देशराज मित्तल करीब 40 साल पहले हिसार के बरवाला से काम के सिलसिले में पंचकूला चले गए थे। वह कभी वापस नहीं लौटे। बरवाला में उनका कोई निजी मकान नहीं था। वहां वह पहले अपने भाई हरदेवा के साथ अढ़त की दुकान में काम करते थे और गाड़ियों का व्यवसाय भी करते थे।

स्थानीय व्यापार मंडल के नेता जयनारायण राजलीवाला ने बताया कि देशराज का परिवार कभी-कभी गांव आता था, लेकिन देशराज हमेशा बाहर ही रहे। तीन साल पहले उनसे आखिरी बातचीत हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि सब ठीक चल रहा है।

सामूहिक अंतिम संस्कार

मंगलवार को पंचकूला में सातों शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना से पूरा इलाका स्तब्ध है। परिवार के पड़ोसियों, रिश्तेदारों और स्थानीय समाज में शोक की लहर है।

कार मालिक का बयान

जिस कार में सभी ने जहर खाकर आत्महत्या की, वह कार देहरादून के गंभीर सिंह नेगी के नाम पर रजिस्टर्ड है। नेगी ने बताया कि उनकी मुलाकात प्रवीण मित्तल से एक एनजीओ के काम के दौरान हुई थी और प्रवीण ने कभी कार का उपयोग करने की बात की थी।

मानसिक स्वास्थ्य और समाज की जिम्मेदारी

यह घटना न केवल आर्थिक कर्ज की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य और समय पर समर्थन की कितनी जरूरत है। यदि परिवार को सही समय पर सहयोग मिलता, तो शायद आज यह त्रासदी टाली जा सकती थी।

पंचकूला की यह घटना एक बड़ा सामाजिक सवाल छोड़ती है – क्या हमारे समाज में आर्थिक तंगी से जूझते लोगों के लिए पर्याप्त सहारा है? कर्ज से दबे व्यक्ति की मनोस्थिति और आत्महत्या जैसे निर्णय को रोकने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर जागरूकता और सहायता तंत्र को मजबूत करना होगा।

अगर आप या आपके आसपास कोई भी व्यक्ति मानसिक तनाव, कर्ज या अवसाद से जूझ रहा हो, तो काउंसलिंग या हेल्पलाइन नंबर से संपर्क जरूर करें। जीवन अनमोल है। समस्या का हल आत्महत्या नहीं है।

In a heartbreaking case of financial distress and debt pressure, a family of seven in Panchkula committed suicide by consuming poison. The Mittal family, originally from Hisar, had been facing economic hardship and rising threats due to a ₹20 crore loan burden. This mass suicide due to debt in India highlights the growing concerns of mental health, loan recovery pressure, and economic instability in middle-class families.

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