AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले से जुड़ा एक मामला इन दिनों सुर्खियों में है, जहां शाही जामा मस्जिद के सदर और संभल हिंसा केस के प्रमुख आरोपी ज़फ़र अली को 131 दिनों के बाद जेल से रिहा किया गया। लेकिन रिहाई के बाद जो दृश्य सामने आया, उसने हर किसी का ध्यान खींचा — मुरादाबाद जेल से लेकर संभल तक, पूरे 42 किलोमीटर का रोड शो, समर्थकों की भारी भीड़, फूलों की बारिश और ज़िंदाबाद के नारे।
रिहाई के बाद कैसा था ज़फ़र अली का स्वागत?
31 जुलाई 2025 को जैसे ही ज़फ़र अली मुरादाबाद जेल से बाहर निकले, समर्थकों की भारी भीड़ ने उनका जोरदार स्वागत किया। वो एक खुली जीप में सवार थे, और उनके चारों ओर गाड़ियों का लंबा काफिला था। पूरा काफिला मुरादाबाद से संभल तक पहुंचा — इस पूरे सफर में जगह-जगह ज़फ़र अली पर फूल बरसाए गए, और ‘ज़फ़र अली जिंदाबाद’ के नारे गूंजते रहे।
वायरल वीडियो में ज़फ़र अली को हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए देखा गया, मानो वह कोई चुनाव प्रचार कर रहे हों। यह रोड शो इतना भव्य था कि सोशल मीडिया पर इसे लेकर कई चर्चाएं शुरू हो गईं।
ज़फ़र अली को क्यों हुई थी गिरफ्तारी?
मार्च 2025 में संभल में हुई एक हिंसक झड़प के बाद, पुलिस ने कई लोगों पर केस दर्ज किया था। ज़फ़र अली को इस हिंसा का मुख्य साज़िशकर्ता माना गया था। भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई गंभीर धाराओं के तहत उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
पुलिस की जांच में ज़फ़र अली पर पथराव, तोड़फोड़, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए। SIT (विशेष जांच टीम) ने भी उन्हें अपनी चार्जशीट में मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया।
ज़मानत कैसे मिली?
ज़फ़र अली ने अपनी जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी। अदालत ने यह कहते हुए जमानत दी कि अभी तक जांच पूरी नहीं हुई है और किसी को इतने लंबे समय तक जेल में रखना उचित नहीं है।
अदालत के आदेश के बाद ज़फ़र अली की 131 दिन की हिरासत समाप्त हुई और वह जेल से बाहर आए।
क्या रिहाई का स्वागत राजनीति का संकेत है?
रिहाई के बाद ज़फ़र अली ने जुमे की नमाज़ अदा की और समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, “अगर जनता चाहेगी तो मैं चुनाव लड़ने पर विचार करूंगा।” इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतना भव्य स्वागत सिर्फ भावनाओं का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक भविष्य की रणनीति भी छिपी हो सकती है। वहीं कुछ लोगों ने इस तरह के आयोजन को न्याय व्यवस्था और कानून व्यवस्था के लिए चुनौती भी बताया।
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
ज़फ़र अली के स्वागत के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं। कुछ यूज़र्स ने इसे “समुदाय की एकता” कहा, तो वहीं कुछ ने इसे “कानूनी व्यवस्था का मज़ाक” करार दिया।
कई लोगों ने सवाल उठाए कि जिस व्यक्ति पर गंभीर आरोप हैं, उसका इस तरह से जश्न मनाना क्या न्याय प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता?
मामला अभी अदालत में विचाराधीन है
यह स्पष्ट करना जरूरी है कि ज़फ़र अली को सिर्फ जमानत मिली है, वह बरी नहीं हुए हैं। उनके खिलाफ SIT द्वारा दाखिल चार्जशीट में अब भी गंभीर आरोप हैं और मामले की सुनवाई अदालत में जारी है।
अदालत में आगे की कार्रवाई के बाद ही यह तय होगा कि ज़फ़र अली निर्दोष हैं या दोषी।
स्थानीय प्रभाव: खुशी या चिंता?
समर्थकों के लिए यह एक सामुदायिक गौरव का क्षण था। रोड शो को कई लोगों ने “धैर्य की जीत” कहा। लेकिन गांव और कस्बों में रहने वाले अन्य लोगों के बीच संदेह और चिंता का माहौल भी देखने को मिला।
कुछ लोग मानते हैं कि इस तरह के भव्य स्वागत से गलत संदेश जा सकता है और कानून के डर को कमजोर किया जा सकता है।
ज़फ़र अली की रिहाई और उसके बाद हुआ रोड शो केवल एक रिहाई नहीं था, बल्कि यह समाज, राजनीति और कानून के बीच की जटिलताओं का आइना था। जहां एक ओर लोगों की भावनाएं उनके साथ थीं, वहीं दूसरी ओर न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल भी खड़े हुए।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि सिर्फ अदालत का फैसला ही अंत में यह तय करेगा कि ज़फ़र अली दोषी हैं या नहीं, लेकिन फिलहाल यह मामला न केवल संभल बल्कि पूरे राज्य की राजनीति और कानून व्यवस्था की दिशा तय करने वाला बन गया है।
Zafar Ali, the prime accused in the Sambhal violence case, has been released from Moradabad jail after 131 days in custody. His release triggered a massive 42km roadshow to Sambhal, where hundreds of supporters welcomed him with garlands and slogans. The event, widely shared on social media, has fueled political discussions and raised questions about Uttar Pradesh’s law and order. Despite bail, Zafar Ali still faces serious allegations under SIT’s chargesheet, and the legal proceedings in court will determine his fate.