AIN NEWS 1 मऊ (उत्तर प्रदेश): मऊ जिले के मधुबन तहसील परिसर में मंगलवार को एक बड़ा प्रशासनिक और राजनीतिक विवाद सामने आया, जब उप जिलाधिकारी (SDM) राजेश अग्रवाल और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता राजेंद्र मिश्रा के बीच तीखी कहासुनी हो गई। विवाद इस कदर बढ़ा कि SDM राजेश अग्रवाल ने सपा नेता पर अभद्रता और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे डाला और वहीं तहसील परिसर के बरामदे में धरने पर बैठ गए।
क्या हुआ तहसील परिसर में?
मंगलवार को SDM राजेश अग्रवाल अपने चैंबर में जनसुनवाई कर रहे थे। उसी दौरान सपा नेता राजेंद्र मिश्रा किसी कार्य को लेकर वहां पहुंचे। बातचीत के दौरान दोनों के बीच पहले बहस शुरू हुई, जो देखते ही देखते विवाद में बदल गई।
SDM का आरोप है कि सपा नेता ने उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी दी और गुस्से में आकर सरकारी दस्तावेज फाड़ डाले। उन्होंने यह भी कहा कि राजेंद्र मिश्रा ने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई।
धरने पर बैठ गए SDM
SDM राजेश अग्रवाल इस घटना से इतने आक्रोशित हुए कि वह अपने चैंबर से बाहर निकलकर सीधे बरामदे की फर्श पर धरने पर बैठ गए। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से तहसील परिसर में अफरा-तफरी मच गई। कई अधिकारी और कर्मचारी उन्हें मनाने के लिए आए, जिसके बाद वे वापस चैंबर में गए।
राजस्व विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की, लेकिन SDM ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक सपा नेता की गिरफ्तारी नहीं होती, वे शांत नहीं बैठेंगे।
गिरफ्तारी के आदेश और पुलिस की कार्रवाई
SDM ने तत्काल प्रभाव से मधुबन के प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार त्रिपाठी को निर्देशित किया कि सपा नेता राजेंद्र मिश्रा को गिरफ्तार किया जाए। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और सपा नेता की तलाश शुरू की गई।
प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि SDM के आदेश के तहत कार्रवाई की जा रही है और राजेंद्र मिश्रा की गिरफ्तारी का प्रयास जारी है।
सपा नेता का पलटवार
वहीं दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मधुबन विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी राजेंद्र मिश्रा ने खुद पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने दावा किया कि SDM ने ही पहले उनके साथ अभद्र व्यवहार किया और जनता के मुद्दों पर बात करने पर उन्हें चुप कराने की कोशिश की।
राजेंद्र मिश्रा ने कहा, “मैं वहां लोगों की समस्याओं को लेकर पहुंचा था। SDM ने न सिर्फ मेरा अपमान किया, बल्कि मुझे झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दी। उल्टा आरोप मेरे ऊपर लगाया जा रहा है।”
प्रशासन बनाम राजनीति: टकराव की स्थिति
यह मामला प्रशासन और राजनीति के बीच टकराव की एक और मिसाल बनकर सामने आया है। SDM और एक राजनीतिक नेता के बीच इस तरह का सार्वजनिक विवाद, जिसमें धरने और गिरफ्तारी तक की नौबत आ जाए, यह दर्शाता है कि ज़मीनी स्तर पर अधिकारियों और नेताओं के बीच संवाद और सहयोग की कितनी कमी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर करती हैं और जनता का विश्वास दोनों संस्थाओं से उठ सकता है।
आगे क्या?
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का कानूनी और प्रशासनिक अंजाम क्या होता है। अगर पुलिस सपा नेता को गिरफ्तार करती है, तो सपा समर्थकों में असंतोष फैल सकता है। वहीं, अगर आरोप प्रमाणित नहीं होते, तो SDM की भूमिका पर भी सवाल उठ सकते हैं।
फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोनों पक्षों के बयानों को दर्ज किया जा रहा है। तहसील में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है, लेकिन किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल तैनात है।
In Mau, Uttar Pradesh, SDM Rajesh Agrawal sat on a protest after a heated altercation with Samajwadi Party leader Rajendra Mishra at the Madhuban Tehsil campus. Accusing the leader of misbehavior and obstructing official work, the SDM ordered police to arrest the SP leader. The incident has escalated tensions between local administration and political figures. This news from Mau highlights the growing friction between bureaucracy and politics, involving keywords like SDM protest, SP leader arrest, Mau Tehsil incident, UP political controversy, and administrative dispute.