Supreme Court Hearing on Waqf Amendment Act 2025: Major Questions on Section 3D and Property Rights
वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: धारा 3डी को लेकर उठे गंभीर सवाल
AIN NEWS 1: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर करीब 3 घंटे 45 मिनट तक सुनवाई चली। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, चंद्र उदय सिंह और हुजैफा अहमदी जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने वक्फ संशोधन कानून को नागरिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए धारा 3डी पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की।
क्या वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन हमेशा से अनिवार्य था?
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से एक महत्वपूर्ण सवाल किया—“क्या वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पहले से थी और क्या यह अनिवार्य थी?” इस पर सिब्बल का जवाब संतोषजनक नहीं माना गया, जिससे वे थोड़े असहज नजर आए।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें
हुजैफा अहमदी ने दलील दी कि वक्फ अधिनियम 1954 के तहत वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था, लेकिन अब नए संशोधन में इसे अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सेक्शन 3D के अनुसार यदि कोई संपत्ति वक्फ के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है या उसका विवाद है, तो वह संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी। इससे सदियों पुरानी मस्जिदें और धर्मस्थल प्रभावित हो सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून एक खास समुदाय को निशाना बना रहा है और इसकी भाषा अतिक्रमणकारी है। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि इस धारा को पूरी तरह से रोका जाए।
सवाल: धार्मिक आस्था का प्रमाण कैसे?
हुजैफा अहमदी ने कोर्ट के सामने यह भी सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति से यह पूछा जा सकता है कि वह दिन में पांच बार नमाज पढ़ता है या शराब नहीं पीता? क्या इन आधारों पर तय किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति मुसलमान है या नहीं? उन्होंने कहा कि धर्म का ऐसा प्रमाण मांगा जाना मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
सिंघवी ने संशोधन की मंशा पर उठाए सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि संशोधित कानून का उद्देश्य लोगों को डराना और वक्फ संपत्ति के पंजीकरण के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगवाना है। उन्होंने कहा कि कानून में 5 साल की निरंतर धार्मिक प्रथा का प्रमाण मांगना अनावश्यक और असंवैधानिक है।
जेपीसी रिपोर्ट पर उठे सवाल
सिंघवी ने संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सिर्फ 5 राज्यों का सर्वे किया गया और केवल 9.3 प्रतिशत क्षेत्र को शामिल किया गया। फिर यह कहना कि कोई वक्फ संपत्ति रजिस्टर्ड नहीं है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।
केंद्र सरकार का पक्ष आज
आज (बुधवार) की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे। मुख्य न्यायाधीश गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की दो सदस्यीय पीठ यह विचार कर रही है कि जब तक अंतिम निर्णय न आ जाए, क्या संशोधित वक्फ कानून को लागू करने पर रोक लगाई जाए या नहीं।
कौन-कौन हैं पक्षकार?
मुस्लिम पक्ष ने जिन वरिष्ठ वकीलों को प्रस्तुत किया है, उनमें कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, राजीव धवन और हुजैफा अहमदी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं के नोडल वकील एजाज मकबूल होंगे।
वक्फ कानून के समर्थक याचिकाकर्ताओं की ओर से राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह, रंजीत कुमार, रविंद्र श्रीवास्तव और गोपाल शंकर नारायण जैसे नाम सामने आ सकते हैं। इनके नोडल वकील विष्णु शंकर जैन हैं।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही यह सुनवाई वक्फ कानून में किए गए हालिया बदलावों को लेकर बेहद अहम है। विशेषकर सेक्शन 3D को लेकर अदालत की टिप्पणी और आने वाला फैसला देश में अल्पसंख्यक धार्मिक संपत्तियों और उनके अधिकारों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। आज की सुनवाई में सरकार के जवाब के बाद यह तय होगा कि अदालत इस कानून के अमल पर रोक लगाएगी या नहीं।
The Supreme Court’s hearing on the constitutional validity of the Waqf Amendment Act 2025 has sparked a major legal debate. Senior lawyers like Kapil Sibal, Abhishek Manu Singhvi, and Huzaifa Ahmadi challenged Section 3D of the law, claiming it violates fundamental and religious rights and threatens the identity of Waqf properties. With CJI Bhushan Ramkrishna Gavai presiding, the court is expected to decide whether to impose a temporary stay on the implementation of the Act. This critical case involves questions about property rights, minority protections, and legal reforms in India.