AIN NEWS 1: आजकल यह समझा जाता है कि जो व्यक्ति हमारे वोट से विधायक या सांसद बनता है, उसकी आवाज हर जगह गूंजती है और उसे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती। लेकिन अगर ऐसा आपको लगता है, तो यह गलतफहमी हो सकती है। हाल ही में, सत्ता पक्ष के एक विधायक ने अपनी ही पार्टी की एक महिला पदाधिकारी के साथ हुई छेड़छाड़ का आरोप लगाया और इन्साफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। यह घटना यह साबित करती है कि सिर्फ पद और सत्ता का होना ही किसी को न्याय दिलवाने की गारंटी नहीं होता।
विधायक का आरोप है कि उन्होंने अपनी ही पार्टी की महिला पदाधिकारी के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन इसके बावजूद न तो उनकी पार्टी और न ही प्रशासन ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई की। इसके बाद वह बार-बार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
यह स्थिति इस बात को और भी स्पष्ट करती है कि अगर सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो आम आदमी की स्थिति कितनी कठिन हो सकती है। विधायक ने यह भी कहा कि जब सत्ताधारी दल का एक सदस्य इस तरह की परेशानियों का सामना कर रहा है, तो यह सोचने का विषय है कि बाकी लोगों की आवाज कितनी कमजोर हो सकती है।
विधायक के आरोप और उनका संघर्ष यह साबित करते हैं कि सत्ता, पद और पार्टी की स्थिति भी किसी को इन्साफ दिलवाने में मददगार नहीं होती। यह आम आदमी के लिए एक बड़ा संदेश है कि अगर उनका चुना हुआ नेता ही खुद न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, तो सोचिए, आम लोगों की आवाज कितनी दब सकती है।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि सत्ता में रहते हुए भी यदि मुद्दे पर सही कार्रवाई नहीं होती है, तो यह लोकतंत्र और न्याय के सिस्टम की कमजोरी को दर्शाता है। इस समय यह सवाल उठता है कि क्या हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को समान रूप से न्याय मिल रहा है, या कुछ लोग अपने पद का फायदा उठा कर इन समस्याओं से बचने में सफल हो रहे हैं।