AIN NEWS 1: हाथरस के भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम में 2 जुलाई 2024 को हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट (DM) आशीष कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) निपुण अग्रवाल को कोर्ट में तलब किया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों से पूछा है कि आखिर इस भयंकर हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है? कोर्ट ने यह भी कहा है कि क्या इस घटना के लिए इन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय नहीं की जानी चाहिए?
हाईकोर्ट की तीखी टिप्पणी
हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने भगदड़ मामले में आरोपी महिला मंजू देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जस्टिस यादव ने हाथरस की घटना की गंभीरता को देखते हुए यह सवाल उठाया कि क्या प्रशासन की लापरवाही और बदइंतजामी के कारण इतने बड़े पैमाने पर मौतें हुईं?
उन्होंने प्रशासन की नाकामी पर गहरी चिंता व्यक्त की और यह भी कहा कि इस घटना से महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन से जुड़ी जिम्मेदारियों का भी पता चलता है। कोर्ट ने कहा कि अगर प्रशासन समय रहते उचित कदम नहीं उठाता, तो भविष्य में महाकुंभ जैसे आयोजनों में अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं।
महाकुंभ में प्रशासन को सख्त दिशा-निर्देश
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आएंगे और वहां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन को पूरी तरह से सजग और सतर्क रहना होगा। कोर्ट ने प्रयागराज के जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वे महाकुंभ में सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता करें, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। इस आदेश की एक प्रति हाथरस के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM), गृह सचिव उत्तर प्रदेश, आयुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को भेजी गई है।
हाथरस भगदड़ का विवरण
हाथरस में हुई भगदड़ के दौरान भोले बाबा के प्रवचन के बाद श्रद्धालु दर्शन के लिए एक जगह से दूसरी जगह बढ़ने लगे थे। इस दौरान सेवादारों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ के दबाव के कारण भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
सरकार की ओर से बताया गया कि आयोजकों ने केवल 80 हजार श्रद्धालुओं के लिए अनुमति ली थी, लेकिन मौके पर ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु जमा हो गए। प्रशासन ने केवल 50 पुलिस कर्मियों को तैनात किया था, जो 80 हजार की भीड़ को संभालने के लिए भी अपर्याप्त थे। इसका परिणाम यह हुआ कि प्रशासन की लापरवाही के कारण भगदड़ हुई और बड़ी संख्या में लोग मारे गए।
पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं
जस्टिस शेखर यादव ने इस मौके पर कहा कि पहले भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें आयोजकों ने समुचित सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। उन्होंने यह भी कहा कि गरीब और अनपढ़ लोगों की भीड़ अक्सर ऐसे आयोजनों में शामिल होती है और आयोजक कोई ठोस व्यवस्था नहीं करते, जिसके कारण भगदड़ जैसी घटनाएं घटित होती हैं। उन्होंने प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी जोर दिया और कहा कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को अपना कर्तव्य निभाना होगा।
महाकुंभ में होने वाली घटनाओं की चेतावनी
जस्टिस यादव ने महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों को लेकर भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु एकत्र होंगे और अगर प्रशासन ने समय रहते सुरक्षा इंतजाम ठीक से नहीं किए, तो अप्रिय घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मेला ठीक से आयोजित होता है, तो यह न केवल प्रदेश और देश के लिए, बल्कि पूरे दुनिया में एक अच्छा उदाहरण पेश करेगा।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस पूरी घटना में सरकार की ओर से जो सफाई दी गई, उसमें यह बताया गया कि आयोजकों ने शासन से 80 हजार लोगों के जुटने की अनुमति ली थी, लेकिन भीड़ का आकार अचानक बढ़कर ढाई लाख हो गया। प्रशासन की तरफ से बताया गया कि केवल 50 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, जो इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
जस्टिस यादव की अन्य टिप्पणी
8 दिसंबर 2024 को प्रयागराज में एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस शेखर यादव ने कुछ अन्य विवादास्पद बयान दिए थे, जिनके कारण वह चर्चा में आए थे। उन्होंने कहा था कि कुछ कठमुल्ले देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं और समाज में अशांति फैला सकते हैं। इस बयान पर काफी विवाद हुआ था, और विपक्षी दलों ने उनकी आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए थे।
हाथरस भगदड़ मामले में हाईकोर्ट ने प्रशासन की लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणियां की हैं और घटना के जिम्मेदारों को जवाबदेह ठहराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा इंतजामों को लेकर गंभीर चेतावनियां दी गई हैं। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की कोई भी घटना न हो, ताकि श्रद्धालुओं की जान को कोई खतरा न हो।