AIN NEWS 1 | उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव 2026 को लेकर राज्य सरकार ने नामांकन शुल्क और चुनावी खर्च की सीमा तय कर दी है। यह नियमावली ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर ग्राम प्रधान तक सभी पदों पर लागू होगी। सरकार का उद्देश्य है कि चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी, व्यवस्थित और आर्थिक रूप से संतुलित रहे, ताकि हर वर्ग के उम्मीदवारों को समान अवसर मिले।
ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए शुल्क और जमानत राशि
ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करते समय शुल्क और जमानत राशि जमा करनी होगी।
सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के लिए शुल्क ₹200 और जमानत राशि ₹800 तय की गई है।
वहीं SC/ST/OBC एवं महिला उम्मीदवारों के लिए शुल्क ₹100 और जमानत राशि ₹400 रखी गई है।
यह कदम पिछड़े और वंचित वर्गों को राजनीति में अधिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेगा।
ग्राम प्रधान पद के लिए शुल्क और जमानत राशि
ग्राम प्रधान पद के उम्मीदवारों के लिए नामांकन शुल्क और जमानत राशि अधिक रखी गई है, ताकि गंभीर प्रत्याशी ही चुनाव में उतरें।
सामान्य वर्ग के लिए शुल्क ₹600 और जमानत ₹3,000 निर्धारित है।
आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC/महिला) के लिए शुल्क ₹300 और जमानत ₹1,500 तय की गई है।
यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि केवल जिम्मेदार और तैयार उम्मीदवार ही चुनाव लड़ें।
चुनावी खर्च सीमा: ₹1,25,000 तक
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनावों में अधिकतम चुनावी खर्च की सीमा ₹1,25,000 तय की है। यानी कोई भी उम्मीदवार प्रचार, सभाओं, प्रचार सामग्री या अन्य कार्यों में इससे अधिक खर्च नहीं कर सकेगा।
इस नियम का उद्देश्य चुनाव को धनबल से मुक्त करना और स्थानीय स्तर पर समान अवसर सुनिश्चित करना है। आयोग इस खर्च पर निगरानी के लिए कड़े प्रावधान लागू करेगा।
पारदर्शिता पर विशेष जोर
चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आयोग ने निर्देश दिए हैं कि हर उम्मीदवार को अपने खर्च का लेखा-जोखा समय-समय पर देना होगा। जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी समितियां बनाई जाएंगी जो इन खर्चों की जांच करेंगी।
आरक्षण और समानता पर जोर
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि पंचायत चुनावों में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षण व्यवस्था पहले की तरह लागू रहेगी। इससे सामाजिक संतुलन और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों को मजबूती मिलेगी।
डिजिटल पारदर्शिता और नई तकनीक का उपयोग
2026 के पंचायत चुनावों में डिजिटल माध्यमों से नामांकन, निगरानी और शिकायत निवारण की व्यवस्था की जाएगी। यह प्रक्रिया पहले की तुलना में अधिक पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त होगी।
नामांकन शुल्क ऑनलाइन जमा करने की सुविधा भी दी जाएगी ताकि उम्मीदवारों को कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें।
होमगार्ड, सुरक्षा और प्रशासनिक दिशा-निर्देश
राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। होमगार्ड और स्थानीय पुलिस बल को मतदान और मतगणना के दौरान सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए हैं।
होमगार्ड के नए भर्ती दिशा-निर्देशों के तहत अब शारीरिक योग्यता, आयु सीमा, आरक्षण और चयन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया गया है।
प्रशिक्षण और मतदान केंद्रों की तैयारी
चुनाव आयोग के अनुसार सभी मतदान केंद्रों पर CCTV कैमरे, रियल-टाइम रिपोर्टिंग और नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे।
इसके अलावा, कर्मचारियों और मतदान अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि मतदान प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
लोकतंत्र के उत्सव की तैयारी
राज्य सरकार ने पंचायत चुनावों को “लोकतंत्र का उत्सव” बताते हुए कहा है कि यह ग्रामीण भारत की राजनीतिक रीढ़ है। हर ग्राम पंचायत में युवाओं, महिलाओं और किसानों को भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाएगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही का नया युग
इस बार की नीति सिर्फ खर्च या शुल्क तय करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद है ग्रामीण राजनीति को पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर बढ़ाना। सरकार चाहती है कि हर पंचायत चुनाव एक आदर्श लोकतांत्रिक प्रक्रिया बने, जहां धनबल या बाहुबल नहीं बल्कि विकास के मुद्दे हावी रहें।



















