चीन से छिनेगा वर्ल्ड फैक्ट्री का ताज
भारत के पास सुनहरा मौका
कोरोना से चीन बेहाल
AIN NEWS 1: बता दें कोरोना का कहर अब चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ने लगा है। इस संक्रमण के चलते अब चीन का ‘फैक्ट्री ऑफ वर्ल्ड’ का ताज खोने की आशंका बढ़ गई है। दरअसल, कोरोना के भयावह संक्रमण के चलते चीन की फैक्ट्रियों में मजदूरों की काफी कमी हो गई है। ऐसे में यहां पर उत्पादन घटने लगा है। लेकिन ये समस्या केवल कोरोना के चलते नहीं पैदा हुई है। इसकी वजह है कि चीन में लोग अब कम तनख्वाह पर फैक्ट्री में खतरे वाले काम नहीं करना चाहते हैं। खासकर युवा तो चीन में फैक्ट्री में कम वेतन पर काम करना ही नहीं चाहते हैं और फिलहाल तो कोरोना के बढ़ते मामलों का असर भी चीन की फैक्ट्रियों पर पड़ रहा है जिससे फैक्ट्रियों में प्रोडक्शन कम हुआ है।
भारत के पास शानदार अवसर
ऐसे में चीन की इस मौजूदा और आने वाली समस्या का फायदा भारत उठा सकता है। वैसे भी जिस तरह भारत के सामने भी महंगाई समेत तमाम तरह की आर्थिक चुनौतियां हैं उनके निपटारे के लिए भारत को वर्ल्ड फैक्ट्री बनने के बारे में सोचना ही होगा। इसके समाधान के लिए भारत को अच्छी सैलरी वाली नौकरियों को पैदा करना होगा। इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग एक शानदार विकल्प है क्योंकि इसमें अकुशल वर्कफोर्स से लेकर स्किल्ड लेबर तक सभी के लिए मौकों की भरमार होती है। वैसे भी जिस तरह से तमाम चुनौतियों के बीच भारत ने इस साल प्रदर्शन किया है उससे उद्योग जगत भी खासा उत्साहित है।
अमेरिका ने दिया निवेश का भरोसा
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में 14-सदस्यीय इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की बैठक हुई थी। इसमें जोर दिया गया था कि दुनिया को मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन के विकल्प की तलाश करनी चाहिए। इस फोरम के चार पिलर्स में से एक के तौर पर सप्लाई चेन को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका ने पहल की है। अमेरिका ने चीन की जगह लेने को तैयार सक्षम देशों में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में भारत की बड़ी लेबर फोर्स और कम मजदूरी दर इस कोशिश का कामयाब करने का दम रखती है। वैसे भी इस समय चीन की फैक्ट्रियों में सबसे बड़ी समस्या सस्ती लेबर की है जिसका फायदा भारत उठा सकता है। भारत में चीन के मुकाबले कम दर पर मिलने वाली बड़ी लेबरफोर्स मौजूद है। भारत को अपने आप को चीन के मुकाबले मैन्युफैक्चिरिंग के मामले में एक विकल्प के तौर पर विकसित करना होगा।
चीन से कम करनी होगी निर्भरता
भारत को कच्चे माल के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश जारी रखनी चाहिए। आत्मनिर्भर बनने की कोशिश के तहत भारत में ज्यादा से ज्यादा सामान का निर्माण करने की मुहिम को बढ़ावा देना होगा। ऐसे में अगर भारत अपने आप को मैन्युफैक्चिरिंग हब के रूप में स्थापित कर लेता है तो फिर दुनियाभर की कंपनियां चीन की जगह भारत में ही फैक्ट्रियां लगाना पसंद करेंगी। हालांकि इसके लिए भारत को अपनी नीतियों में कुछ बदलाव करने होंगे। जिससे दुनिया के ऐसे देश जो चीन में फैक्ट्री लगा रहे हैं वो भारत का रुख करें। ऐसा होने पर देश की अर्थव्यवस्था और तेजी से बढ़ेगी।