Saturday, January 11, 2025

सभी धर्मों में है दिवाली का विशेष महत्व – डॉ सोनिका जैन

- Advertisement -
Ads
- Advertisement -
Ads

AIN NEWS 1: दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति । दीपावली शब्द ‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधि से बना है । आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपों की पंक्ति ।

भारतवर्ष में मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है । इसे दीपोत्सव भी कहते हैं । ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है । इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं ।

माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे । अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लसित था । श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए ।

कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी । तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलण्डर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है । इस वर्ष दिवाली 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

दीपावली दीपों का त्योहार है । इसे दीवाली या दीपावली भी कहते हैं । दीवाली अँधेरे से रोशनी में जाने का प्रतीक है । भारतियों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है । दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है ।

कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है । लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं । घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता हैं । लोग दुकानों को भी साफ सुथरा कर सजाते हैं ।

बाजारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है । दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाजार सब साफ-सुधरे व सजे-धजे नजर आते हैं । दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं । राम भक्तों के अनुसार दीवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे ।

उनके लौटने कि खुशी मे आज भी लोग यह पर्व मनाते हैं । कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था । इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए ।

एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था, तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए । जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है ।

दिल्ली पुलिस अब किसी को भी हिरासत में ले सकती है, LG ने कमिश्नर को दी ये खास शक्ति

सिक्खों के लिए भी दीवाली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था । और इसके अलावा 1618 में दीवाली के दिन सिक्खों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था । नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है ।

दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं । दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पवों का समूह है । दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयरीयाँ आरंभ हो जाती है । लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं । दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है । इस दिन बाजारों में चारों तरफ जनसमूह उमड़ पड़ता है । बरतनों की दुकानों पर विशेष साज-सज्जा व भीड़ दिखाई देती है ।

धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है अत: प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है । इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है । इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है ।

इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं । अगले दिन दीपावली आती है । इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं । बाजारों में खील-बताशे, मिठाइयाँ, खांड़ के खिलौने, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियाँ बिकने लगती हैं ।

स्थान-स्थान पर आतिशबाजी और पटाखों की दूकानें सजी होती हैं । सुबह से ही लोग रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयाँ व उपहार बाँटने लगते हैं । दीपावली की शाम लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है । पूजा के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियाँ जलाकर रखते हैं ।

चारों ओर चमकते दीपक अत्यंत सुंदर दिखाई देते हैं । रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों से बाजार व गलियाँ जगमगा उठते हैं । बच्चे तरह-तरह के पटाखों व आतिशबाजियों का आनंद लेते हैं । रंग-बिरंगी फुलझडियाँ आतिशबाजियाँ व अनारों के जलने का आनंद प्रत्येक आयु के लोग लेते हैं । देर रात तक कार्तिक की अँधेरी रात पूर्णिमा से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है ।

दीपावली से अगले दिन गोवर्धन पर्वत अपनी अँगुली पर उठाकर इद्र के कोप से डूबते ब्रजवासियों को बचाया था । इसी दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते हैं तथा गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करते हैं । अगले दिन भाई दूज का पर्व होता है ।

दीपावली के दूसरे दिन व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बदल देते हैं । वे दूकानों पर लक्ष्मी पूजन करतें हैं । उनका मानना है कि ऐसा करने से धन की देवी लक्ष्मी की उन पर विशेष अनुकंपा रहेगी । कृषक वर्ग के लिये इस पर्व का विशेष महत्व है । खरीफ की फसल पक कर तैयार हो जाने से कृषकों के खलिहान समृद्ध हो जाते हैं । कृषक समाज अपनी समृद्धि का यह पर्व उल्लासपूर्वक मनाता हैं ।

अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है । यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है । हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढियों से यह त्योहार चला आ रहा है ।

लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है । लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड़े पहनते है । मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते है, एक दूसरे से मिलते हैं । घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है ।

बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं । अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है । हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढियों से यह त्योहार चला आ रहा है । लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है ।

डॉ सोनिका जैन
ज्योतिषाचार्य

- Advertisement -
Ads
AIN NEWS 1
AIN NEWS 1https://ainnews1.com
सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
Ads

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisement
Polls
Trending
Rashifal
Live Cricket Score
Weather Forecast
Latest news
Related news
- Advertisement -
Ads