AIN NEWS 1: जैसा कि आप सभी जानते है व्यापार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का ही एक पहिया होता है. कभी कभी लोग लघु उद्योग या व्यापार शुरू कर अपने बेहतर भविष्य की तलाश में लग जाता है. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम यानी MSME के अनुसार पेमेंट करने की टाइम लिमिट अब 45 दिन की कर दी गई है. किसी भी कंडीशन में अब आप 45 दिन के बाद उधार माल नहीं खरीद सकते हैं. अगर किसी से आपका एग्रीमेंट नहीं है, तो 15 दिन के भीतर ही इसका पेमेंट करना होगा अगर कोई एग्रीमेंट या अनुबंध किया है तो उसे 45 दिन तक का टाइम मिल जाएगा.अगर जिस व्यापारी का पेमेंट समय से नहीं किया है तब MSME के तहत लागू कानून के मुताबिक वह व्यापारी ब्याज की राशि की मांग भी कर सकता है और आपको ब्याज की राशि उसे देना पड़ेगी. इस नए कानून व्यवस्था पर चार्टर्ड अकाउंटेंट और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने भी अलग-अलग बात बताई है.
जान ले इन व्यापारियों का MSME से कोई संबंध नहीं
चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने साफ़ साफ़ बताया कि MSME लघु उद्योग से संबंधित है, जो व्यापारी MSME से ही पंजीकृत हैं. उसका फायदा छोटे व्यापारियों को भी मिलेगा. उसका क्रेडिट लिमिट 45 दिन की ही रहती है. यदि 45 दिन से ज्यादा का समय होता है तो तब ब्याज का प्रावधान भी किया जाता है. यह नियम MSME में रजिस्टर्ड व्यापारियों पर ही लागू होगा. जिसका व्यापार 2 करोड़ से अधिक और 50 करोड़ से कम हो ऐसे सभी व्यापारी MSME में आते हैं. 50 करोड़ से अधिक व्यापार करने वालों का MSME से कोई भी संबंध नहीं है. MSME का नया कानून बहुत अच्छा है किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है. नया नियम आने से थोड़ा समय तो लगता है. कुछ समस्याएं होने पर संशोधन भी किया जाता है.नए कानून व्यवस्था से व्यापारियों को नुकसान
चार्टर्ड अकाउंटेंट हार्दिक जैन ने कहा कि MEMS के नए कानून व्यवस्था से उन सभी व्यापारियों को नुकसान होगा, जिन लोगों ने MSME वालों से माल खरीदा हुआ है. ज्यादातर स्टोर आइटम के मार्केट में एक दो महीने का उधार चलता ही है. नगदी का व्यापार कम ही चलता है. वे व्यापारी जो धारा 44D में आते हैं उन सबको तो इसका सामना नहीं करना पड़ेगा. इनका 6 से 8% प्रॉफिट डिक्लेयर रहता है. लेकिन जितने भी व्यापारियों का खाता बही ऑडिट होता है उनका पेमेंट करना होगा.