SP Leader Indrajeet Saroj Questions Power of Temples and Criticizes Tulsidas in Controversial Remarks
“अगर मंदिरों में शक्ति होती तो गजनवी क्यों आता?” – सपा नेता इंद्रजीत सरोज का विवादित बयान
AIN NEWS 1: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम में दिए गए अपने भाषण से सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। अपने भाषण में उन्होंने भारत के प्राचीन मंदिरों की शक्ति पर सवाल उठाए और तुलसीदास की रचनाओं को लेकर भी तीखी टिप्पणी की।
मंदिरों की शक्ति पर उठाए सवाल
इंद्रजीत सरोज ने कहा, “अगर भारत के मंदिरों में कोई अलौकिक शक्ति होती, तो मुहम्मद बिन कासिम 712 ईस्वी में भारत पर आक्रमण नहीं करता। न ही महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी इस देश को लूट पाते।” उन्होंने तर्क दिया कि जब विदेशी आक्रांता बार-बार भारत आते रहे और मंदिरों को नष्ट करते रहे, तो देवताओं ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? “उन्हें इन आक्रांताओं को श्राप देना चाहिए था। उन्हें अंधा या राख बना देना चाहिए था,” उन्होंने कहा। उनके इस बयान को लेकर धार्मिक संगठनों और हिंदू समुदाय में रोष देखा जा रहा है।
तुलसीदास की रचनाओं पर टिप्पणी
सरोज ने तुलसीदास की रचनाओं को लेकर भी विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “तुलसीदास ने तथाकथित नकली हिंदुओं के खिलाफ बहुत कुछ लिखा, लेकिन मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं लिखा। उन्होंने अकबर के शासनकाल में भी मुस्लिम शासकों की आलोचना करने का साहस नहीं दिखाया।”
उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने केवल जातिवादी विचारों को बढ़ावा दिया और शूद्रों को अपमानित करने वाले विचार लिखे, जबकि मुसलमानों के विषय में चुप्पी साधे रखी।
जातिवाद और शोषण पर भी बोले
इंद्रजीत सरोज ने अपने भाषण में जातिवाद पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि पहले के समय में शूद्रों को सार्वजनिक रास्तों पर चलने तक की अनुमति नहीं थी। “उन्हें अपने गले में हांड़िया बांधनी पड़ती थी, ताकि उनकी परछाईं भी ऊँच जाति के लोगों पर न पड़े,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को यह कहानी लगती है, तो हाल ही में रिलीज हुई ज्योतिबा राव फुले पर बनी फिल्म देख लेनी चाहिए। इससे समाज में उस समय व्याप्त जातिगत भेदभाव की सच्चाई सामने आती है।
“जय श्रीराम से कुछ नहीं होगा, जय भीम बोलिए”
इंद्रजीत सरोज ने अपने भाषण में यह भी कहा कि केवल “जय श्रीराम” बोलने से कुछ नहीं होगा। अगर समाज को आगे बढ़ना है, तो “जय भीम” का नारा लगाना होगा। उन्होंने यह संदेश दिया कि सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई डॉ. आंबेडकर के विचारों से ही संभव है।
मायावती और कानून-व्यवस्था पर हमला
अपने भाषण के अंत में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मायावती अब भारतीय जनता पार्टी के सामने झुक चुकी हैं और बीजेपी की सहयोगी बनकर रह गई हैं। सरोज का दावा था कि बीएसपी अब बहुजनों की बात नहीं करती और न ही उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है।
समाजवादी पार्टी के अंदर समर्थन
इंद्रजीत सरोज के इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रामजीलाल सुमन के समर्थन में खड़े होते हुए अप्रत्यक्ष रूप से सरोज के बयानों की दिशा को सही ठहराया। हालांकि पार्टी की ओर से अब तक आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इंद्रजीत सरोज के ये बयान न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने वाले माने जा रहे हैं, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज की जटिल संरचनाओं – जैसे जातिवाद, धर्म, और राजनीति – पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह देखना बाकी है कि समाज और राजनीतिक हलकों में इन बयानों का क्या असर पड़ता है और सपा इस मुद्दे को कैसे संभालती है।
Samajwadi Party leader and MLA Indrajeet Saroj has sparked a major controversy with his remarks questioning the power of Hindu temples in India, citing invasions by Muhammad bin Qasim, Mahmud Ghaznavi, and Muhammad Ghori. He also criticized Tulsidas for allegedly ignoring Muslims in his writings, while accusing him of targeting so-called fake Hindus. These comments, made during an Ambedkar Jayanti event, have stirred political debate. Saroj further questioned caste discrimination in ancient times and slammed BSP leader Mayawati for aligning with BJP. This controversial statement has triggered widespread reactions in Uttar Pradesh politics.