AIN NEWS 1 वाराणसी: उत्तर प्रदेश के महाकुंभ आयोजन को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के महाकुंभ के निमंत्रण पर उठाए गए सवालों का जवाब दिया है।
स्वामी जीतेन्द्रानंद ने कहा कि अखिलेश यादव का पेट दर्द होना स्वाभाविक है, क्योंकि उनके कार्यकाल में सरकारी धन का उपयोग रोजा इफ्तार के निमंत्रण में किया जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब सनातन धर्म के आयोजनों के लिए आस्था रखने वाले लोगों को निमंत्रण भेज रहे हैं, जो कि उनकी सनातन धर्म के प्रति अपार श्रद्धा का प्रतीक है।
स्वामी जीतेन्द्रानंद ने स्पष्ट किया कि पहले महाकुंभ आयोजन के बारे में लोगों को पंचांग के माध्यम से सूचित किया जाता था, और यही परंपरा आज भी चल रही है। इस बार जब प्रदेश सरकार महाकुंभ आयोजन की तैयारियों में जुटी है, तो पूरी संत समिति प्रसन्न और गर्वित है। उन्होंने प्रदेश सरकार को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।
संत समिति के अनुसार, महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में निमंत्रण भेजने की कोई परंपरा नहीं रही। पंचांग के माध्यम से लोग प्रमुख तिथियों के बारे में जानकर स्वयं ही आयोजन में शामिल होते थे।
इस बीच, अखिलेश यादव ने लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाकुंभ के निमंत्रण पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कुंभ में लोगों को निमंत्रण नहीं दिया जाता है, बल्कि लोग अपनी आस्था से खुद आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार अलग है और सरकार द्वारा निमंत्रण भेजने की प्रक्रिया को लेकर वह कुछ कहना नहीं चाहते।
अखिलेश यादव के बयान के बाद, संत समिति और भाजपा ने इसे एक नई परंपरा के रूप में देखा, जिसमें धार्मिक आयोजनों में सरकार की सक्रिय भागीदारी को प्रमुख बताया गया।
इस तरह, महाकुंभ को लेकर सपा और भाजपा के बीच विचारों का अंतर साफ नजर आ रहा है, और संत समिति ने इस आयोजन को एक पवित्र और गौरवपूर्ण कार्य के रूप में देखा है, जिसे प्रदेश सरकार ने बड़े उत्साह के साथ तैयार किया है।