बैसाखी और खालसा सृजन दिवस पर लखनऊ में बोले योगी आदित्यनाथ: “पुरुषार्थ से भागने वाली कौम संकट में पड़ती है”!

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Yogi Adityanath Attends Baisakhi Event in Lucknow, Honors Khalsa Panth Legacy

बैसाखी और खालसा सृजन दिवस पर लखनऊ में बोले योगी आदित्यनाथ: “पुरुषार्थ से भागने वाली कौम संकट में पड़ती है”

AIN NEWS 1: लखनऊ में बैसाखी और खालसा सृजन दिवस के अवसर पर आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना के पीछे छिपे उद्देश्य, साहस और बलिदान की भावना पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल फसल कटाई का त्योहार है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक भी है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन की शुरुआत सिख धर्म की पारंपरिक जयघोष “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल!” से की, जिससे पूरे पंडाल में उत्साह की लहर दौड़ गई। उन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह जी को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए कहा कि खालसा पंथ की स्थापना का उद्देश्य समाज में न्याय, समानता और धर्म की रक्षा करना था।

मुख्यमंत्री ने कहा, “जिस पराक्रम और पुरुषार्थ के लिए गुरु श्री गोबिन्द सिंह जी महाराज ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, उस पुरुषार्थ से हमें भागना नहीं चाहिए। जो कौम अपने पुरुषार्थ से डिगेगी, उसके सामने संकट आएगा। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।”

खालसा पंथ: पराक्रम और निष्ठा की मिसाल

योगी आदित्यनाथ ने खालसा पंथ की गौरवशाली परंपरा को याद करते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक संगठन नहीं, बल्कि यह सच्चाई, निडरता और न्याय का प्रतीक है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी, ताकि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ एक संगठित और सशक्त समूह तैयार किया जा सके।

बैसाखी का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बैसाखी केवल एक कृषि पर्व नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है। यह दिन भारतीय समाज में नवचेतना और आत्मबल का संचार करता है। खासकर सिख समुदाय के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन खालसा पंथ का जन्म हुआ था।

सांस्कृतिक एकता का संदेश

कार्यक्रम में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विविधता से भरे राज्य में इस प्रकार के आयोजन सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता को मजबूत करते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से अनुरोध किया कि वे अपने-अपने धर्म और परंपराओं को समझें, उनका सम्मान करें और समाज में भाईचारा बनाए रखें।

मुख्यमंत्री की शुभकामनाएं

अंत में मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों को बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कामना की कि यह पर्व सभी के जीवन में समृद्धि, शांति और ऊर्जा लेकर आए। उन्होंने कहा, “बैसाखी का पर्व हमें यह सिखाता है कि अगर हम साहस और निष्ठा के साथ आगे बढ़ें, तो कोई भी कठिनाई हमें रोक नहीं सकती।”

Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath participated in the Baisakhi and Khalsa Foundation Day celebration in Lucknow. He paid homage to Guru Gobind Singh Ji and the valorous spirit of the Khalsa Panth. Speaking at the event, CM Yogi emphasized the importance of bravery, cultural pride, and unity. His message resonated with the legacy of Guru Gobind Singh, marking the importance of Baisakhi 2025 and the Sikh community’s historical contribution. The celebration reflected the spiritual and social significance of the Khalsa and Baisakhi festival in India.

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