भारत:5,000,10,000 और 1000 के नोट पहले भी रहे हैं चलन में, आज लोगो को इस बारे में जानकारी ही नहीं है!

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1.1938 में अग्रेज हुकुमत ने 10 हजार रुपये का नोट जारी किया.

2.अंग्रेज सरकार ने 1946 में चलन से बाहर कर दिया गया.

3.आजादी के बाद 1978 तक 10 हजार का नोट चलन में रहा.

AIN NEWS 1 नई दिल्‍ली: बता दें भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोट को अब चलन से बाहर कर दिया है. जिन लोगों के पास भी 2,000 हजार रुपये के नोट हैं, वो 29 सितंबर, 2023 तक इन्‍हें किसी भी बैंक में जाकर अन्‍य नोटों से आसानी से बदला सकते हैं या फिर अपने बैंक अकाउंट में वो इन्हे जमा करा सकते हैं. वैसे तो आज की जनरेशन 2,000 के नोट को ही हमारे देश का सबसे बड़ा नोट समझती है. जब के, हकीकत में ऐसा बिलकुल नहीं है. भारत में पहले भी 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट काफ़ी चलन में रहे हैं. काले धन पर लगाम लगाने के नाम पर ही इनको भी उस समय की सरकार ने बंद कर दिया था.जान ले भारत का सबसे ज्‍यादा मूल्‍य का करंसी नोट पहली बार ही 1938 में छपा गया था. लेकीन उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था. उसके बाद 1938 में चलन में आए दस हजार रुपये का नोट ज्‍यादा दिन तक तो नहीं चल पाया. महज 8 साल बाद ही अंग्रेज हुकुमत ने भी इसे बंद करने का निर्णय ले लिया और यह 1946 में इसे भी चलन से बाहर कर दिया गया. दस हजार के नोट को बंद करने की वजह उस समय व्‍यापारियों की मुनाफाखोरी को भी बताया जाता है.

लेकीन आजादी के बाद फिर से चलन में आए ये बड़े नोट

1947 में आजादी मिलने के बाद से भारत में 5,000 और 10,000 रुपये के करंसी नोट चलन में आ गए थे. साल 1954 यानी आजादी से सात साल बाद ही इसे छापा गया था. इसके साथ ही 1,000 रुपये के नोटों को भी फिर से यहां चलन में लाया गया. बड़े मूल्‍य के करेंसी नोटो का इस्‍तेमाल भारत में करीब 24 साल तक धड़ल्‍ले से हुआ था. 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के नोटों को उस समय बंद कर दिया. जब हुई नोटबंदी की यह घोषणा आकाशवाणी पर ही की गई.

लेकीन जनता पर नहीं हुआ इसका ज्‍यादा असर

मोरारजी देसाई ने जब नोटबंदी का ऐलान किया तो उसका भारत के नागरिकों पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. इसका कारण यह था कि उस समय ये बड़े नोट कोई ज्यादा सर्कुलेशन में नहीं थे. रिजर्व बैंक के अनुसार 31 मार्च 1976 तक कुल 7,144 करोड़ की करेंसी ही चलन में थी. इसमें 1,000 के नोट 87.91 करोड़ रुपये मूल्‍य के ही थे. यह कुल राशि का मात्र 1.2 प्रतिशत थे. 5,000 के नोट केवल 22.90 करोड़ रुपये मूल्‍य के ही थे. जबकि 10,000 के कुल 1260 नोट चलन में थे जिनकी वैल्यू उस समय 1.26 करोड़ थी. इस प्रकार इन तीनों बड़े नोटों का कुल सर्कुलेशन ही उस समय 2 फीसदी से भी कम था.

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