Thursday, May 9, 2024

‘वंदे भारत’ ट्रेन को लेकर भारत और रुस के बीच क्यों छिड़ा विवाद ?

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‘वंदे भारत’ ट्रेन को लेकर भारत और रुस के बीच क्यों छिड़ा विवाद ?

भारत और रुस के बीच वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण से जुड़े एक संयुक्त उद्यम में हिस्सेदारी को लेकर विवाद बढ़ गया है. संयुक्त उद्यम में शामिल भारत की कंपनी चाहती है कि उसकी हिस्सेदारी अधिक हो और रूसी कंपनी इसके खिलाफ है जिसे लेकर दोनों कंपनियों में झगड़े की नौबत आ गई है.
भारत और रुस की कंपनियों वाले संयुक्त उद्यम ने 120 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण और अगले 35 सालों तक उनके रखरखाव के लिए 30,000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है.
रूसी कंपनी Metrowagonmash रूस की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग कंपनी Transmashholding का हिस्सा है. रूस की इस कंपनी को रेलवे के लिए रोलिंग स्टॉक के विकास, डिजाइन और निर्माण में विशेषज्ञता हासिल है. इस कंपनी ने भारत की सरकारी कंपनी, रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर 120 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट जीता है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले संयुक्त उद्यम में मेट्रोवैगनमैश की 80 फीसद और RVNL की 26 फीसद हिस्सेदारी है. भारत की कंपनी RVNL अब चाहती है कि उसे संयुक्त उद्यम में 69 फीसद की बड़ी हिस्सेदारी मिले. वो चाहती है कि रूसी कंपनी मेट्रोवैगनमैश की हिस्सेदारी घटाकर 26 फीसद कर दी जाए और तीसरे भागीदार लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स (LES) को 5 फीसद की हिस्सेदारी मिले.
भारतीय कंपनी ने रूसी कंपनी को लिखा पत्र
25 अप्रैल, 2023 को रूसी कंपनी को लिखे एक पत्र में, RVNL ने बताया कि उसने Kinet Railway Solutions Ltd (KRSL) नाम की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी को खुद में शामिल कर लिया है.                                                                                                                    
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में रूसी कंपनी को सूचित किया गया कि कंपनी एसपीवी (Special Purpose Vehicle) के रूप में काम करेगी. यह रेल मंत्रालय के साथ मैन्यूफैक्चरिंग कम मेंटेनेंस एग्रीमेंट (MCMA) प्रोजेक्ट पर समझौता करेगी और फिर बाद में उसे लागू करेगी.
RVNL ने कहा कि चूंकि वह भारत की सरकारी कंपनी है, इस नाते सरकार से क्लियरेंस हासिल करने में उसे आसानी होगी. साथ ही स्थानीय कामगारों को रेल निर्माण प्रोजेक्ट में शामिल करने जैसे मुद्दों को भी वो अच्छे से हैंडल कर सकती है.
पत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में आगे कहा गया, ‘वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति और इस तथ्य को देखते हुए कि RVNL एक भरोसेमंद सरकारी कंपनी है, जिसके सरकारी वित्तीय संस्थानों के साथ मजबूत संबंध हैं, उसके लिए घरेलू बाजार से कम दरों पर पैसा जुटाना आसान होगा.’
कंपनी ने कहा, ‘अगर RVNL इस पहल में अग्रणी भूमिका निभाता है तो यह सभी भागीदारों के लिए फायदेमंद होगा.
रूसी कंपनी RVNL की हिस्सेदारी बढ़ाने का कर रही विरोध
RVNL ने कहा कि उसने संयुक्त उद्यम में अपने लिए जितनी हिस्सेदारी की मांग की है और दूसरे भागीदारों के लिए जितनी हिस्सेदारी का सुझाव दिया है, Metrowagonmash उस पर अपनी सहमति दे दे. लेकिन रूसी कंपनी ने भारतीय सरकारी कंपनी के प्रस्ताव का विरोध किया है और अब इस मामले को रूसी सरकार के समक्ष उठाया है.
रूस के व्यापार प्रतिनिधि ने 8 मई को भारत सरकार को एक पत्र लिखकर कहा कि वो RVNL को मूल कॉन्ट्रैक्ट पर टिके रहने का निर्देश दे. इस मामले को लेकर दोनों कंपनियों के बीच खींचतान जारी है और अब ऐसी संभावना है कि भारत और रूस शीर्ष स्तर पर इस मामले को सुलझाएंगे.
भारत की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन मानी जाती है वंदे भारत
भारत में फिलहाल 10 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं. ये ट्रेनें भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन मानी जाती है जिसकी अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे हैं.
इस सेमी-हाई स्पीड ट्रेन में 16 स्व- चालित कोच शामिल हैं. भारत की इस आधुनिक ट्रेन में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. इसमें जीपीएस आधारित सूचना सिस्टम, सीसीटीवी कैमरें, वैक्यूम आधारित बायो टॉयलेट, ऑटोमैटिक स्वाइडिंग डोर जैसी कई सुविधाएं हैं. भारत सरकार ने 2021-22 के बजट में 2024-25 के अंत तक भारत में 400 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का लक्ष्य रखा है.
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