Saturday, November 23, 2024

नोटबंदी के बावजूद क्यों बढ़ा देश में कैश? वित्त मंत्री ने बताया ‘राज’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि करंसी सर्कुलेशन की संख्या सालाना आधार पर 7.98 फीसदी बढ़ी है. सीतारमण ने जानकारी दी है कि चलन में...

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AIN NEWS 1: बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि करंसी सर्कुलेशन की संख्या सालाना आधार पर 7.98 फीसदी बढ़ी है. सीतारमण ने जानकारी दी है कि चलन में मौजूद नोटों की संख्या 2 दिसंबर 2022 तक 31.92 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. वित्त मंत्री के मुताबिक करेंसी की डिमांड के कई मैक्रो इकोनॉमिक कारण होते हैं जिनमें इकोनॉमिक ग्रोथ और ब्याज दरों का लेवल शामिल है. सीतारमण ने ये जानकारी लोकसभा में अपने जवाब के दौरान दी हैं.

अर्थव्यवस्था में कैश की भूमिका

अर्थव्यवस्था में नकदी का स्तर बैंकनोट की जरूरतों को पूरा करने पर निर्भर करता है. GDP ग्रोथ, महंगाई, खराब नोटों को बदलने और भुुगतान के गैर-नकदी विकल्पों में इजाफे को देखते हुए नोटों की जरूरतों को पूरा करना होता है. वित्त मंत्री ने लोकसभा में अपने जवाब में कहा कि सरकार का लक्ष्य कम नकदी वाली इकोनॉमी बनना है. इस टारगेट के नजदीक पहुंचने पर काले धन का खतरा कम किया जा सकेगा और नकदी का सर्कुलेशन भी घटाया जा सकेगा. इसके साथ ही सरकार का ये मिशन डिजिटल इकोनॉमी को भी बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकता है. वित्त मंत्री के मुताबिक सरकार और आरबीआई दोनों ने कम नकदी वाली इकोनॉमी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं.

नोटबंदी के बाद से दोगुनी हुआ करंसी सर्कुलेशन!

अगर मौजूदा करेंसी सर्कुलेशन की तुलना नोटबंदी के पहले से की जाए तो बीते 6 साल में इसमें जोरदार इजाफा हुआ है. 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के एलान से पहले 4 नवंबर 2016 को देश में 17 लाख करोड़ नकदी चलन में थी. यानी 6 साल में इसमें करीब साढ़े 88 फीसदी का इजाफा हो चुका है.

GDP के संदर्भ में नकदी को मापना महत्वपूर्ण

कैश की बढ़ोतरी को सीधे अगर प्रतिशत में देखा जाएगा तो उसमें भारी बढ़ेतरी नजर आती है. लेकिन किसी भी अर्थव्यवस्था में मौजूद नकदी को अगर GDP के परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा तभी उसके आकार का असल अंदाजा लगाया जा सकता है. दरअसल, 2016 में नोटबंदी के वक्त नकदी की मात्रा GDP के 12 फीसदी के बराबर थी. वहीं मौजूदा साल में ये 13 परसेंट है जो पिछले साल के 14 फीसदी से कम है. नोटबंदी के बाद इसमें बढ़ोतरी की वजह कोरोना काल में 2020 देश में नकदी की किल्लत होने पर RBI द्वारा इसे सिस्टम में डालना रहा है. इन आंकड़ों से साफ जाहिर हो जाता है कि करेंसी की मात्रा भले ही बढ़ी हो लेकिन ये अभी भी GDP के हिसाब से नोटबंदी के स्तर के आसपास ही बनी हुई है. हालांकि इसमें कमी आने की जो संभावना नोटबंदी के बाद जताई गई थी वो भी गलत साबित हुई है.

सिस्टम में घट रहे हैं 2000 के नोट

लोकसभा में पिछले हफ्ते ही वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि 31 मार्च 2020 के 22.6 फीसदी के मुकाबले 31 मार्च 2022 को 2000 के नोटों की हिस्सेदारी कुल सर्कुलेशन में घटकर 13.8 फीसदी रह गई थी. वहीं अगर संख्या के लिहाज से बात करें तो 31 मार्च 2020 को सिस्टम में 2 हज़ार के 274 करोड़ नोट थे. ये करंसी सर्कुलेशन में मौजूद नोटों की कुल संख्या के 2.4 फीसदी के बराबर था. इसके 1 साल बाद मार्च 2021 के आखिर तक 2 हज़ार के नोटों की संख्या घटकर 245 करोड़ रह गई थी जो करंसी सर्कुलेशन में मौजूद नोटों की कुल संख्या के 2 फीसदी के बराबर था. इसके बाद इस साल मार्च के आखिर तक 2 हज़ार के नोट संख्या के हिसाब से 214 करोड़ पर सिमट गए. ये आंकड़ा करंसी सर्कुलेशन में मौजूद नोटों की कुल संख्या के 1.6 फीसदी के बराबर था.

सिस्टम में बढ़ गए 500 के नोट

वहीं अगर 500 के नोटों की कुल करंसी सर्कुलेशन में हिस्सेदारी को देखा जाए तो फिर ये मार्च 2000 के आखिर तक 29.7 फीसदी थे जो इस साल मार्च अंत तक बढ़कर 73.3 परसेंट पर पहुंच गए. 31 मार्च 2020 को 500 के नोटों की कुल सर्कुलेशन में हिस्सेदारी 60.8 फीसदी थी. जबकि संख्या के लिहाज से 500 के नोट मार्च 2022 के आखिर तक बढ़कर 4,554.68 करोड़ पर पहुंच गए. वहीं 31 मार्च 2021 तक संख्या के हिसाब से 500 के 3,867.90 करोड़ नोट चलन में थे तब इनकी कुल नोटों में हिस्सेदारी 31.1 फीसदी थी और इसके एक साल पहले यानी मार्च 2020 के आखिर में कुल नोटों में 500 के नोटों की संख्या के लिहाज से 25.4 फीसदी हिस्सेदारी थी.

सिस्टम में 10 के नोट का बड़ा हिस्सा

फिलहाल संख्या के लिहाज से 500 के नोटों के साथ ही 10 के नोट का भी अच्छा खासा दबदबा है. वॉल्यूम के लिहाज से 500 के नोटों की जहां कुल सिस्टम में 34.9 फीसदी हिस्सेदारी है वहीं 10 का नोट भी इससे ज्यादा पीछे नहीं है. कुल नोटों में संख्या के हिसाब से 10 रुपए के नोटों की 21.3 फीसदी हिस्सेदारी है.

RBI ने बैंकों को MDR पर दिया सुझाव

डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन्स के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी है कि आरबीआई ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वो इस बात को तय करें कि दुकानदार ग्राहकों से डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट मंजूर करते समय एमडीआर के चार्ज को नहीं वसूलेंगे. रेवेन्यू विभाग ने बैंकों को जमा किए गए चार्ज को तुरंत रिफंड करने की सलाह दी है. रेवेन्यू विभाग ने कहा है कि 1 जनवरी 2020 के बाद जमा किए गए इस तरह के चार्ज को रिफंड किया जाए. ये चार्ज एक्ट के सेक्शन 269SU के तहत बताए गए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का इस्तेमाल करते हुए किए गए ट्रांजैक्शन्स पर लगाए गए हैं. वित्त मंत्री ने ये भी कहा है कि निर्धारित माध्यमों के जरिए भविष्य में किसी ट्रांजैक्शन पर चार्ज नहीं लगाने को भी कहा गया है.

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सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः।
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