AIN NEWS 1: बिहार के मोतिहारी जिले में साइबर क्राइम के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक कुख्यात साइबर गिरोह पर शिकंजा कस दिया है। इस गिरोह को ‘बॉस गैंग’ के नाम से जाना जाता है, जो डार्क वेब का इस्तेमाल कर लोगों को फर्जी ‘डिजिटल अरेस्ट’ का डर दिखाकर ठगी करता था। इस गैंग के दो अहम सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें एक सेना से जुड़े व्यक्ति का नाम भी सामने आया है।
गिरोह का मास्टरमाइंड और लाखों की बरामदगी
साइबर थाना पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में जो सामान बरामद हुए, वे इस गिरोह के बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं। पुलिस ने मौके से ₹10 लाख 30 हजार नकद, नोट गिनने की मशीन, दर्जनों बैंक पासबुक, ATM कार्ड, चेकबुक, पैन कार्ड, एक रायफल, एक पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस जब्त किए हैं।
पकड़े गए आरोपियों में से एक की पहचान पंकज पांडे के रूप में हुई है, जो सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 47वीं बटालियन में हवलदार के पद पर तैनात था। दूसरा आरोपी जावेद है, जबकि दयाशंकर और अविनेश नाम के दो अन्य आरोपी फिलहाल फरार हैं।
डार्क वेब और ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर डर
यह गिरोह डार्क वेब के जरिए लोगों का डेटा चुराता और फिर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ यानी ऑनलाइन गिरफ्तारी का डर दिखाकर मोटी रकम ऐंठता था। पीड़ितों को बताया जाता था कि उनका नाम किसी साइबर अपराध में आ गया है और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पैसे देने होंगे।
इस मनोवैज्ञानिक दबाव में आकर लोग लाखों रुपये ट्रांसफर कर देते थे। जांच में पता चला है कि इस गिरोह ने अब तक दर्जनों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।
दुकानों से चलती थी साइबर ठगी
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि इन आरोपियों की अपनी दुकानें हैं, जिन्हें वह फ्रंट के तौर पर इस्तेमाल करते थे। इन्हीं दुकानों से वे लोगों के बैंक डिटेल्स, फोन कॉल्स और डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए ठगी को अंजाम देते थे।
तीन दिन पहले इसी गिरोह के एक अन्य मास्टरमाइंड सुरेश प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले थे, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की गई।
क्रिप्टोकरेंसी के जरिए लेनदेन
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि ठगी की रकम का कुछ हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी USDT (Tether) में ट्रांसफर किया जाता था। पुलिस के मुताबिक, हवलदार पंकज पांडे और दयाशंकर पांडे के बीच USDT के जरिए फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन होते थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस गिरोह ने ठगी के पैसों को ट्रैक से बचाने के लिए डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल किया।
पहले भी कर चुके हैं करोड़ों की ठगी
पुलिस ने बताया कि ‘बॉस गैंग’ पहले भी करीब ₹30 लाख की साइबर ठगी के मामले में पकड़ा गया था, लेकिन इसके कुछ सदस्य फरार हो गए थे। इस बार की कार्रवाई के बाद गिरोह के दो प्रमुख सदस्य पुलिस की गिरफ्त में हैं और फरार आरोपियों की तलाश तेज कर दी गई है।
पुलिस की कार्रवाई से साइबर ठगों में डर
इस पूरी कार्रवाई के बाद जिलेभर में साइबर ठगों के बीच हड़कंप मच गया है। लोगों में यह उम्मीद जगी है कि अब ऐसे डिजिटल अपराधों पर लगाम लगेगी। साइबर थाना की टीम फिलहाल गिरोह के नेटवर्क को विस्तार से खंगाल रही है और इस बात की जांच कर रही है कि किन–किन राज्यों और शहरों में इनकी पहुंच थी।
मोतिहारी पुलिस की इस कार्रवाई ने यह दिखा दिया है कि डिजिटल अपराध चाहे जितना हाईटेक क्यों न हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता। डार्क वेब, क्रिप्टो और डर के जरिए ठगी करने वाले इस गैंग का पर्दाफाश साइबर अपराध के खिलाफ एक बड़ी जीत है। अब देखना यह है कि फरार आरोपियों को कितनी जल्दी पुलिस गिरफ्तार कर पाती है और इस नेटवर्क की जड़ तक कब पहुंचा जाता है।
In a major crackdown on cyber fraud, Bihar’s Motihari cyber police have arrested two key members of the notorious Boss Gang involved in dark web scams and digital arrest frauds. The accused used threats of fake legal action to extort large sums from victims. The raid revealed ₹10.30 lakh cash, arms, numerous fake documents, and crypto transactions involving USDT. The cyber fraud network operated via local shops and was earlier involved in ₹30 lakh scams. The police are expanding their probe into dark web-linked cyber crime in India.